“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””” अमर वैचारिक क्रांतिकारी ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश के तीसरे समुल्लास (chapter)में ऋषि दयानंद महाराज हवन (अग्निहोत्र )के विषय में लिखते हैं… शंकालु शंका उठाता है | होम/ हवन से क्या उपकार होता है ? ऋषि दयानंद कहते हैं….” सब लोग जानते हैं कि दुर्गंध युक्त वायु और जल से रोग, रोग से प्राणियों को दुख […]
लेखक: आर्य सागर खारी
अंग्रेज भारत आए उनकी नजर भारत के मैदानी पर्वतीय संसाधनों पर पड़ी… 200 वर्ष लूट लूट कर देश को चले गए साथ में खतरनाक सौगात अंधानुकरण करने वाले आजाद भारत के हमारे सरकारी विभागों को दे गए…! ऐसा ही एक विभाग है वन विभाग |अभी कुछ दिन पहले वैश्विक स्तर पर अमेजन के वर्षा वनों […]
पांडवों की इंद्रप्रस्थ अर्थात दिल्ली उनके पश्चात 7 बार बसी 7 बार उजड़ी… दिल्ली के उजड़ने में सनातन वैदिक धर्म हिंदू राजाओं का कोई योगदान नहीं था उसके लिए पूरी तरह जिम्मेदार थे पश्चिम व मध्यम एशिया से आए जिहादी लुटेरे जिन में मोहम्मद गोरी तैमूर लंग कुतुबुद्दीन ऐबक अलाउद्दीन खिलजी जैसे नाम शामिल है.. […]
प्राय ऐतिहासिक घटनाक्रमों से अंको का संबंध जुड़ ही जाता है… हिस्टोरिकल ग्रंथ महाभारत भी इससे अछूता नहीं रहा है… 18 के अंक व महाभारत के घटनाक्रमों, पात्रों का ऐसा ही दुखद सुखद मिश्रित संयोग है……………….. इसे समझते हैं, महाभारत ग्रंथ 18 पर्व (चैप्टर) में लिखा गया है…. महाभारत का भीषण युद्ध 18 दिन तक […]
सुखदु:खयोश्च ग्रहणाच्छिन्नस्य च विरोहणात्| जीवं पश्यामि वृक्छाणामचैतन्यं न विघते|| शांति पर्व||10 मई 1901 को पूरी दुनिया के वनस्पति शास्त्री जीव वैज्ञानिक दांतो तले उंगलियां दबा लेते हैं जब प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु अपने द्वारा अविष्कार किए गए यंत्र क्रिस्कोग्राफ से वृक्षों में जीवन सिद्ध कर देते हैं | जगदीश चंद्र बोस के अनुसार […]
न च मे प्रतिभा काचिदस्ति किञजित्प्रभाषितुम्| पीडय्मान्स्य गोविन्द विषानलसमै: शरै: ||( महाभारत शांति पर्व) आरामाणा तडागाना यत् फलं कुरुपुङव| तदहं ऋष्तुमिच्छामि त्वतोघ भरतषृभ|| (महाभारत अनुशासन पर्व) महाभारत के भीषण महा संग्राम में युद्ध के दसवें दिन 100 से अधिक बाण खाकर (भीष्म पर्व में तीरों की संख्या ,तीरों के प्रकार का उल्लेख है) भीष्म सरसैया […]