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विशेष संपादकीय

ज्योति से ज्योति जगाते चलो

चढ़ते सूर्य को नमस्कार करने की भारतीय परंपरा बहुत प्राचीन है, वैज्ञानिक है। सूर्य आकाश में चढ़कर ही ढंग से प्रकाश फेेलाता है। इसलिए इस साधना के पीछे साधक की भावना है कि मैं भी ऊंचा चढ़कर संसार में अज्ञानांधकार को मिटाने के लिए प्रकाश फेेलाने वाला बनूं। इसलिए वेद ने कहा-उद्यानं ते पुरूष नावयानम्। […]

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विशेष संपादकीय

बंद मुट्ठी लाख की…

तीन व्यक्ति जा रहे थे। उन तीनों की मुठ्ठियां बंद थीं और वे आपस में बिना बात किये चुप अपने गंतव्य की ओर बढ़े जा रहे थे। एक व्यक्ति ने दूर से उन्हें अपनी ओर मौनावस्था में आते देखा। वह व्यक्ति उन तीनों के अपने निकट आने पर उनकी बंद मुट्ठी देखकर उनके प्रति और […]

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विशेष संपादकीय वैदिक संपत्ति

मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-17

गतांक से आगे…..‘उदय अगस्त पंथजल सोखा’ यह तुलसीदास ने भी लिखा है। संभव है नहुष आकाशस्थ पदार्थों में से बादल ही हो। क्योंकि ऋग्वेद 10/49/8 में वह सप्ताहा-सात किरणों का मारने वाला कहा गया है। जो बादल के सिवा और कुछ नही हो सकता। महाभारत की कथा के अनुसार नहुष ने इंद्र का पद पाया […]

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विशेष संपादकीय

हमारी जिन्दादिली और हमारा लोकतंत्र

दिल के टूटने पर भी हंसना,शायद जिंदादिली इसी को कहते हैं।ठोकर लगाने पर भी मंजिल तक भटकना,शायद तलाश इसी को कहते हैं।किसी को चाहकर भी न पाना,शायद चाहत इसी को कहते हैं।टूटे खंडहर में बिना तेल के दीया जलाना,शायद उम्मीद इसी को कहते हैं।गिर जाने पर भी फिर से खड़ा होना,और ये उम्मीद, हिम्मत, चाहत […]

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विशेष संपादकीय वैदिक संपत्ति

मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-16

गतांक से आगे…..इन किसानों के पशु क्या हैं? सो भी देखिए-एह यन्तु पशवो से परेयुर्वायुर्येषां सहचारं जुजोष।त्वष्टा येषां रूपघेयानि वेदास्मिन तान गोष्ठे सविता नि यच्छतु ।।अर्थात जिन पशुओं का सहचारी वायु है, त्वष्टा जिनके नामरूप जानता है और जो बहुत दूर है, उनको सविता सूर्य गोष्ठ में पहुंचावे।वैदिक जानते हैं कि सूर्यकिरणों को गौ और […]

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विशेष संपादकीय

नेता बना रहे हैं देश का मूर्ख

मुजफ्फरनगर दंगों के विषय में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि ये दंगा सरकार की लापरवाही से भड़का था। सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार को दंगा रोकने के लिए आवश्यक उपाय न करने और लापरवाही बरतने के लिए उत्तरदायी माना है। इसके लिए माननीय न्यायालय ने दोषी अधिकारियों […]

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विशेष संपादकीय वैदिक संपत्ति

मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-15

गतांक से आगे…..वेदों के ऐतिहासिक पुरूषों का अर्थात नहुष ययाति के स्वर्ग का वर्णन तो पुराणों मेें किया, पर इस युद्घ का वर्णन क्यों नही किया? बात तो असल यह है कि पुराण तो मिश्रित इतिहास कहते हैं। इसमें तो मिश्रण भी नही है, तो कोरे वैदिक अलंकार हैं, इंद्रवृत्त के वर्णन हैं और तारा […]

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विशेष संपादकीय

भावों की उज्ज्वलता से ही दोषों का शमन होता है

संसार में काम, क्रोध, मद, मोह लोभादि के कितने ही विकार बताये गये हैं, परंतु विद्वानों ने ‘भावों की निकृष्टता’ को सबसे अधिक घातक विकार बताया है। चिंतन का दूषित हो जाना सचमुच बड़ा घातक है। इसी चिंतन के कारण मनुष्य कहीं पिता से, कहीं पुत्र से, कहीं पत्नी से, कहीं पुत्री से, माता से […]

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विशेष संपादकीय वैदिक संपत्ति

मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-14

गतांक से आगे…..हमारे अब तक के कथन का निष्कर्ष यह है कि प्रथम विभाग वाले चमत्कारी वर्णन वेदों के हैं और दूसरे विभाग के वर्णनों का कुछ भाग वेदों का है और कुछ उस नाम के व्यक्तियों के इतिहासों का है, जिसे आधुनिक कवियों ने एक में मिला दिया है। अत: संभव और असंभव की […]

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विशेष संपादकीय

जब कलम से कांपते थे राजमहल

राजा सर रामपाल सिंह हिंदू महासभा के अध्यक्ष थे। उन्हीं के द्वारा ‘हिंदुस्तान’ पत्र का शुभारंभ किया गया था। पत्र के पहले संपादक थे महान हिंदूवादी और प्रखर राष्ट्रवादी चिंतक पंडित मदन मोहन मालवीय। मालवीय जी ने अपनी नियुक्ति से पहले ही राजा के समक्ष यह प्रस्ताव रख दिया था कि वे उन्हें कभी भी […]

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