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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

गांवों में मुकद्दम भी करते रहे स्वतंत्रता संघर्ष का नेतृत्व

पूर्व आलेख में प्रसंग इटावा का चल रहा था कि यहां के मुकद्दम या ग्राम्य मुखिया लोगों ने भी किस प्रकार स्वतंत्रता की ज्योति जलाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पूर्व आलेख में प्रसंग इटावा का चल रहा था कि यहां के मुकद्दम या ग्राम्य मुखिया लोगों ने भी किस प्रकार स्वतंत्रता की ज्योति जलाये […]

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संपादकीय

नकारात्मक सोच का संघर्ष

मनुष्य काम घृणा के और बातें प्रेम की करता है, नफ रत के बीज बोकर प्रेम की फ सल काटने के सपने संजोता है, अपनी चिंतन शक्ति की बड़ी उर्जा को नकारात्मक बातों में व्यय करता है और बातें अपनी उर्जा को सकारात्मक चिंतन के व्यापार-विस्तार में लगाने की करता है। यह द्वन्द्व है। एक […]

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अन्य

अंतिम मुगल बादशाह के लाडलों को बेरहमी से कत्ल करने की घटना का मूक गवाह है खूनी दरवाजा

नई दिल्ली। नई दिल्ली में मौलाना आजाद मेडिकल कालेज के मुख्य द्वार के सामने स्थित खूनी दरवाजा आज इस बात को तसल्ली कर सकता है कि वह इस अंतिम मुगल शाह के लाडलों को बेरहमी से कत्ल किये की घटना का मूकगवाह है। सरकार ने शादी के बाद उसी राष्टï्रभक्त बादशाह बहादुर जफर के नाम […]

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राजनीति

वर्तमान परिस्थितियों में संतुलित विकास ही है समाधान

विश्वनाथ सचदेव देश की विदेशमंत्री पर एक ‘भगोड़े अपराधी’ की सहायता का आरोप लगा है; एक राज्य की मुख्यमंत्री भी आरोपों के घेरे में है; एक पश्चिमी राज्य के चार मंत्री कथित घोटालों के विवादों में घिरे हैं; एक अन्य राज्य में परीक्षाओं को लेकर चल रहे विवाद की आंच से सरकार झुलस रही है- […]

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आओ कुछ जाने

वर्णांधता या ‘कलर ब्लाइंडनेस’ को रोका जा सकता है

वर्षा शर्मा लाल, पीला, हरा और न जाने कितने रंग, यह सभी हमारे जीवन का एक अटूट हिस्सा हैं। मानव जीवन में रंगों का विशेष महत्व होता है। हर रंग के साथ एक विश्वास जुड़ा होता है और प्रत्येक रंग किसी न किसी भाव-विशेष का सूचक होता है। हममें से बहुत से लोग ऐसे होते […]

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आओ कुछ जाने

सब सत्य विद्याओं का दाता व अपौरूषेय पदार्थों का रचयिता परमेश्वर है’

मनमोहन सिंह आर्य जीवन में जानने योग्य कुछ प्रमुख सूत्रों की यदि चर्चा करें तो इनमें प्रथम ‘सब सत्य विद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं, उनका सब का आदि मूल परमेश्वर है’ सिद्धान्त को सम्मलित किया जा सकता है। इस सिद्धान्त का संसार में जितना प्रचार अपेक्षित है, उतना नहीं हुआ। यह […]

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महत्वपूर्ण लेख

कलाम से प्रेम याकूब से घृणा – भारत के दो रूप

प्रवीण गुगनानी गत सप्ताह की दो घटनाओं से भारत के दो सशक्त रूप देखनें को मिले। एक घटना घृणा, विद्रूपता के रूप में आई तो दूसरी में सम्पूर्ण भारत सृजन, निष्ठा और प्रेम को वंदन करता दिखा। इन दो घटनाओं को संयोग कतई नहीं कहा जा सकता, क्योंकि एक घटना में भारत के प्रिय पुत्र, […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

भारत-बांग्लादेश भूमि समझौते पर अमल

प्रमोद भार्गव इसी साल जून माह में भारत और बांग्लादेश के बीच हुए भूमि समझौते पर शांतिपूर्ण अमल हो गया। दोनों देशों के 51 हजार नागरिकों को एक देश और उसकी नागरिक पहचान मिल गई है। इस दृष्टि से इन नागरिकों को शनिवार की सुबह उम्मीद की नई किरण के साथ फूटी है। शुक्रवार की […]

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राजनीति

स्वार्थी राजनीति का नमूना है संसदीय गतिरोध

मृत्युंजय दीक्षित जैसी की संभावना व आशंका व्यक्त की जा रही थी कि संसद का मानसून सत्र हंगामें की भेंट चढ़ जायेगा ठीक वैसा ही हो रहा है। विदेश यात्रा से लौटकर आने के बाद कांग्रेसी युवराज राहुल गांधी ने कांग्रेस की राजनीति को पटरी पर लाने के लिए मोदी सरकार पर एक के बाद […]

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संपादकीय

‘आंधी के आम’ और हमारे सांसद

जब आंधी आती है तो उसमें आम बहुत झड़ जाते हैं। इन ‘आंधी के आमों’ की बाजार में कीमत भी गिर जाती है। लोग उन्हें खरीदते नही हैं, अपितु दुकानदार कम से कम मूल्य करके उन्हें अपने ग्राहकों से खरीदवाता है। ऐसा ही हमारे सांसदों के अथवा जनप्रतिनिधियों के साथ होता है। जब किसी पार्टी […]

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