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इतिहास के पन्नों से

तपस्विनी राजमाता अहिल्याबाई होलकर

31 मई/जन्म-दिवस भारत में जिन महिलाओं का जीवन आदर्श, वीरता, त्याग तथा देशभक्ति के लिए सदा याद किया जाता है, उनमें रानी अहल्याबाई होल्कर का नाम प्रमुख है। उनका जन्म 31 मई, 1725 को ग्राम छौंदी (अहमदनगर, महाराष्ट्र) में एक साधारण कृषक परिवार में हुआ था। इनके पिता श्री मनकोजी राव शिन्दे परम शिवभक्त थे। […]

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इतिहास के पन्नों से

हैदराबाद सत्याग्रह के बलिदानी नन्हू सिंह

  29 मई/बलिदान-दिवस 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेजों ने भारत को स्वतन्त्र कर दिया; पर इसके साथ ही वे यहाँ की सभी रियासतों, राजे-रजवाड़ों को यह स्वतन्त्रता भी दे गये, कि वे अपनी इच्छानुसार भारत या पाकिस्तान में जा सकती हैं। देश की सभी रियासतें भारत में मिल गयीं; पर जूनागढ़ और भाग्यनगर (हैदराबाद) टेढ़ी-तिरछी […]

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इतिहास के पन्नों से

दलित उद्धारक के रूप में वीर सावरकर

(28 मई को सावरकर जयन्ती पर प्रचारित) डॉ विवेक आर्य जीवन भर जिन्होंने अंग्रेजों की यातनाये सही मृत्यु के बाद उनका ऐसा अपमान करने का प्रयास किया गया। उनका विरोध करने वालों में कुछ दलित वर्ग की राजनीती करने वाले नेता भी थे। जिन्होंने अपनी राजनीतिक महत्वकांशा को पूरा करने के लिए उनका विरोध किया […]

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इतिहास के पन्नों से

वेद और महर्षि दयानंद

वेद और ऋषि दयानन्द पं० मदनमोहन विद्यासागर [जब हम ‘वेद’ को भूलकर अपने को भुला चुके थे तब ऋषिवर दयानन्द ने लुप्त ज्ञान भंडार ‘वेद’ पुनः संसार को दिया, इसके लिए मानव-जाति सदा ऋषि की ऋणी रहेगी। इस लेख के लेखक पं० मदनमोहन विद्यासागर जी ने ऋषि दयानन्द जी के मत से वेद की महत्ता […]

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इतिहास के पन्नों से

महात्मा बुद्ध और मांसाहार

महात्मा बुद्ध एवं माँसाहार बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर प्रकाशित महात्मा बुद्ध महान समाज सुधारक थे। उस काल में प्रचलित यज्ञ में पशु बलि को देखकर उनका मन विचलित हो गया और उन्होंने उसके विरुद्ध जन आंदोलन कर उस क्रूर प्रथा को रुकवाया। महात्मा बुद्ध जैसे अहिंसा के समर्थक एवं बुद्ध धर्म के विषय में […]

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इतिहास के पन्नों से

राजा राममोहन राय और ईसाई मत

राजा राममोहन राय और ईसाई मत (राजा राम मोहन राय के जन्मदिन पर विशेष) राजा राममोहन राय अपने काल के प्रसिद्द समाज सुधारकों में से थे। वे हिन्दू समाज में व्याप्त अंधविश्वासों और कुरीतियों के विरोध में आवाज़ उठाते थे। वे अंग्रेजी शिक्षा और अंग्रेजी भाषा के बड़े समर्थक भी थे। इसलिए अंगरेज उन्हें अपना […]

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आओ कुछ जाने

हिंदुओं में एकता की कमी होने का कारण

  डॉ विवेक आर्य 1200 वर्ष का इतिहास उठाकर देखिये। हिन्दू समाज विदेशी आक्रमणकरियों के सामने अपनी एकता की कमी के चलते गुलाम बने। इस सामाजिक एकता की कमी का क्या कारण था? इस लेख के माध्यम से हम हिंदुओं में एकता की कमी के कारणों का विश्लेषण करेगे। हिन्दू समाज में ईश्वर को एक […]

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भारतीय संस्कृति

ईश्वर की सबसे बड़ी कृपा क्या है ? – क्या कहते हैं सभी मत और पंथ ?

ईश्वर की सबसे बड़ी कृपा क्या है ? ईसाई – पाप क्षमा करना | मुसलमान – जन्नत और हूरें प्रदान करना | पौराणिक हिन्दू – अवतार लेकर अपने भक्तों का दुःख दूर करना | वैदिक धर्मी – पुरुषार्थ के लिए, बुद्धि प्रदान करना | ईश्वर हमारे ऊपर अनेक उपकार करते हैं । और विभिन्न विभिन्न […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र

जेएनयू में महिषासुर शहादत दिवस अर्थात एक और पाखंड की शुरुआत

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में महिषासुर शहादत दिवस पर अनेक बार कार्यक्रम आयोजित होता रहा है । आयोजकों का कहना है कि बंग देश के राजा महिषासुर दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के नायक थे, लेकिन इतिहास लिखने वालो ने उन्हें खलनायक के रूप में पेश किया है । महिषासुर दस्यु थे और उनका दमन करने वाली […]

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इतिहास के पन्नों से

क्या सांख्यकार कपिल मुनि अनीश्रवादी थे ?

लेखक- स्वामी धर्मानन्द प्रस्तुति- प्रियांशु सेठ माननीय डॉ० अम्बेदकरजी से गत २७ फर्वरी को मेरी जब उनकी कोठी पर बातचीत हुई तो उन्होंने यह भी कहा कि सांख्यदर्शन में ईश्वरवाद का खण्डन किया गया है। यही बात अन्य भी अनेक लेखकों ने लिखी है किन्तु वस्तुतः यह अशुद्ध है। सांख्य दर्शन में ईश्वर के सृष्टि […]

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