-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। सृष्टि के आरम्भ में परमात्मा ने वनस्पति जगत सहित पृथिवी पर अग्नि, जल, वायु, आकाश आदि पदार्थ प्रदान किये थे। जब यह पृथिवी मनुष्यों के निवास के अनुकूल हुई वा बन गई तो इसमें पशु, पक्षी आदि नाना प्रकार के प्राणियों सहित मनुष्यों की रचना व उत्पत्ति की गई। मनुष्य के […]
लेखक: मनमोहन कुमार आर्य
-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। हमारा यह संसार एक सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, अनादि, नित्य तथा सर्वशक्तिमान सत्ता से बना है। ईश्वर में अनन्त गुण हैं। उन्हीं गुणों में उसका सत्य, चित्त व आनन्द गुण सहित सर्वव्यापक तथा सर्वान्र्यामी होना भी सम्मिलित है। अनादि व नित्य होने से वह काल से परे है। उसका आरम्भ व अन्त नहीं […]
ओ३म् ============ मनुष्य चेतन प्राणी है। चेतन होने के कारण इसे सुख व दुख की अनुभूति होती है। सभी मनुष्य सुख चाहते हैं, दुःख प्राप्त करना कोई मनुष्य नहीं चाहता। ऐसा होने पर भी अनेक कारणों से हमें सुख व दुःख दोनों ही प्राप्त होते हैं। मनुष्य को सुख प्राप्त करने के लिये प्रयत्न व […]
-मनमोहन कुमार आर्य प्रकाश करने की आवश्यकता वहां होती है जहां अन्धकार होता है। जहां प्रकाश होता है वहां दीपक जलाने वा प्रकाश करने की आवश्यकता नहीं होती। हम महाभारत काल के उत्तरकालीन समाज पर दृष्टि डालते हैं तो हम देखते हैं कि हमारा समाज अनेक अज्ञान व अविद्यायुक्त मान्यताओं के प्रचलन से ग्रस्त था। […]
-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। मनुष्य जब किसी कार्य को उचित रीति से ज्ञानपूर्वक करता है तो उसका इष्ट व प्रयोजन सिद्ध होता है। उपासना भी ईश्वर को उसके यथार्थ स्वरूप में जानकर उचित विधि से करने पर ही सार्थक व लाभकारी सिद्ध होती है। उपासना के लिये ही प्राचीन काल में ऋषि पतंजलि ने योगदर्शन […]
-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। वेद सृष्टि के आदि ग्रन्थ होने सहित ज्ञान व विज्ञान से युक्त पुस्तक हैं। वेद जितना प्राचीन एवं सत्य मान्यताओं से युक्त अन्य कोई ग्रन्थ संसार में नहीं है। वेद से मनुष्य के जीवन के सभी पहलुओं पर प्रकाश पड़ता है और मार्गदर्शन प्राप्त होता है। वेदों के सत्यार्थ को जानकर […]
-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून हम इस संसार में जन्में हैं व इसमें निवास कर रहे हैं। हमारी आंखें सीमित दूरी तक ही देख पाती हैं। इस कारण हम इस ब्रह्माण्ड को न तो पूरा देख सकते हैं और अपनी अल्पज्ञता के कारण इसको पूरा पूरा जान भी नहीं सकते हैं। सभी मनुष्यों में यह इच्छा […]
-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। मनुष्य अल्पज्ञ प्राणी है। परमात्मा ने सब प्राणियों को स्वभाविक ज्ञान दिया है। मनुष्येतर प्राणियों को अपने माता, पिता या अन्य किसी आचार्य से पढ़ना व सीखना नहीं पड़ता। वह अपने स्वभाविक ज्ञान के सहारे अपना पूरा जीवन व्यतीत कर देते हैं। इसके विपरीत मनुष्य के पास स्वाभाविक ज्ञान इस मात्रा […]
ओ३म् -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। हमारी सृष्टि ईश्वर की रचना है। यह ऐसी रचना है जिसकी उपमा हम अन्य किसी रचना से नहीं दे सकते। ऐसी रचना ईश्वर से अतिरिक्त कोई कर भी नहीं सकता। परमात्मा प्रकाशस्वरूप एवं ज्ञानवान् सत्ता है। ज्ञानवान होने सहित परमात्मा सर्वशक्तिमान भी हैं। वह सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वव्यापक, सर्वान्तयामी एवं सर्वज्ञ […]
मनमोहन कुमार आर्य हम स्वयं को मनुष्य कहते व मानते हैं। संसार में जहां भी दो पैर वाले मनुष्य की आकृति वाले प्राणी जो बुद्धि से युक्त होते हैं, उन्हें मनुष्य कहा जाता है। प्रश्न यह है कि क्या हम वास्तव में मनुष्य हैं? यदि हैं तो क्यों व कैसे है? इन प्रश्नों का उत्तर […]