गतांक से आगे….. हम लिख आये हैं कि रावणादि ने मांसयज्ञ प्रचलित कर दिया था और उसका, अनार्य म्लेच्छों में खूब प्रचार था । हेमाद्रि- रामायण में लिखा है कि पूर्वसमय में अनार्य म्लेच्छों के संसर्ग से पतित हुआ पर्वतक नामी ब्राह्मण मरुत् राजा के पुत्र वसु राजा का सहपाठी होकर अन्त में उसका उपाध्याय […]
