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महत्वपूर्ण लेख

वैश्विक उन्नति का मापदण्ड और उसके प्रभावक पहलू

डॉ. मधुसूदन (एक) प्रवेश:शीर्षक देने में, कुछ कठिनाई,  अनुभव कर रहा हूँ। यदि प्रश्न उठाए जाएंगे, तो और उत्तर ढूंढने का प्रामाणिक प्रयास किया जाएगा।वैसे यह विषय एक से अधिक आलेखों के लिए उचित है।आ.गङ्गानन्द जी के,अनुरोध पर , इस आलेख में,  “पश्चिमी सभ्यता  (संस्कृति?)  के उन पहलुओं पर रोशनी डालनेका प्रयास किया है, जिन्हों ने उसे आज कीदुनिया […]

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महत्वपूर्ण लेख

राष्ट्रधर्म के ओजस्वी कवि दिनकर

राष्ट्रधर्म के ओजस्वी कवि दिनकर राष्ट्रीय चेतना के मंत्र हैं उनकी रचनाएं – अनिता महेचा, जैसलमेर मैथिलीशरण गुप्त हिन्दी के प्रथम राष्ट्र कवि थे तो दिनकर उनके सच्चे उत्तराधिकारी थे। गुप्तजी की राष्ट्रीयता में सांस्कृतिक तत्त्व गहरा था, उसी का एक व्यापक पक्ष हमें दिनकर के काव्य में दृष्टिगत होता है। दिनकर ने प्रारंभ से […]

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बिखरे मोती

बिखरे मोती-भाग 20

धर्मानुरागी को चाहिए, संयम न खो देयवाणी जो चुभै तीर सी,हृदय को जला देय।धर्मानुरागी को चाहिए,संयम न खो देय ।। 329।। वाणी से पहचान हो,अधम है अथवा महान।योग्यता की परख हो,परख्यो जा खानदान ।। 330।। वाणी में कांटे रमे,बंधयो अधरों पै काल।लक्षण सारे अनिष्टï के,ज्यों मकड़ी का जाल ।। 331।। ईश्वर की जो विभूतियां,करते रहो […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

आज का चिंतन-29/09/2013

सुखों का अस्तित्व  टिका है दुःखों की बुनियाद पर – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com   सुख और दुःख दोनों समय सापेक्ष एवं अनित्य हैं। दोनों का अस्तित्व मिटने वाला ही है। किसी भी व्यक्ति के जीवन में सुख और दुःखों का होना स्वाभाविक है और इनका न्यूनाधिक क्रम हमेशा बना रहता है। कभी सुख […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

वेदाध्ययन का अधिकार सभी का जन्म सिद्घ शास्त्र सम्मत अधिकार है

हिंदू समाज के कुछ धर्माचार्य तथा मठ-परंपराओं में यह प्रचारित किया जाता रहा है कि स्त्रियों और शूद्रों को वेद का अध्ययन व पठन पाठन नही करना चाहिए। तर्क दिया जाता है कि शास्त्रों में इसका निषेध किया गया है। आदि शंकराचार्य द्वारा कहा गया बताते हैं कि स्त्रीशूद्रो नाधीयताम। ये निर्देश केवल शब्दों तक […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

आज का चिंतन-28/09/2013

सफलता चाहें तो साथ न रखें एक ही किस्म के लोगों को – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com   किसी भी कार्य की योजना बनाने से लेकर इनके क्रियान्वयन की पूर्णता तक की पूरी प्रक्रिया में जिन लोगों की भागीदारी होती है उनकी मनोवृत्तियाँ, स्वभाव, आदतों और कार्य करने की क्षमताओं का प्रभाव कार्य की […]

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महत्वपूर्ण लेख

देश की दूसरी आजादी के लिए जागरण आवश्यक:शास्त्री

पश्चिम बंगाल में गो-हत्या निषेध को लेकर संघर्ष कर रहे ब्रह्मचारी ऊपानंद का कहना है कि पश्चिम बंगाल में सरकार का गो-रक्षा के प्रति कोई दायित्व बोध नही है। यहां मुस्लिम तुष्टिकरण जमकर हो रहा है, गो-वंश संवर्द्घन की बजाए गो-वंश विनाश की घातक नीतियां बन रही हैं। जिससे गो-वंश के लिए खतरा पैदा हो […]

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महत्वपूर्ण लेख

पर्यावरण सन्तुलन के लिए गाय आवश्यक

राकेश कुमार आर्यगौवध निषेध पर संविधान सभा में बड़ी रोचक बहस हुई थी। पूर्वी पंजाब के जनरल पंडित ठाकुरदास भार्गव, सेठ गोविंददास, प्रो. छिब्बनलाल सक्सेना, डा. रघुवीर (सी.पी. बेरार : जनरल) मि. आर.बी. धुलिकर, मि. जैड, एच. लारी (यूनाईटेड प्रोविन्स मुस्लिम सदस्य) तथा असम से मुस्लिम सदस्य रहे सैय्यद मुहम्मद सैदुल्ला सहित कई विद्वान सदस्यों […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

आज का चिंतन-27/09/2013

एक-दूसरे के पूरक हैं आनंद और ईश्वरीय मार्ग – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com   हर व्यक्ति अपने जीवन में आनंद की प्राप्ति चाहता है। आज हम सांसारिक भोगों और तुच्छ वस्तुओं, जमीन-जायदाद या लोकप्रियता को आनंद का मार्ग मानकर चल रहे हैं, यह मिथ्या भ्रम से ज्यादा कुछ नहीं है। आनंद वह है जो […]

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विशेष संपादकीय

गौ-माता के प्रश्न को कल समय स्वयं हमसे पूछेगा

20 मई 1996 को तत्कालीन राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा ने संसद में जो भाषण दिया था उसके उस अंश पर ध्यान दिया जाना चाहिए था जिसमें उन्होंने भारतीय संविधान की धारा 51ए(जी) के इस प्राविधान का उल्लेख किया था कि भारत के प्रत्येक नागरिक का यह मौलिक कर्त्तव्य होगा कि वह वनों, झीलों, नदियों एवं वन्य […]

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