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देश विदेश

क्या पुतिन का लोकतंत्र दुनिया के लिए एक संकट बन कर आया है?

प्रणव प्रियदर्शी बार-बार निर्वाचित हो रहे अति लोकप्रिय रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन के राज में कोई ऐसा भी व्यक्ति है जो उनके लिए खतरा बन सकता है, इसका अंदाजा दुनिया को पिछले हफ्ते तब हुआ जब रूस के एक विपक्षी नेता अलेक्सी नवाल्नी पांच महीने विदेश में बिताने के बाद स्वदेश लौटे और उन्हें एयरपोर्ट […]

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मुद्दा

नए नोएडा में यूपीसीडा का कोढ़

_-राजेश बैरागी-_ उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव श्री योगेन्द्र नारायण से 1998 में मेरे द्वारा यह जानने की अपेक्षा की गई थी कि क्या उत्तर प्रदेश सरकार गौतमबुद्धनगर में सिकंदराबाद को भी मिलाकर एक औद्योगिक जनपद का स्वरूप देने जा रही है? इस प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि ऐसी कोई योजना फिलहाल […]

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आओ कुछ जाने

दुनिया की सबसे खतरनाक एजेंसी मोसाद जिसने कोई अपराधी जिंदा नहीं छोड़ा

INDIA FIRST से साभार कहते हैं कि ‘जब सियार की मौत आती है, शहर की ओर भागता है’ जो जनवरी 29 को इजराइल दूतावास के पास किये धमाके ने साबित कर दिया है। विश्व में इजराइल ही एक ऐसा देश है, जो मुस्लिम देशों से घिरा होना के बावजूद किसी से नहीं डरता। क्योकि उसके […]

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देश विदेश

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने घटा लिया अपने समर्थकों के बीच भी अपना सम्मान

जे सुशील क्या मैं अकेला हूं जिसे अमेरिका की बदलती राजनीति में पोएट्री और पोएटिक जस्टिस दिख रहा है? हो सकता है मैं अकेला न होऊं ऐसा सोचने में, पर अकेले अपने लैपटॉप पर जोसफ बाइडन और कमला हैरिस को पदभार ग्रहण करते देखकर एक काव्यात्मकता का अनुभव जरूर हुआ है। इस कार्यक्रम से ठीक […]

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इतिहास के पन्नों से

क्या लालकिले पर निशान साहिब फ़हराकर इतिहास दोहराया गया है?

एन के दुबे यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि सिखों की ओर से ‘किला फतह’ की बात कही जाती है। सिख इतिहास बताता है कि सिख योद्धा बाबा बंदा सिंह बहादुर, बाबा बघेल सिंह, जस्सा सिंह आहलूवालिया और जस्सा सिंह रामगढ़िया ने मुगलों को कड़ी टक्कर देते हुए उन्हें शिकस्त दी थी। लाल किले […]

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मुद्दा

किसान आंदोलन अपने रहा से भटक कर बन गया है जी का जंजाल

राकेश सैन गांधी जी का विचार था कि अपवित्र साधन व मार्ग से कभी पवित्र लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता, लेकिन खालिस्तान व नक्सलवाद की अवैध संतान मौजूदा किसान आंदोलन प्रारम्भ से ही पवित्रता की विपरीत धुरी पर खड़ा दिखाई दिया। दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन को अगर आंदोलन मान […]

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राजनीति

भारत के राजनीतिज्ञों के लिए गांधी की प्रासंगिकता

संतोष उत्सुक महात्मा गांधी अज़ीम शख्सियत हैं। विदेशों में उनकी अनगिनत प्रतिमाएं हैं। वहां वैसे भी सभी चीज़ों को पूरा साल संभाल कर रखने की संस्कृति है। पिछले वर्ष कोरोना संबंधी परेशानी हुई वरना हमारे यहां भी हर साल दो अक्टूबर से पहले उनकी मूर्तियां साफ़ करवाने की रिवायत है। कुछ समय पहले मुझे डलहौजी […]

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आर्थिकी/व्यापार

वित्तमंत्री सीतारमण द्वारा खींची गई खर्चा बढ़ाने वाली राह

आशीष कुमार ​​इस लिहाज से अगले वित्त वर्ष यानी 2021-22 में जीडीपी में 11 फीसदी की विकास दर देखने को मिल सकती है। हालांकि यह अनुमानित विकास दर माइनस 7.7 फीसदी के काफी निचले बेसमार्क पर आधारित है, फिर भी एक साल के लिए यह काफी ऊंची छलांग मानी जाएगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा […]

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महत्वपूर्ण लेख समाज

सब कुछ करने का माद्दा रखती है महिला शक्ति

निर्मल रानी वैसे तो हमारे पौराणिक शास्त्रों में जिस तरह अनेक देवियों,उनके जीवन,उनके कार्यकलापों,अदम्य साहस तथा उनके वैभव का उल्लेख किया जाता उससे तो यही प्रतीत होता है कि महिलायें हमेशा से ही निर्भीक,निडर,साहसी तथा पुरुषों की ही तरह सब कुछ कर गुजरने की क्षमता रखने वाली रही हैं। अन्यथा आज उन देवियों की पूजा […]

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महत्वपूर्ण लेख

अनिश्चितता के दौर में प्रवेश कर चुका किसान आंदोलन

अरुण कुमार त्रिपाठी गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में हिंसा और तोड़फोड़ किए जाने और लाल किले पर धार्मिक ध्वज फहराए जाने के बाद आजाद भारत के सबसे बड़े किसान आंदोलन की साख को शर्मनाक धक्का लगा है। यही वजह है कि जहां सरकार आंदोलन पर हमलावर हुई है वहीं […]

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