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विशेष संपादकीय संपादकीय स्वर्णिम इतिहास

1857 की क्रान्ति का नायक धनसिंह गुर्जर कोतवाल

1857 की क्रान्ति मेरठ छावनी से 10 मई को शुरू हुई थी, वास्तव में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, बिहार केसरी कंवर सिंह, नाना साहब पेशव हजरत महल, अन्तिम मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर, बस्तखान , अहमदुल्ला, शाह गुलाम गोसखां तथा अजी मुल्ला खान आदि ने 31 मई 1857 की तारीख उस महान क्रान्ति के […]

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मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

कपिल मिश्रा और अरविन्द केजरीवाल की कलंक कथा

जलता हुआ प्रश्न एक ही, दिल्ली किसको बोल रही? रक्त चूसते भ्रष्टाचारी उनका घूंघट खोल रही। सपनों का महल जलाना राजनीति का व्यवसाय बना, कब तक इनसे जूझूंगी मैं? दिल्ली की माटी बोल रही। वास्तव में दिल्ली आज अपने आप पर लज्जित है। सवा दो वर्ष पूर्व दिल्ली ने जिन अपेक्षाओं के साथ अपनी शासन […]

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राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

‘लहरी’ नही ‘प्रहरी’ बनें जनप्रतिनिधि

राजनीति के व्यापार में अपना भाग्य आजमाने के लिए लोग तिजोरी का मुंह खोले रखते हैं। अपने विरोधी को मैदान से हटाने के लिए या अपने लिए मैदान साफ रखने के लिए राजनीतिक लोग हर प्रकार का हथकंडा अपनाते हैं। अभी दिल्ली में एम.सी.डी. के संपन्न हुए चुनावों में भाजपा की एक बागी प्रत्याशी को […]

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विशेष संपादकीय संपादकीय

राष्ट्र के जागरूक पुरोहित बाबा रामदेव

वेद का आदेश है- वयं राष्ट्रे जागृयाम् पुरोहिता:।। ‘अर्थात हम अपने राष्ट्र में जागरूक रहते हुए अग्रणी बनें। राष्ट्र का नेतृत्व करें।’ जो जागरूकों में भी जागरूक होता है, वही राष्ट्रनायक होता है, वही पुरोहित होता है। यज्ञ पर पुरोहित वही बन सकता है जो जागरूकों में भी जागरूक है, सचेत है, सजग है, सावधान […]

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विशेष संपादकीय संपादकीय

चीन भारत और दलाईलामा

चीन भारत और दलाईलामा चीन हमारा प्राचीन पड़ोसी देश है। इसे धर्म की दृष्टि देने वाला भारत है। इन दोनों देशों का बहुत कुछ सांझा है। यदि अतीत के पन्ने पलटे जाएं और उस पर ईमानदारी से कार्य हो तो पता चलेगा कि चीन भी कभी आर्यावत्र्त के अंतर्गत ही आता था। आज चीन ने […]

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विशेष संपादकीय संपादकीय

कम्युनिस्ट और नक्सलवाद

भारत में नक्सलवाद को कम्युनिस्ट आंदोलन की देन माना जा सकता है। वास्तव में कम्युनिस्ट अब एक आंदोलन नहीं रह गया है। यह अब एक मृत विचारधारा बन चुका है और विश्वशांति के समर्थक किसी भी संवेदनशील व्यक्ति के लिए अब ‘कम्युनिज्म’ में कोई आकर्षण नही रहा है। इसका कारण है कि साम्यवादी विचारधारा अपने […]

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विशेष संपादकीय संपादकीय

…कितना बदला इंसान

हरियाणा के पानीपत का रोंगटे खड़ा कर देने वाला प्रकरण सामने आया है। जहां के एक फार्महाउस के मालिक ने अपने जर्मनी मूल के कुत्ते से अपने नौकर मनीराम को नोंच-नोंच कर मरवा डाला है। नौकर का दोष केवल यह था कि वह अपने मालिक की नौकरी छोडऩे का मन बना रहा था, जबकि मालिक […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

वाह योगी जी वाह!

उत्तर प्रदेश को ‘उत्तम प्रदेश’ बनाने की बात कहने वाले ‘बीमार प्रदेश’ बनाकर छोडक़र गये हैं। साम्प्रदायिक आतंकवाद से जूझता रहा उत्तर प्रदेश ‘सरकारी आतंकवाद’ से भी जूझता रहा। यह ‘सरकारी आतंकवाद’ जातीय आधार पर अधिकारियों की नियुक्ति या पुलिस में भर्ती के रूप में तो देखा ही गया,  साथ ही अधिकारियों और पार्टी के […]

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विशेष संपादकीय संपादकीय

पीएम मोदी देश के गृहमंत्री को बदलें

भारत की राजनीति का धर्म बन गया है :- कहां की पूजा नमाज कैसी कहां की गंगा कहां का जमजम। डटा है होटल के दर पै हर एक इमें भी दे दो इक जाम साहब।। भारत के राजनीतिज्ञों की इस मानसिकता के चलते राष्ट्रधर्म पीछे रह गया है। फिर भी हम वर्तमान संदर्भों में अपनी […]

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विशेष संपादकीय

एक सराहनीय निर्णय – वी.आई.पी. कल्चर की विदाई

भारत का संविधान कानून के समक्ष समानता की बात कहता है। यदि भारतीय संविधान पर एक समीक्षात्मक दृष्टिपात किया जाए तो यह संविधान अपने मौलिक स्वरूप में सामंती परम्परा और उसके प्रतीकों को जारी रखने का विरोधी है और यह नहीं चाहता कि समाज में कोई ऐसा वर्ग या समुदाय पनपे या विकसित हो जो […]

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