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इतिहास के पन्नों से

1857 की क्रांति , धन सिंह गुर्जर कोतवाल और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन

10 मई 1857 की प्रातः कालीन बेला। स्थान मेरठ । क्रांति का प्रथम नायक धनसिंह गुर्जर कोतवाल। नारा – ‘मारो फिरंगियों को।’ मेरठ में ईस्ट इंडिया कंपनी की थर्ड केवल्री की 11 और 12 वी इन्फेंट्री पोस्टेड थी । 10 मई 1857 रविवार का दिन था। रविवार के दिन ईसाई अंग्रेज अधिकतर चर्च जाने की […]

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भारतीय संस्कृति

यज्ञ ही हमारे जीवन का आधार है

सादा जीवन उच्च विचार प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक जितने भी महापुरुष हुए हैं उन्होंने मनुष्य बनने के लिए मनुष्य को केवल एक ही नैतिक उपदेश दिया है कि मनुष्य को सादा जीवन और उच्च विचार के आदर्श को अपने जीवन में अंगीकृत करते हुए उत्थान के पथ पर आगे बढ़ना चाहिए। जिसके लिए […]

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कर्मफल सिद्धांत और मनुष्य की महत्वाकांक्षा

अपने अहंकार में रावण और दुर्योधन ने पाप कर्म और अनैतिक कर्म किए , जिनका फल उन्हें शर्मनाक के रूप में भुगतना पड़ा । इसी प्रकार से जो भी मनुष्य पाप कर्म और अनैतिक कर्म करता है उसका प्रतिफल उसे जन्म जन्मांतर तक भोगना पड़ता है। अहंकार के कारण मनुष्य राक्षस हो जाता है और […]

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भारतीय संस्कृति

विद्या की महिमा को समझिए

हमारे वैदिक समाज में मर्यादाओं का बड़ा सम्मान किया जाता है । अभी तक हमने कुछ मर्यादाओं पर ही विचार किया जैसे अपने दान को गोपनीय रखना, घर में आये अतिथि को सम्मान देना , भलाई करके चुप रहना ,अपने प्रति दूसरे को द्वारा किए गए उपकार को सबको बताना, संपदा में अभिमान न करना […]

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भारतीय संस्कृति

नारी को लेकर महर्षि मनु के विचार

जिस कार्य को करने में जो व्यक्ति कुशल हो , उसको वही कार्य सौपें जाने चाहिए। जैसे मनु महाराज ने कर्म के आधार पर ही चार वर्ण बनाए थे। जिनको आज जातिगत बना दिया गया है , जो मनु महाराज की सोच के विपरीत हैं । आप भी अपने घर में आज भी किसी उपयुक्त […]

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भारतीय संस्कृति

संसार की उलझन से कैसे पार हो

नींद में सपना देखा तो अच्छा लगा। नींद टूटने पर दुख हुआ । क्योंकि जागने पर जो देखा वह स्वप्न से अलग था। नाशवान प्रकृति के नाशवान दृश्यों में मन रम गया । तो मृगतृष्णा का शिकार हो गया। दूर-दूर तक भागने लगा । हताश निराश होकर अंत में मौत की गोद में समा गया। […]

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भारतीय संस्कृति

आसक्ति अर्थात ‘आशिकी’ से नाता तोड़ दो

हर मनुष्य को अपने जीवन में प्रसन्न रहना चाहिए क्योंकि प्रसन्नता सभी गुणों की जननी है। लेकिन अभिमान से दूर रहना चाहिए , क्योंकि अभिमान नरक का मूल है। मनुष्य को ‘बड़ा’ बनने के लिए अपनी गलती को स्वीकार करने में लज्जा का अनुभव नहीं करना चाहिए , बल्कि लज्जा का अनुभव उन कार्यों में […]

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भारतीय संस्कृति

जागो जल्दी यह सपने की माया

भारत के विषय में कैप्टेन सिडेनहम का कहना है-”हिन्दू सामान्यत: विनम्र, आज्ञापालक, गम्भीर, अनाक्रामक, अत्यधिक स्नेही एवं स्वामिभक्त किसी की बात को शीघ्रता से समझने में दक्ष, बुद्घिमान, क्रियाशील, सामान्यत: ईमानदार, दानशील, परोपकारी संतान की तरह प्रेम करने वाले विश्वासपात्र एवं नियम पालन करने वाले होते हैं। जितने भी राष्ट्रों से मैं परिचित हूं, सच्चाई […]

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भारतीय संस्कृति

प्रभु की अनंत कथा वेद को सुनने के अभ्यासी बनो

श्रीकृष्णजी कहते हैं कि अर्जुन ! जब देहधारी आत्मा सतोगुण की प्रधानता के काल में देह का त्याग करे तब वह उत्तम ज्ञानियों के निर्मल लोकों को प्राप्त होता है, अर्थात ऐसी स्थिति में आत्मा की सदगति हो जाती है। इसका अभिप्राय है कि किसी के लिए मरणोपरांत हमारा यह कहना कि उसकी आत्मा को […]

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भारतीय संस्कृति

चर्म चक्षुओं से अज्ञान का पर्दा तो हटाना ही पड़ेगा

गीता के 11 अध्याय में अध्याय में श्रीकृष्णजी ने अर्जुन को स्पष्ट किया कि ये जो हमारे चर्मचक्षु हैं ना-ये हमें इस भौतिक संसार को ही दिखाते हैं और हम ये मान बैठते हैं कि वह दिव्य शक्ति परमात्मा कोई और है, और यह संसार कुछ और है। जबकि इस संसार के रूप में ही […]

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