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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-18

गीता का तीसरा अध्याय और विश्व समाज यहां श्रीकृष्णजी अर्जुन को पुन: उसके धर्म का स्मरण करा रहे हैं कि तू स्वधर्म को पहचान और उसी के अनुसार आचरण कर, अर्थात कर्म कर। यदि तू यह मान रहा है कि कर्म करना ही नहीं है अर्थात स्वधर्म का पालन करना ही नहीं है तो यह […]

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समाज

दिव्यांगों को सहानुभूति नहीं, सहयोग चाहिए

दिव्यांगजनों की हमारे समाज में क्या स्थिति है तथा उनके प्रति समाज की क्या मानसिकता है? दरअसल, न केवल भारत में बल्कि समूची दुनिया में एक समय तक दिव्यांगता को सिर्फ चिकित्सा संबंधी समस्या समझा जाता था, लेकिन समय के साथ सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक स्टीफन हाकिंस आदि दिव्यांग व्यक्तियों द्वारा जिस तरह से जीवन के विभिन्न […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-17

गीता के दूसरे अध्याय का सार और संसार योगेश्वर कृष्ण जी का कहना है कि हमें अपना मन ‘परब्रह्म’ से युक्त कर देना चाहिए, उसके साथ उसका योग स्थापित कर देना चाहिए। उससे मन का ऐसा तारतम्य स्थापित कर देना चाहिए कि उसे ब्रह्म से अलग करना ही कठिन हो जाए। भाव है कि जिन […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

स्वदेशी राज्य की स्थापना कर शिवाजी ने बना दिया असंभव को संभव

निराले व्यक्तित्व के धनी शिवाजी शिवाजी भारतीयता का प्रतीक थे, वीरता के पुंज थे और इसके उपरांत भी युद्घ में वह दुष्ट के साथ दुष्टता के तो पक्षधर थे, परंतु अपनी ओर से दुष्टता की पहल करने के विरोधी थे। इस भावना को आप युद्घ में सतर्कतापूर्ण मानवीय व्यवहार के रूप में समाहित कर सकते […]

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महत्वपूर्ण लेख

रेगिस्तान का बढ़ता दायरा

दुनिया के सामने आज सबसे बड़ा संकट उपजाऊ भूमि के लगातार रेगिस्तान में बदलने से पैदा हो रहा है। धरती के रेगिस्तान में बदलने की प्रक्रिया बड़े पैमाने पर चीन, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, भूमध्यसागर के अधिसंख्य देशों तथा पश्चिम एशिया, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका के सभी देशों सहित भारत में भी जारी है। इतिहास गवाह है […]

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