184 संसार नदिया बह रही, आशा जिसका नाम। जल मनोरथ से भरी, कलकल कहे प्रभु नाम।। कलकल कहे प्रभु नाम, उठती तरंग तिरसना। राग द्वेष के मगर घूमते, मार रही है रसना।। तर्क वितर्क के पक्षी जल में, करते खुले विहार। अज्ञान रूपी भंवर देखकर, व्याकुल है संसार।। 185 जग नदिया के घाट पर, भई […]
लेखक: डॉ॰ राकेश कुमार आर्य
मुख्य संपादक, उगता भारत
अजीज कुरैशी कांग्रेस के बड़े नेता हैं। कांग्रेस की परंपरागत तुष्टिकरण की नीति के चलते इन जैसे नेताओं को एक वर्ग विशेष के विरुद्ध बोलने का और घृणा का व्यापार करने का पूरा अधिकार प्राप्त रहता है। आजादी से पहले भी कांग्रेस के मंच से नफरत का माहौल बनाने में कांग्रेस के तत्कालीन मुस्लिम नेताओं […]
181 फटी पुरानी गूदड़ी , और चिंता जिससे दूर। भिक्षा ले भोजन करे, आनंद करे भरपूर।। आनंद करे भरपूर , नाम ईश्वर का भजता। नींद लेय बड़ी मस्ती से, मस्त सदा ही रहता। राग द्वेष से मुक्त , कटे जिसकी जिंदगानी।। वह गूदड़ी बड़ी कीमती, बेशक फटी पुरानी।। 182 उदय – अस्त हो सूर्य, उमर […]
178 अनुकूल पति के जो चले, वही है उत्तम नार । आज्ञा उसकी मानकर, करत सभी ब्यौहार।। करत सभी ब्यौहार , कभी ना उल्टी चलती। करे सहज स्वीकार , यदि हो जाए गलती।। रखती मीठी वाणी, आचरण करे ना प्रतिकूल।। मति और गति सब ,रखती स्वामी के अनुकूल।। 179 जिसके मन में लोभ है, दुर्गुण […]
175 श्रेष्ठ पुरुष की संगति , सबसे ऊंचा लाभ। मूरख के संग जो रहे, जाय दुखों के धाम।। जाय दुखों के धाम , कभी ना चैन से सोता। मूर्ख संगत से बड़ा , कोई नहीं दुख होता।। श्रेष्ठ पुरुष के संग से, सुधरे जीवन की गति। प्रारब्ध के योग से , हो श्रेष्ठ पुरुष की […]
172 छाल के कपड़े पहन के, मुनि बहुत संतुष्ट। हीरे सोने लाद कर , राजा हुआ संतुष्ट।। राजा हुआ संतुष्ट, दोनों का संतोष बराबर। दरिद्र वही होता मानव, तृष्णा करे उजागर।। तृष्णा के वशीभूत हो, दरिद्र का बिगड़े हाल। वह संतोषी धनवान है, पहने वृक्ष की छाल।। 173 मीत ! यह संभव नहीं, सज्जन बदले […]
अध्याय … 57 169 परहित के लिए त्याग दें, अपना सब धन माल। सत्पुरुष होते वही, गीत गाय संसार।। गीत गाय संसार , करें सब वंदन उनका। आत्मकल्याण, जग उत्थान, धर्म हो जिनका।। जगहित करे सो उत्तम, मध्यम करे अपना हित। नीच करे दूजों को हानि, सबसे उत्तम परहित।। 170 वाणी मीठी बोलिए, गहना सबसे […]
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने लालकिले की प्राचीर से लगातार अपना 10 वां भाषण दिया है। वह देश के ऐसे पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री हैं जिन्हें निरंतर 10 बार लालकिले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। अबसे पहले कांग्रेस के पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के ऐसे प्रधानमंत्री रहे जिन्होंने लगातार […]
166 जो करना उत्तम कर्म, कर डालो तुम आज। मौत शिकंजा कस रही,पूरण कर लो काज।। पूरण कर लो काज , ना फिर समय मिलेगा। जो कुछ भी पैदा किया ,सब कुछ यहीं रहेगा।। उत्तम कर्म ही संसार में , कहलाता है धर्म। याद धर्म को राखिए, जो करना उत्तम कर्म।। 167 गीता ने समझा […]
163 कामवासना रोग है, दुखदाई हो जाय। मोह भयंकर है रिपु, बंधन लोभ बताय ।। बंधन लोभ बताय , क्रोध भयंकर अग्नि। जो इनमें फंस गया, राह मौत की पकड़ी।। कामी फंसे काम में, लज्जा उड़ाए वासना। ऋषियों ने ऐसा कहा, रोग है कामवासना।। 164 धन चाहिए तो नींद का, करना है परित्याग। तंद्रा , […]