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उगता भारत न्यूज़

हिन्दुओं के घर में बेटियों को जन्म होना क्या अभिशाप बन चुका है – दिव्य अग्रवाल

कट्टरपंथियों ने सदैव भय व्याप्त करके ही अपनी अमानवीय इच्छाओं को पूरा किया है । मुगल काल से लेकर आज तक हिन्दू समाज की बेटियां मजहबी लोगों के लिए माल ऐ गनीमत ही रहीं हैं । इसी कारण पहले भी हिन्दू बेटियों की दुख्तरे हिन्द निलामे दो दीनार लिखकर जिहादियों ने मंण्डी लगाई थी और […]

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इतिहास के पन्नों से

क्यों एक वर्ग की बढ़ती आबादी से बढ़ जाती हैं समस्याएं?

सबसे बड़ी समस्या क्यों है मजहबी उन्माद ? अश्विनी उपाध्याय सबसे बड़ी समस्या क्यों है मजहबी उन्माद ? क्यों एक वर्ग की बढ़ती आबादी से बढ़ जाती हैं समस्याएं? हमारे देश के लिए जातिवाद, भाषावाद, क्षेत्रवाद, माओवाद और नक्सलवाद से भी बड़ा खतरा है कट्टरवाद, चरमपंथ, पाखंड और मजहबी उन्माद लेकिन इसके मूल कारण और […]

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इतिहास के पन्नों से

शिवाजी महाराज से प्रेरणा लेकर आगे बढ़े थे सावरकर

सावरकर के आदर्श शिवाजी थे प्रो ० देवेन्द्रस्वरूप ( इतिहासकार तथा पूर्व सम्पादक ‘ पाञ्चजन्य ‘ ) पहला 30 अगस्त 1911 को लिखा , दूसरा 13 नवम्बर 1913 को , तीसरा 10 सितम्बर 1914 को , चौथा 2 अक्टूबर 1917 को , पांचवां 24 जनवरी 1920 को छठा 31 मार्च 1920 को । क्या उन्होंने […]

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इतिहास के पन्नों से

भारत की स्वाधीनता के एक जुनूनी सिपाही क्रांतिकारी विश्वनाथ राय

दिव्येन्दु राय देवरिया जनपद के जिला मुख्यालय के करीब के गॉव खुखुन्दू में 10 दिसम्बर सन् 1906 में एक बालक का जन्म हुआ। जन्म चूँकि जमींदार एवं शिक्षित परिवार में हुआ इसलिए उस बालक को पढ़ने के लिए पहले गोरखपुर के सेंट एंड्यूज कॉलेज भेजा गया तथा उसके बाद उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए […]

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इतिहास के पन्नों से

भारत के स्वतंत्रता संग्राम की अनमोल निधि सावरकर

उगता भारत ब्यूरो वामपंथी तथा कम्युनिस्ट उन महान् राष्ट्रमत क्रांतिकारी शिरोमणि स्वातन्त्र्यवीर सावरकर जी पर अंग्रेजों का एजेंट होने तथा जेल से माफी मांगकर छूटने जैसे निराधार और शरारतपूर्ण आरोप लगाने का दुस्साहस कर रहे हैं , जिन्होंने अपनी जवानी को ही नहीं अपने पूरे परिवार को स्वाधीनता के यज्ञ में समर्पित कर अपना सर्वस्व […]

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भारतीय संस्कृति

वैदिक संस्कृति में यज्ञोपवीत का महत्व

◼️ यज्ञोपवीत का महत्व ◼️ ✍🏻 लेखक – डॉ. भवानीलाल भारतीय प्रत्येक जाति में शरीर , मन , बुद्धि और आत्मा की शुद्धि तथा विकास के लिये विभिन्न प्रकार के संस्कारों का विधान किया जाता है । संसार की सर्व प्राचीन और सर्वाधिक सभ्य एवं सुसंस्कृत आर्य जाति ने भी अपने प्रत्येक सदस्य के लिये […]

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मुद्दा

क्या हिन्दू इतिहास केवल पराजय का इतिहास है? सत्य जानने के लिए सावरकर जी को पढ़िए। अपना आत्मगौरव जगाए।

1 छह स्वर्णिम पृष्ठ। ₹400 2 हिन्दू पदपादशाही। ₹250 मंगवाने के लिए 7015591564 पर वट्सएप द्वारा सम्पर्क करें। ————————————————————– 1 छह स्वर्णिम पृष्ठ. मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए प्राण हथेली पर रखकर जूझनेवाले महान् क्रांतिकारी; जातिभेद, अस्पृश्यता, अंधश्रद्धा जैसी सामाजिक बुराइयों को समूल नष्‍ट करने का आग्रह रखनेवाले स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने इस ग्रंथ में भारतीय […]

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आज का चिंतन

शिव पुराण की पार्वती से रामायण की सीता तक का पतिव्रत धर्म की विवेचना

आचार्य डा. राधे श्याम द्विवेदी शिव पुराण के रुद्र संहिता तृतीय पार्वती खण्ड के अध्याय 54 में राजा हिमवान की पत्नी मेना की इच्छा के अनुसार एक ब्राह्मण-पत्नी द्वारा शिव पार्वती विवाह के उपरान्त पार्वती जी को पतिव्रत धर्म का उपदेश दिलाया गया है। इसी को बाद में तुलसी दास जी ने राम चरित मानस […]

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इतिहास के पन्नों से

🌷महाभारत में मांसभक्षण-निषेध🌷

महाभारत के अनुशासन पर्व के २१ वें अध्याय में “हिंसा और मांसभक्षण” की घोर निन्दा की गई है।मनुष्य को मन, वचन और कर्म से हिंसा न करने और मांस न खाने का आदेश देते हुए दिया है। रुपमव्यङ्गतामायुर्बुद्धिं सत्त्वं बलं स्मृतिम् । प्राप्तुकामैर्नरैहिंसा वर्जिता वै महात्मभिः ।। ―(२१/९) अर्थात्―जो सुन्दर रुप, पूर्णाङ्गता, पूर्ण-आयु, उत्तम बुद्धि, […]

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महत्वपूर्ण लेख

भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम ‘1857 की क्रांति’ पर क्यों नहीं है जेएनयू और अलीगढ़ विश्वविद्यालय में एक भी थीसिस ?

सुष्मित सिन्हा साल 1850 के आते-आते ईस्ट इंडिया कंपनी का देश के बड़े हिस्से पर कब्जा हो चुका था । जैसे-जैसे ब्रिटिश शासन (British Rule) का भारत पर प्रभाव बढ़ता गया, वैसे-वैसे भारतीय जनता के बीच ब्रिटिश शासन के खिलाफ असंतोष फैलता गया।प्लासी के युद्ध के एक सौ साल बाद ब्रिटिश राज के दमनकारी और […]

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