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बिहार में लागू ‘प्रीपेड स्मार्ट मीटर योजना’ देश के लिए बनी नजीर 

– मुरली मनोहर श्रीवास्तव                      वर्ष 2005 से पहले बिहार को लालटेन युग से जाना जाता था। यहां पर बिजली की खास्ता हालत थी। गांव की बात छोड़िए, शहर में 24 घंटे लोग बिजली के लिए तरसते थे लेकिन वर्ष 2005 में श्री नीतीश कुमार के सत्ता संभालने के बाद धीरे-धीरे ही सही बिहार में बिजली की स्थिति में सुधार देखने को मिलने […]

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स्मार्टफोन्स और गैजेट्स के युग में, बच्चों का पुस्तक पढ़ने के प्रति रुझान का कम होना चिंताजनक

स्मार्टफोन्स और गैजेट्स के युग में, बच्चों में पुस्तक पढ़ने की रुचि एक चिंताजनक दर से कम हो रही है। अनेक युवा पुस्तक पकड़ने की जगह, बच्चे अक्सर डिजिटल डिवाइसों द्वारा प्रस्तुत फेसबुक और इंस्टाग्राम को पसंद करते हैं। इस चिंताजनक रुझान को पहचानते हुए, सरकारी और गैर-सरकारी संगठन पुस्तकालयों में नए विकल्पों के माध्यम […]

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वक्फ बोर्ड के कानून ने लटकाया, चौवन साल में सच निकल पाया, लाक्षागृह हिंदुओं के अधीन आया

डॉ. राधे श्याम द्विवेदी ‘मजार नहीं , महाभारत काल का लाक्षागृह :- अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनने और वर्षों पुराना विवाद खत्म होने के बाद अभी भी काशी और मथुरा के विवाद अदालतों में चल ही रहे थे । ज्ञानवापी के बाद हिंदुओं को एक और जीत हुई है। बागपत के सिविल कोर्ट ने 5 […]

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बेरोजगारी के कारण अभाव में जीते ग्रामीण

पुष्पा / मीनाक्षी बागेश्वर, उत्तराखंड “स्कूल में अपनी सहेलियों को देखकर मुझे भी मनपसंद खाने और कपड़े खरीदने का मन करता है, लेकिन मुझे अपनी इच्छाओं को दबाना पड़ता है, क्योंकि मेरे माता पिता के पास कोई बेहतर रोजगार के साधन उपलब्ध नहीं हैं. ऐसे में वो हमें ये सभी चीजें कहां से दिलाएगें? पिता […]

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आम आदमी की पहुंच से दूर होती भारतीय रेल

राकेश अचल – विभूति फीचर्स आज एक -एक दिन में देश में एक-दो, दस नहीं बल्कि 400 रेलों को रद्द किया जा रहा है। आपातकाल के अनुशासन पर्व में देश में रेलें घड़ी की सुई का कांटा मिलाकर चलती थीं लेकिन बाद में ट्रेनों के देरी से चलने का रिवाज ही बन गया। दरअसल आज […]

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₹ 50/- प्रति किलो की लागत आती है देसी घी बनाने में!

₹ 50/- प्रति किलो की लागत आती है देसी घी बनाने में! चमड़ा सिटी के नाम से प्रसिद्ध कानपुर में जाजमऊ से गंगा जी के किनारे किनारे 10 -12 कि.मी. के दायरे में आप घूमने जाओ तो आपको नाक बंद करनी पड़ेगी! यहाँ सैंकड़ों की तादात में गंगा किनारे भट्टियां धधक रही होती हैं! इन […]

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लैंगिक भेदभाव से मुक्त नहीं हुआ ग्रामीण समाज

सीमा कुमारी गया, बिहार “दीदी, हमको भी पढ़ने का बहुत मन करता है. लेकिन मम्मी-पापा स्कूल जाने नहीं देते हैं, कहते हैं पढ़ कर का करेगी. चूल्हा-चौका सीख लेगी तो ससुराल में काम आएगा. घर का काम नहीं सीखेगी तो ससुराल वाले हमें बुरा कहेंगे. आप बताइए दीदी, क्या हम लड़कियों का जन्म खाली (केवल) […]

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सितारों की दासता से कब मुक्त होगा भारत* ?

* लेखक आर्य सागर खारी🖋️ यह प्रश्न प्रत्येक तार्किक सत्यग्राही भारतीय के मस्तिष्क में उठता है। भारत लगभग साढ़े सात दशक पहले अंग्रेजों की दासता से मुक्त हो गया लेकिन फलित ज्योतिष के नाम पर ग्रहों तारों की दासता से आज तक भी मुक्त नहीं हुआ है। यह जग जाहिर इतिहास में प्रसिद्ध है भारत […]

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बिहार : गांव की लड़कियों ने रग्बी फुटबॉल में बनाई पहचान

डॉ. संतोष सारंग मुजफ्फरपुर, बिहार “सयानी लड़की होकर लड़कों के साथ हाफ पैंट पहनकर ग्राउंड में खेलती है, न इसको शर्म आती है और न इसके मां-बाप को!” इस तरह की न जाने कितनी फब्तियां और अनर्गल बातों के व्यंग्य बाण झेलने पड़े हैं 19 साल की सपना को. बिहार के मुजफ्फरपुर जिला स्थित तुर्की […]

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क्या गांव के लिए अस्पताल ज़रूरी नहीं?

गायत्री लूणकरणसर, राजस्थान आगामी 01 फ़रवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2024-25 का बजट प्रस्तुत करेंगी. जिसमें अन्य बुनियादी विषयों के साथ सबकी नज़र इस बात पर भी रहेगी कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में कितना बजट आवंटित किया गया है? दरअसल किसी भी राष्ट्र की समृद्धि इस बात पर निर्भर करती है कि वहां के […]

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