ओ३म् ========== हमारा यह संसार प्रकृति से बना है। प्रकृति की संसार में स्वतन्त्र सत्ता है। इस अनादि व कारण प्रकृति को परमात्मा व अन्य किसी सत्ता ने नहीं बनाया है। इस प्रकृति का अस्तित्व स्वयंभू और अपने आप है। प्रकृति की ही तरह में संसार में ईश्वर व जीव भी दो इतर सत्य एवं […]
लेखक: मनमोहन कुमार आर्य
ओ३म् =========== सभी मनुष्य बुद्धि रखते हैं जो ज्ञान प्राप्ति में सहायक होने के साथ सत्य व असत्य का निर्णय कराने में भी सहायक होती है। एक ही विषय में अनेक मनुष्यों व आचार्यों के विचार भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। यह भी सत्य एवं प्रामणिक तथ्य है कि एक विषय में सत्य एक ही होता […]
ओ३म् ========== हमें ज्ञात है व ज्ञात होना चाहिये कि संसार में तीन अनादि व नित्य पदार्थों का अस्तित्व है। यह तीन पदार्थ ईश्वर, जीव व प्रकृति हैं। ईश्वर व जीव सत्य एवं चेतन पदार्थ हैं। ईश्वर स्वभाव से आनन्द से युक्त होने से आनन्दस्वरूप है तथा जीव आनन्द व सुख से युक्त न होने […]
ओ३म् ========== वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून महात्मा आनन्द स्वामी जी की प्रेरणा से बावा गुरुमुख सिंह, अमृतसर द्वारा स्थापित वैदिक ध्यान साधना का देश का प्रमुख केन्द्र व आश्रम है। लगभग 7 दशक पहले इस आश्रम की स्थापना हुई थी। इस आश्रम का स्वर्णिम अतीत है। हम इस आश्रम से सन् 1970 से एक […]
ओ३म् =========== आज का युग प्रचार का युग है। हमारे सिद्धान्त व विचारधारा भले ही सर्वोत्तम व मनुष्य की उन्नति में अद्वितीय व अपूर्व क्यों न हो, यदि इसका व्यापक रूप से प्रचार नहीं किया जायेगा तो इसके अनुयायियों की संख्या नगण्य ही रहेगी। यह हम सबका अनुभव है। हम देखते हैं संसार में अनेकानेक […]
ओ३म् =============== संसार में वर्तमान समय में सहस्राधिक अवैदिक मत प्रचलित हैं जिनकी प्रवृत्ति व प्रचलन पांच हजार वर्ष पूर्व हुए महाभारत युद्ध के बाद हुआ है। सभी मतों का आधार चार प्रमुख मत हैं जो पुराण, जैन मत के ग्रन्थों, बाईबल तथा कुरान आदि ग्रन्थों के आधार पर प्रचलित हुए हैं। महाभारत युद्ध से […]
ओ३म् =========== मनुष्य का आत्मा सत्य व असत्य का जानने वाला होता है परन्तु अपने प्रयोजन की सिद्धि, हठ, दुराग्रह तथा अविद्या आदि दोषों के कारण वह सत्य को छोड़ असत्य में झुक जाता है। ऐसा होने पर मनुष्य की भारी हानि होती है। मनुष्य को सत्य को पकड़ कर रखना चाहिये और असत्य मार्ग […]
ओ३म् =============== हमारा विश्व अनेक देशों में बंटा हुआ है। सभी देशों के अपने अपने मत, विचारधारायें तथा परम्परायें आदि हैं। कुछ पड़ोसी देशों में मित्रता देखी जाती है तो कहीं कहीं पर सम्बन्धों में तनाव भी दृष्टिगोचर होता है। दो देशों का तनाव कब युद्ध में बदल जाये इसका अनुमान नहीं किया जा सकता। […]
ओ३म् =============== हमारा विश्व अनेक देशों में बंटा हुआ है। सभी देशों के अपने अपने मत, विचारधारायें तथा परम्परायें आदि हैं। कुछ पड़ोसी देशों में मित्रता देखी जाती है तो कहीं कहीं पर सम्बन्धों में तनाव भी दृष्टिगोचर होता है। दो देशों का तनाव कब युद्ध में बदल जाये इसका अनुमान नहीं किया जा सकता। […]
ओ३म् =================== हम मनुष्य इस कारण से हैं कि हम अपने मन व बुद्धि से चिन्तन व मनन कर सत्यासत्य का निर्णय करने सहित सत्य का ग्रहण एवं असत्य का त्याग करते हैं। यह कार्य पशु व पक्षी योनि के जीवात्मा नहीं कर सकते। इसका कारण यह है कि पशु व पक्षियों आदि के पास […]