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समाज

महर्षि दयानंद जी का स्वलिखित जीवन चरित्र, भाग 12 • मथुरा के अमरलाल जोशी को कभी न भूलूंगा-

मथुरा में एक भद्रपुरुष अमरलाल नाम का था। उसने भी जब मैं विद्याध्ययन करता था, उस समय जो मेरे पर उपकार किये हैं उनको मैं कभी न भूलूंगा। पुस्तकों की सामग्री, खाने-पीने का प्रबन्ध उसने बहुत ही उत्तम मेरा कर दिया। उसे जब कहीं बाहर रोटी खाने को जाना होता तो प्रथम मुझको घर में […]

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समाज

महर्षि दयानंद जी का स्वलिखित जीवन चरित्र, भाग 11 योगियों की खोज में नर्मदा के स्रोत की ओर-

चैत सुदी संवत् १९१४ वि० अर्थात् २६ मार्च सन् १८५७ बृहस्पतिवार को वहां से आगे चल पड़ा और उस ओर प्रयाण किया जिधर पहाड़ियां थीं और जिधर नर्मदा नदी निकलती है अर्थात् उद्गमस्थान की ओर चला (यह नर्मदा की दूसरी यात्रा थी ) मैंने कभी एक बार भी किसी से मार्ग नहीं पूछा। प्रत्युत दक्षिण […]

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समाज

महर्षि दयानंद जी का स्वलिखित जीवन चरित्र, भाग 10 रावल जी से अन्तिम भेंट-

मुझे देखकर रावज जी और उनके साथी, जो सब घबराये हुए थे, आश्चर्य चकित रह गये और उन्होंने मुझसे पूछा कि आज सारे दिन तुम कहां रहे ? तब मैंने जो कुछ हुआ था अक्षरशः सुना दिया। उस रात्रि को थोड़ा सा खाना खाकर, जिससे कि मेरी शक्ति नये सिरे से लौटती हुई प्रतीत हुई- […]

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देश विदेश संपादकीय

मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस 12 मार्च पर विशेष : भारत मॉरीशस संबंध और राष्ट्रपति मुर्मू की मॉरीशस यात्रा

12 मार्च मॉरीशस का राष्ट्रीय दिवस है। इसी दिन यह देश 1968 में ब्रिटेन से आजाद हुआ था। मुझे मेरे मॉरीशस प्रवास के समय मॉरीशस और भारत के संबंधों पर गहरी पकड़ रखने वाले श्री राजनारायण गति जी ने बताया था कि 12 मार्च को ही महात्मा गांधी ने अपना ऐतिहासिक दांडी मार्च आरंभ किया […]

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समाज

महर्षि दयानंद जी का स्वलिखित जीवन चरित्र, भाग 9 ओखीमठ का आडम्बर, ‘सत्य, योगविद्या व मोक्ष की खोज के लिये पागल ने ऐश्वर्य को यहां भी लात मारी-

परन्तु इस यात्रा की लालसा मुझे ओखीमठ को फिर ले गई ताकि वहाँ गुफा निवासियों का वृत्तान्त जानू । सारांश यह कि वहाँ पहुंच कर मुझे ओखीमठ के देखने का अच्छा अवसर प्राप्त हुआ जो कि बाहरी आडम्बर करने वाले पाखंडी साधुओं से भरा हुआ था। यहां के बड़े महन्त ने मुझे अपना चेला करने […]

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संपादकीय

मुगल वंश और राम भक्तों के बीच संघर्ष

मुगल थे शत्रु भारत के जो आए नाश करने को, करी इस्लाम की खिदमत मिटाके सनातन को। करें गुणगान मुगलों के खाकर अन्न भारत का, वह भी शत्रु भारत के ना समझे हैं सनातन को।। बाबर के पश्चात उसके साम्राज्य का उत्तराधिकारी उसका बड़ा बेटा हुमायूं बना। हुमायूं से बाबर कहकर मरा था कि वह […]

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समाज

महर्षि दयानंद जी का स्वलिखित जीवन चरित्र, भाग 8 केदार घाट आदि में पंडितों व ब्राह्मणों से भेंट-

तत्पश्चात् मैं वहां से श्रीनगर को चल पड़ा। यहां मैंने केदारघाट पर एक मंदिर में निवास किया। यहां के पंडितों से बातचीत के समय जब कोई वादानुवाद का अवसर होता तो उनको उन्हीं तन्त्रों से हरा देता था। इस स्थान पर एक गंगागिरी नामक साधु से (जो दिन के समय अपने पर्वत से, जो एक […]

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महत्वपूर्ण लेख संपादकीय

सीएए अर्थात सरकार का एक अभिनंदनीय निर्णय

1947 में जब सांप्रदायिक आधार पर देश का विभाजन हुआ तो पाकिस्तान में ढाई से 3 करोड हिंदू उसे अपना वतन मानकर वहीं रह गये थे। उस समय पाकिस्तान के निर्माता जिन्नाह ने हिंदुओं को यह विश्वास दिलाया था कि पाकिस्तान धर्मनिरपेक्षता के मार्ग पर चलेगा। जिससे गैर मुसलमानों को पाकिस्तान में रहने से किसी […]

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भारतीय संस्कृति

राम मन्दिर की कानूनी लड़ाई , भाग 2

प्रमाण हमारे पास हैं , करते यही बखान। राम का मंदिर था यहां, गाता हिंदुस्तान।। 1858 में हुई घटना के 27 वर्ष पश्चात 1885 में राम जन्मभूमि के लिए लड़ाई न्यायालय पहुंची। यही वह वर्ष था जब निर्मोही अखाड़े के मंहत रघुबर दास ने फैजाबाद के न्यायालय में स्वामित्व को लेकर दीवानी मुकदमा दायर किया। पूर्व […]

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भारतीय संस्कृति

राम मन्दिर की कानूनी लड़ाई ,भाग – 1

मंदिर हमारी आस्था, मंदिर ही पहचान। मंदिर हमारी अस्मिता, मंदिर ही था शान।।   मीरबाकी खान ने अयोध्या स्थित राम मंदिर को चाहे धरातल से समाप्त कर दिया हो, पर वह उसे हिंदू समाज के दिलों से समाप्त नहीं कर पाया था। मंदिर हमारी राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक था। हमारी आस्था का प्रतीक था । […]

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