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आतंकवाद

ऐसे भी संभव है लव जिहाद का निदान

#लव_जिहाद_का_निदान –
दिल्ली के गीता कालोनी में एक हिन्दू परिवार की 17 वर्षीय लड़की 12वीं कक्षा में पढ़ती थी, विद्यालय जाने के लिए आटो रिक्शा का प्रयोग करती थी, उसके साथ दो अन्य लड़कियां भी आटो से विद्यालय जाती थी। सामने शिवपुरी चौक पर रहने वाला इमरान आटो चलता था, इमरान ठीक समय पर लड़की के विद्यालय जाने के समय उसके घर के सामने खड़ा रहता और अन्य आटो वालों से कम पैसे लेकर लड़कियों को विद्यालय पहुँचा देता। धीरे-धीरे इमरान और उस लडकी में बात चित होने लगी, फिर प्यार-दुलार तक मामला पहुँच गया।

किसी ने लड़की की माँ को इस प्यार के विषय में जानकारी दे दी, माँ ने बेटी को समझाया-बुझाया फटकार लगाई किन्तु लड़की किसी न किसी बहाने लड़के से मिल ही लेती, स्थिति ये हो गई कि इमरान अब लड़की के घर पर आने लगा और परिवार को धमका कर बोलने लगा, इससे मैं ही निकाह करूँगा, राजी से या जबरन, तुमसे जो बने करलो। मामला दिल्ली पुलिस तक पहुँचा, पुलिस को स्थानीय आप नेता ने चुप करवा दिया। अब इस परिवार के पास अपनी लड़की को बचाने का कोई मार्ग नहीं बचा, लड़की के फूफा जी दिल्ली से कुछ दूर एक नगर में रहते हैं, उन्हें जब इस घटना की जानकारी हुई, तो वे दिल्ली अपनी ससुराल आए, लड़की को पढाई बंद करवा कर अपने साथ ले गए, किन्तु इमरान वहाँ भी पहुँच गया और धमकी देकर आया। साथ ही शबेबारात के दिन जहाँ लड़की रहती थी उस घर के सामने 50 से अधिक मोटर साईकिल पर लड़कों का हुजुम लेकर खूब उधम मचाया। पुलिस ने वहाँ भी अपना सेकुलर रूप दिखाया, दो घंटे इमरान को थाने में बैठाकर छोड़ दिया, अब इमरान मुसलमानों के लिए हीरो बन गया था, बहुत से मुस्लिम इमरान के साथ खड़े थे किन्तु हिन्दू परिवार अकेला भयभीत निराश घुटघुट कर जीने पर बाध्य था।

एक दिन मुसलमानों की कुछ औरतें व आदमी लड़की के घर आए, और सगुन देने एवं निकाह का दिन तय करने के बाते करने लगे। उस समय फूफा के कहने पर लड़की के परिवार ने मुसलमानों को समझाया कि अभी लड़की पढ़ रही है, कुछ समय हमें और दें हम निकाह करवा देंगे, और आश्वासन पा कर वहाँ से मुसलमान चले गए।

दिसम्बर का महिने में ठंड़ अपने जोर पर थी। इमरान ने प्रत्येक दिन कि ही तरह प्रातः 4 बजे अपना आटो निकाला और पुरानी दिल्ली के लिए निकला, अगले मोड़ पर एक कम्बल ओढ़े बुजुर्ग ने आटो को हाथ दिया और यमुना पार तक जाने की बात की, आटो जब यमुना पार पर पहुँचा तो बुजुर्ग ने एक सुनसान स्थान पर आटो रुकवाया, पैसे के लिए कम्बल में हाथ डाला, वहाँ से एक काँच की छोटी सी सीसी निकाली और उसमे विधमान द्रव इमरान के चेहरे पर फेंक दिया।

इमरान की एक आँख बाहर आ गई, दूसरी सदा के लिए बंद हो गई, चेहरे का माँस पिघल कर निचे घिरने लगा, इमरान वही गिर गया। किसी ने पुलिस को सुचना दी, पुलिस ने इमरान को अस्पताल में भर्ती करवा दिया, कुछ होश आने पर पुलिस ने इमरान के बयान लिए, साथ ही आसपास के सी.सी. टीवी कमरे भी खंगाले, घटना स्थल पर मोबाईल लोकेशन भी खंगाली, लड़की के परिवार से भी कई बार वार्ता की किन्तु कहीं से कोई जानकारी नहीं मिली, तीन माह अस्पताल में सड़ने के बाद इमरान ७२ हूरों के लिए निकल लिया।

लड़की का इश्किया भुत अब तक उतर चूका था, सो एक गाँव के दबंग कुंवारे युवक से विवाह करवा दिया, इस समय ससुराल में गोबर उठा रही है। इस प्रकार से एक लव स्टोरी का अंत हो गया।

अरे हाँ, वो कम्बल वाला बुजुर्ग कौन था ? कहाँ से आया ? और कहाँ गया ? रहने दो राज को राज ही रहने दो और आगे से कोई लव जिहाद आपके सामने दिखे तो चुप न रहना, उस बुजुर्ग से ही कुछ सीख प्राप्त करके कार्य को निपटा देना।

लव जिहाद जैसे अपराधों को रोकने का दायित्व जितना सरकार का है उतना ही परिवार का भी है। पुलिस व सेना कहाँ-कहाँ बुलाओगे ? लडने की तैयारी स्वयं करो, नही तो हंगामा मत करो, शांति से मरो।

#धर्मो_रक्षति_रक्षितः

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