अशोक मधुप आज संयुक्त राष्ट्र महासभा एक ऐसा संगठन बनकर रह गया है जो कुछ देश के हाथों की कठपुलती है। न अपनी ताकत का प्रयोग कर सकता है ना अपनी क्षमता का। संयुक्त राष्ट्र महासभा के गठन का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य विश्व में शांति कायम करना है। आज अफगानिस्तान जल रहा है। पूरी […]
लेखक: आर्य सागर खारी
ग्रेटर नोएडा ।आर्य सागर खारी) आर्य जगत के सुप्रसिद्ध विद्वान और वेदों के प्रकांड पंडित स्वामी श्रद्धानंद जी महाराज ने कहा है कि देश का क्रांतिकारी आंदोलन आर्य समाज का आंदोलन था। स्वामी जी महाराज आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुद्ध नगर द्वारा गुरुकुल मुरसद पुर में चलाए जा रहे 21 दिवसीय चतुर्वेद पारायण महायज्ञ […]
आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतमबुद्ध नगर के प्रधान और आर्य समाज के क्रांतिकारी नेता महेंद्र सिंह आर्य ने कहा है कि आर्य समाज उन सभी देश विरोधी शक्तियों का विरोधी है जो किसी न किसी प्रकार से भारत की प्राचीन वैदिक संस्कृति का विनाश करने में लगी हुई हैं। ‘उगता भारत’ के साथ विशेष बातचीत […]
ओसामा बिन लादेन एक अच्छा पिता. बुरहान वानी गरीब हेडमास्टर का बेटा. पुलवामा का विस्फोट करने वाला सताया हुआ मासूम अनेक पत्रकार एक विशेष समूह को उत्पीड़क और दूसरे को उत्पीड़ित बताने का अघोषित लक्ष्य रखते रहे हैं। खबरों को आधे-अधूरे प्रस्तुत करना, तोड़ना-मरोड़ना, कभी उत्पीड़क तो कभी उत्पीड़ित की पहचान छिपाना, अथवा खूब […]
ग्रेटर नोएडा। ( विशेष संवाददाता) यहां पर गुरुकुल मुर्शदपुर में चल रहे चतुर्वेद प्राणी यज्ञ में यज्ञ के ब्रह्मा देव मुनि जी महाराज ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि जब सर्वत्र अज्ञान अंधकार फैल गया था तब महर्षि दयानंद का आगमन हम सबके लिए बहुत ही सौभाग्य प्रदरहा । महर्षि दयानन्द ने सन् […]
डॉ. वंदना सेन उपन्यास सम्राट प्रेमचंद्र का जन्म 31 जुलाई 1880 को उत्तरप्रदेश के वाराणसी शहर से चार मील दूर लमही नामक गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम अजायब राय और माता का नाम आनंदी देवी था। प्रेमचंद ने साहित्य की अनेक विधाओं पर अपनी लेखनी चलायी। महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद का साहित्य कालजयी […]
समाज में प्रत्येक व्यक्ति के दूसरे लोगों से जो आपसी संबंध होते हैं, वह प्रायः अलग-अलग प्रकार के हो सकते हैं। मोटे तौर पर हम इन्हें आठ प्रकार में विभाजित कर सकते हैं। 1-सहभागी 2- सहयोगी 3-समर्थक 4-प्रशंसक 5-समीक्षक 6-आलोचक 7-विरोधी 8-शत्रु हम सब के प्रति अलग-अलग प्रकार के आकलन करके उसके साथ उसी तरह […]
“किसी से कुछ मांगने पर अथवा सहयोग लेने पर व्यक्ति के स्वाभिमान पर चोट लगती है। इस चोट से बचने के लिए दूसरों से सहयोग लेने का विचार कम ही रखें, और अधिक से अधिक स्वात्मनिर्भर होकर स्वाभिमान से जिएं।” जीवन जीने की पहली पद्धति — “कुछ लोग स्वाभिमानी होते हैं, जो स्वात्मनिर्भर होकर जीवन […]
“यदि वृक्ष के फल चाहिएँ, तो पहले वृक्ष का विकास एवं उस की सुरक्षा करनी होगी।” फल कहां लगते हैं? वृक्षों पर। अतः फल प्राप्त करने के लिए पहले वृक्षों की आवश्यकता है। उसके बाद ही फल मिल सकते हैं। इस बात को यदि दार्शनिक भाषा में कहें, तो ऐसे कहेंगे, कि “कारण के बिना […]
आचार्य करण सिंह नोएडा “श्रीमद् वेदभागवत की कथा पढ़ो- सुनो”– वेद में उपदेश है-‘सं श्रुतेन गमेमहि मा श्रुतेन विराधिषि।।अथर्व• भावार्थ- हे परमेश्वर! हम सदा वेद मार्ग पर चलें कभी वेद से विमुख न हो। भारत के प्रसिद्ध महाकवि तुलसीदास जी ने भी मनुष्य को संदेश दिया है- चलहि° कुपन्थ वेद मग छाडे, कुटिल कुचाली कलि […]