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इतिहास के पन्नों से भयानक राजनीतिक षडयंत्र

इतिहास पर गांधीवाद की छाया, अध्याय 14 ( 1) गांधीजी और हिंदू मुस्लिम एकता

 

गांधीजी और हिंदू मुस्लिम एकता

8 सितम्बर 1920 को ‘यंग इंडिया’ में गांधी जी ने देश के हिन्दू – मुस्लिमों के बीच एकता और भाईचारे को बलवती करने हेतु तीन नारों पर जोर दिया था। उन्होंने कहा था कि ‘अल्लाह हो अकबर’, ‘भारत माता की जय’ और ‘हिन्दू-मुसलमान की जय’ – इन तीन नारों को क्रमश: लगाने में हिन्दू मुस्लिमों में से किसी को भी कोई समस्या नहीं होनी चाहिए ।


गांधी लिखते हैं कि ‘अल्लाह हो अकबर’ का नारा लगाने में किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए ,क्योंकि इसका अभिप्राय है कि ईश्वर महान है। गांधीजी की अपील पर स्वतन्त्रता आन्दोलन के समय हजारों हिन्दुओं ने ‘वन्देमातरम्’ और ‘अल्लाह हो अकबर’ का नारा एक साथ लगाया । पर जब मुसलमानों के सामने ‘अल्लाह हो अकबर’ और ‘वन्देमातरम’ का नारा एक साथ लगाने की बात आई तो मुसलमान ‘वन्देमातरम’ कहने से पीछे हट गए ।उनकी बात का समर्थन करते हुए ‘यंग इंडिया’ में ही गांधी जी ने फिर एक बार यह भी लिखा कि ‘किसी पर कोई नारा थोपा नहीं जाना चाहिए ।’

….. तब गांधीवाद मौन हो जाता है

वैसे हम स्वयं भी यह अनिवार्य मानते हैं कि भारत के समग्र विकास के लिए हिन्दू – मुस्लिम एकता अनिवार्य है । इसके साथ ही यह भी सत्य है कि हिन्दू- मुस्लिम एकता की बातें करना केवल हिन्दुओं पर ही लागू नहीं होना चाहिए । यह मुसलमानों से भी उतना ही अपेक्षित है जितना हिन्दुओं से। गांधीजी और गांधीवाद हिन्दू- मुस्लिम एकता के लिए केवल हिन्दुओं पर ही दबाव बनाता हुआ दिखाई देता है। जब कोई हिन्दू कहीं पर किसी मुसलमान का उत्पीड़न करता है तो उस पर गांधीवाद मुखर हो जाता है , पर गांधीवाद कभी इस बात पर कोई सर्वेक्षण नहीं करता, ना ही कोई समीक्षा करता कि देश में जहाँ – जहाँ भी मुस्लिम आबादी विकसित होने लगती है , वहाँ से हिन्दू क्यों पलायन करता है ? इस जहाँ पर पहले से ही हिन्दू बसा होता है , वहाँ पर यदि मुसलमान दो या चार परिवारों की संख्या में भी पहुँच जाएं तो कुछ समय उपरान्त ही हिन्दुओं के साथ ऐसी हरकतें करने लगते हैं , जिससे हिन्दू परिवार वहाँ से पलायन के लिए विवश हो जाएं । हिन्दू – मुस्लिम एकता की बात करने वाला गांधीवाद इस समस्या का स्थायी समाधान क्यों नहीं निकालता और क्यों नहीं मुसलमानों की ओर से ऐसी गारंटी हिन्दू समाज को दिलवाता कि वे स्वयं हिन्दू परिवारों की सुरक्षा के लिए आगे आएंगे और उनको अपने तीज – त्यौहार बड़े आराम से मनाने देंगे, उनकी बहन – बेटियों के साथ किसी भी प्रकार की असभ्यता या अभद्रता नहीं करेंगे ?

डॉक्टर अंबेडकर जी का व्यावहारिक चिन्तन

हिन्दू-मुस्लिम ‘शत्रुता’ के सम्बन्ध में डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर जी का गांधीजी की अपेक्षा अधिक व्यावहारिक दृष्टिकोण था । उन्होंने इस विषय में लिखा है कि हिन्दू कहते हैं कि अंग्रेजों की ‘फूट डालो और राज करो’ – की नीति ही ( हिन्दू-मुस्लिम एकता में) विफलता का कारण है। अब समय आ गया है कि हिन्दुओं को अपनी यह मानसिकता छोड़नी होगी, क्योंकि उनके दृष्टिकोण में दो अहम् मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया है। सर्वप्रथम, मुद्दा इस बात को दरकिनार करता है कि अंग्रेजों की ‘फूट डालो और राज करो’ – की नीति, तब तक सफल नहीं हो सकती जब तक हमारे बीच ऐसे तत्व न हों जो यह विभाजन सम्भव करा सकें और यदि यह नीति इतने लम्बे समय तक सफल रही तो इसका अर्थ है कि हमारे बीच विभाजन करने वाले तत्व ऐसे हैं, जिनमें कभी सामंजस्य स्थापित नहीं हो सकता और वो क्षणिक नहीं हैं। हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच क्या है, यह केवल एक अन्तर का मामला नहीं है और यह कि इस शत्रुता को भौतिक कारणों से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। यह अपने चरित्र में आध्यात्मिक है। यह उन कारणों से बनता है जो ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक प्रतिकार में अपना मूल पाते हैं; जिनमें से राजनीतिक प्रतिकार केवल एक प्रतिबिम्ब है। हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच इस प्रतिकार के चलते एकता की अपेक्षा करना अस्वाभाविक है। नीति से ध्यान हटाकर उसे रणनीति पर केंद्रित करने का समय अब आ चुका है।’
गांधी जी ने हिन्दू मुस्लिम एकता की तो बात की, परन्तु हिन्दू मुस्लिम शत्रुता के उन बिन्दुओं पर कभी चर्चा नहीं की जो इन दोनों समुदायों को भारतवर्ष में एक साथ न रहने देने के लिए प्रेरित करते आए थे । यह वही कारण थे जिन्होंने मुगलों के शासन काल में भी हिन्दुओं पर अत्याचार करने के लिए मुसलमानों को प्रेरित किया था और अंग्रेजों के काल में भी मुसलमानों को हिन्दुओं से अलग रहने की प्रेरणा देते रहे थे।
वास्तव में गांधी जी एक ऐसे वैद्य थे जो रोग के मर्म को न समझकर अपनी ओर से रोगी को जबरदस्ती एक ऐसी दवा देने का प्रयास कर रहे थे जो वास्तव में उसे और भी अधिक रोगी बनाती , परन्तु गांधीजी कहे जा रहे थे कि तुम दवाई लेकर तो देखो, तुम ठीक हो जाओगे।

 

डॉ राकेश कुमार आर्य

संपादक उगता भारत

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