‘हम ने शक्ति को छोड़ दिया है और इसलिए शक्ति ने भी हमें छोड़ दिया है। … __________________________________ श्री अरविन्द ने सौ साल पहले ही कहा था कि भारत की सब से बड़ी समस्या विदेशी शासन नहीं है। गरीबी भी नहीं है। सब से बड़ी समस्या है – सोचने-समझने की शक्ति का ह्रास! इसे उन्होंने […]
लेखक: डॉ॰ राकेश कुमार आर्य
मुख्य संपादक, उगता भारत
प्रति वर्ष मक्का में हज पर काबा की परिक्रमा करने लाखों मुस्लमान आते हैं. भारत से हज जाने वालों की संख्या अब दो लाख मुस्लिम प्रति वर्ष हो गयी है | ऐसा माना जाता है कि दुनिया भर के मुसलमानों के लिए काबा मात्र एक कमरा नहीं अपितु सारी कायनात के मालिक अल्लाह का घर […]
कांग्रेसियों की ओर से अक्सर यह कहा जाता रहा है कि सावरकर वीर नहीं कायर थे और उन्होंने अंग्रेजों से माफी मांगी थी इस बारे में आज हम आपको इसका सच बता रहे हैं।इस विषय उपलब्ध ऐतिहासिक दस्तावेज और उससे जुड़े संदर्भ ग्रंथ भी सावरकर को एक कट्टर देशभक्त सिद्ध करते हैं। इतिहासकार और लेखक […]
देश की तीसरी लोकसभा का गठन 1962 में हुआ था । इसी वर्ष हमारे देश को चीन के हाथों करारी पराजय का सामना भी करना पड़ा । तीसरी लोकसभा का कार्यकाल 1967 तक रहा । किस लोकसभा के कार्यकाल में कई ऐसी ऐतिहासिक घटनाएं हुई जो इस लोकसभा को इतिहास में कुछ खास बना गयीं […]
डाॅ. राकेश राणा करुणा ही आम सहमति और सद्भाव ला सकती है, यदि सच्ची भावना से उसका पालन किया जाय। दैनंदिन जीवन में यह सोच सार्वजनिक नीति और समाज में लोकतांत्रिक भाव के लिए मार्गदर्शक हो सकती है- स्वामी विवेकानंद श्रीविश्वनाथ दत्त के घर में 12 जनवरी,1863 को बालक नरेन्द्र दत्त का जन्म हुआ जो […]
ओ३म् ========== हम इस संसार में रहते हैं और हमसे पहले हमारे पूर्वज इस सृष्टि में रहते आये हैं। संसार में प्रचलित मत-मतान्तर तो कोई लगभग दो हजार और कोई पन्द्रह सौ वर्ष पुराना है, कुछ इनसे भी अधिक प्राचीन और कुछ अर्वाचीन हैं, परन्तु यह सृष्टि वैदिक मत व गणना के अनुसार 1.96 अरब […]
ओ३म् =========== ऋषि दयानन्द वेदों के मर्मज्ञ विद्वान, वेदमन्त्रों के द्रष्टा एवं भाष्यकार होने सहित एक सच्चे एवं आदर्श मनुष्य वा महापुरुष थे। वह वेदोद्धारक, धर्माचार्य, धर्म के सिद्धान्तों को तर्क की तराजू पर तोल कर प्रस्तुत करने वाले देवपुरुष भी थे। तर्क-युक्ति से रहित, मनुष्य समाज के लिए अहितकर तथा समाज के किसी एक […]
ओ३म् ========== जीवात्मा एक अत्यन्त अल्प परिमाण वाली चेतन सत्ता है। यह अल्प ज्ञान एवं अल्प शक्ति से युक्त होती है। इसका स्वभाव व प्रवृत्ति जन्म व मरण को प्राप्त होना है। जीवात्मा में मनुष्य व अन्य प्राणी-योनियों में जन्म लेकर कर्म करने की सामर्थ्य होती है। मनुष्य योनि में जन्म का कारण इसके पूर्वजन्म […]
========= मनुष्य विचार करे तो उसे संसार में अपने लिये सबसे अधिक महत्वपूर्ण व उपकारी माता-पिता का संबंध प्रतीत होता है। माता-पिता न होते तो हम व अन्य कोई मनुष्य इस कर्मभूमि रूपी संसार में जन्म नहीं ले सकता था। माता-पिता की भूमिका यदि जन्म तक ही सीमित होती तो भी उनका अपनी सन्तानों के […]
8 जनवरी 1026 का है दिवस जब महमूद गजनवी ने सोमनाथ के मंदिर पर आक्रमण किया था , आज हमें अनायास ही याद हो आया । इस पोस्ट का लिखने का अभिप्राय महमूद गजनवी के आक्रमण को महिमामंडित करना नहीं है , अपितु उसके आक्रमण के समय हमारे देश के वीरों के द्वारा सोमनाथ मंदिर […]