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आज का चिंतन

वैशेषिक और उनके प्रणेता गौतम तथा कणाद

सांख्य की भाँति न्याय और वैशेषिक दर्शनों की भी परम्पराएँ बौद्धकाल से पहले ही विकसित हो चुकी थीं। इस बात के प्रचुर प्रमाण मिलते हैं। पूर्वोल्लिखित ‘वाकोवाक्य’ एवं ‘आन्वीक्षिकी’ इस बात के साक्ष्य हैं। इन दर्शनों का प्रादुर्भाव तत्त्व की खोज में उठनेवाले तर्क-वितर्क के फलस्वरूप हुआ। साथ ही विरोधी पक्षों द्वारा प्रस्तुत युक्तियों तथा […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति: इतिहास पशु हिंसा और अश्लीलता

गतांक से आगे…. सभी भाषाशास्त्री चाहते हैं कि यदि थोड़े से शब्दों के ही द्वारा संसार का काम चल जाय तो अच्छा । किन्तु पदार्थसाम्य से भिन्न – भिन्न पदार्थों का नाम एक ही शब्द के द्वारा रखने में बहुत ही ऊँचे ज्ञान की आवश्यकता है । अभी थोड़ी देर पहले हम लिख आये हैं […]

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आतंकवाद विशेष संपादकीय

केजरीवाल और अशांत होता पंजाब

पंजाब में एक पुलिस थाने पर खालिस्तान समर्थकों का हमला होना इस बात का संकेत और संदेश है कि आम आदमी पार्टी की सरकार के चलते पंजाब फिर आतंकवाद और अलगाववाद की डगर पर चल पड़ा है। वैसे भी यह एक सर्वमान्य सत्य है कि खालिस्तान समर्थकों का दिमाग ठीक नहीं है और विदेशी शक्तियां […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति: इतिहास पशु हिंसा और अश्लीलता गतांक से आगे….

इतिहास पशु हिंसा और अश्लीलता गतांक से आगे…. जिस प्रकार गौ शब्द के अनेक अर्थ हैं, उसी तरह वृषभ शब्द भी अनेक अर्थों में आता है। यहां हम वैद्यक के ग्रन्थों से दिखलाते हैं कि संस्कृत में जितने शब्द बैल के अर्थ में आते हैं, वे सब काकड़ासिंगी औषधि के लिए भी प्रयुक्त हुए हैं। […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति : इतिहास पशु हिंसा और अश्लीलता

इतिहास पशु हिंसा और अश्लीलता गतांक से आगे…. वैदिक कोष निघण्टु के देखने से ज्ञात होता है कि वेद में मेघ को अद्रि, अश्मा, पर्वत, गिरि और उपल भी कहते हैं। परन्तु ये सब शब्द लोक में पहाड़ों के लिए ही व्यवहार में पाते हैं। इसी तरह वेद में सगर और समुद्र शब्द अन्तरिक्ष के […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

महर्षि दयानंद की 200 वीं जयन्ती के अवसर पर चौथी किस्त : ऋषि दयानंद, राजा जयकृष्ण दास और सत्यार्थ प्रकाश

ऋषि दयानंद, राजा जयकृष्ण दास और सत्यार्थ प्रकाश सन 1874 में महर्षि दयानंद काशी में पुनः पधारे थे। उस समय मुरादाबाद निवासी श्री राजा जयकृष्ण दास सी.एस.आई. वहां के डिप्टी कलेक्टर थे ।उन्होंने महर्षि दयानंद सरस्वती से निवेदन किया कि आप के उपदेशों से जो लोग वंचित रह जाते हैं उन तक अपने विचार पहुंचाने […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

अनुपम और अनोखे ऋषि : दयानन्द सरस्वती

महर्षि दयानंद की 200 वी जयंती पर लेख की तृतीय किस्त ,  ” स्वामीजी महाराज पहले महापुरूष थे जो पश्चिमी देशों के मनुष्यों के गुरू कहलाये।… जिस युग में स्वामी जी हुए उससे कई वर्ष पहले से आज तक ऐसा एक ही पुरूष हुआ है जो विदेशी भाषा नहीं जानता था, जिसने स्वदेश से बाहर […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

स्वाधीनता का अमृत महोत्सव और महर्षि दयानंद

हम स्वतंत्रता के 75 वर्ष में स्वतंत्रता का महोत्सव मना रहे हैं। ऐसे ही पावन वर्ष में महर्षि दयानंद की 200 वी जन्मजयंती भी राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी धूमधाम के साथ बहुत ही उल्लास एवं उत्साह से भरपूर होकर हम मना रहे हैं। हां जी, हम उन महर्षि दयानंद की बात कर रहे हैं जिन्होंने […]

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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

1857 की क्रांति के जनक थे स्वामी दयानंद जी महाराज

महर्षि दयानंद की 200 वी जयंती पर विशेष आलेख गुजरात प्रांत की भूमि युगों युगों से महापुरुषों को पैदा करती आई है जिसनेअनेक महापुरुष भारत मां की गोद में रतन के रूप में प्रदान किए हैं। भारतवर्ष का गुजरात प्रांत बहुत ही महत्वपूर्ण रहा है। जिसका क्षेत्रफल बहुत ही विस्तृत, विशाल और विशद था। वर्तमान […]

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वैदिक संपत्ति : इतिहास, पशु हिंसा और अश्लीलता

पशुयज्ञों के संहिताकालीक न होने का बहुत बड़ा प्रमाण तैत्तिरीयसाहित्य में लिखा हुआ है। लिखा है कि- यद्दचोsध्यगीषत ताः पय आहुतयो देवानामभवन् । यद्यजूषि घृताहुतयो यत्सामानि सोमाहुतयो पदथर्वाङ्गिरसो मध्वाहुतयो यद्ब्राह्मणानि इतिहासान् पुराणानि कल्पान् गाथा नाराशंसीमँदाहुतयो देवानामभवन् । (तैत्तिरीय प्र 3 अ० 6 मं० 3) अर्थात् ऋग्वेद का पाठ देवताओं के लिए दूध की बाहुतियाँ, यजुर्वेद […]

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