Categories
विश्वगुरू के रूप में भारत

राष्ट्रीय सौर कैलेंडर की उपेक्षा करने की दोषी सरकार भी है

  लेखिका:- लीना मेहेंदले (लेखिका सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी हैं) कितने लोगों को पता है कि राष्ट्रीय प्रतीकों की ही भांति देश की सरकार ने अपना एक कैलेंडर भी मान्य किया है, जोकि अपने देश की प्राचीन पंचांग परंपरा पर आधारित है। पंडित नेहरू द्वारा प्रसिद्ध विज्ञानी मेघनाद साहा के नेतृत्व में बनाई गई कैलेंडर समिति […]

Categories
भारतीय संस्कृति विश्वगुरू के रूप में भारत

भारत की गौरवमयी और अनुपम रही है विज्ञान यात्रा

    राणा प्रताप शर्मा आदिकाल से ही हमारे देश में अनेक खोजें होती रहीं हैं। भारतीय गणित के इतिहास का शुभारंभ ऋग्वेद से होता है। आदिकाल (500ई.पू.) भारतीय गणित के इतिहास में अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इस काल में शून्य तथा ‘दाशमिक स्थानमानÓ पद्धति का आविष्कार गणित के क्षेत्र में भारत की यह निश्चित रूप […]

Categories
इतिहास के पन्नों से विश्वगुरू के रूप में भारत

भारत के वैदिक गणित की यात्रा को शब्दों से भी समझा जा सकता है

  सुद्युम्न आचार्य शब्दों में भी अनेक प्रकार के परिवर्तन होते रहते हैं। ये शब्द समाज की वाणी से मुखरित होकर कालक्रमानुसार अनेक प्रकार के रूप धारण करते रहते हैं। कभी तो इनकी ध्वनियों में बदलाव हो जाता है। यह बदलाव इतना अधिक होता है कि वह समूचा शब्द नया रूप धारण कर लेता है। […]

Categories
इतिहास के पन्नों से विश्वगुरू के रूप में भारत

सृष्टि के सभी रहस्यों से पूर्णतया परिचित थे हमारे भारतीय पूर्वज

  डॉ. ओमप्रकाश पांडे (लेखक अंतरिक्षविज्ञानी हैं।) सृष्टि विज्ञान के दो पहलू हैं। पहला पहलू है कि सृष्टि क्या है? आधुनिक विज्ञान यह मानता है कि आज से 13.7 अरब वर्ष पहले बिग बैंग यानी कि महाविस्फोट हुआ था। उसके बाद जब भौतिकी की रचना हुई, अर्थात्, पदार्थ में लंबाई, चौड़ाई और गोलाई आई, वहाँ […]

Categories
इतिहास के पन्नों से विश्वगुरू के रूप में भारत

हिंदूमय रहा है अरब का अतीत

🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩 हिन्दू गौरव अभियान :- ————————– सऊदी अरब पर एक शोध- इन गुफ़ाओं के बारे में आपको जानकारी दी जाएं,इससे पहले सऊदी अरब की जानकारी आपको देनी जरूरी है जिससे हमारे तथ्य आपके विश्वास की कसौटी पर भी खरा उतरें; ●सऊदी अरब का नाम मात्र #अरब है,सऊदी नाम तो राजा का नाम था, अतः वही […]

Categories
इतिहास के पन्नों से विश्वगुरू के रूप में भारत

प्राचीन काल में अरब वालों का धर्म क्या था?

  येरुश्लम ( ईज़राईल ) जिसको अरबी में “बैत् अल मुकद्दस” यानी कि पवित्र स्थान बोला जाता है । ईसाई, यहूदी और मुसलमान इसे पवित्र स्थान मानते हैं । जिसमें एक ८ लाख दिनार का एक पुस्तकालय है जो कि तुर्की के गवर्नर ने सुल्तान अब्दुल हमीद के नाम पर बनवाया था । # इस […]

Categories
इतिहास के पन्नों से विश्वगुरू के रूप में भारत

प्राचीन भारत में होते थे गांव पूर्ण आत्मनिर्भर और एक स्वाधीन संस्था

राजशेखर व्यास भारतर्वा में ग्राम सभा का विकास बहुत पुराने जमाने में हो गया था। देश के अधिकांश भाग पर यही सभा अपना वर्चस्व रखती थी। इसकी शासन पद्धति बड़ी सुव्यवस्थित थी। वेद, ब्राह्मण और उपनिाद काल में गा्रम-सभा, उसके प्रमुख और अधिठाता का सम्मानपूर्वक उल्लेख है। ग्रामाध्यक्ष को वैदिक काल में ग्रामजी कहा जाता […]

Categories
इतिहास के पन्नों से विश्वगुरू के रूप में भारत

भारतीय धातु परंपरा और लोक कल्याण की भावना

    आर.के.त्रिवेदी विश्व के कल्याण का भाव लेकर ही भारत में धातुकर्म विकसित हुआ था। धातुकर्म के कारण ही भारत में बड़ी संख्या में विभिन्न धातुओं के बर्तन बना करते थे जो पूरी दुनिया में निर्यात किए जाते थे। धातुकर्म विशेषकर लोहे पर भारत में काफी काम हुआ था। उस परम्परा के अवशेष आज […]

Categories
इतिहास के पन्नों से विश्वगुरू के रूप में भारत

खेल खेल में ही सिखा दी जाती थी भारतीय परंपरा में युद्ध की विधाएं

  आनंद कुमार सन 1850 के दौर में जब अंग्रेजों को भयानक भारतीय प्रतिरोध का सामना करना पड़ा तो धीरे से उन्होंने एक आर्म्स एक्ट लागु कर दिया। इसका उन्हें फायदा ये हुआ कि भारतीय हथियार रखेंगे नहीं तो यहाँ कि शास्त्रों की परंपरा जाती रहेगी। फिर एक प्रशिक्षित सिपाही भी बिना प्रशिक्षण वाली सौ-दो […]

Categories
इतिहास के पन्नों से विश्वगुरू के रूप में भारत

आयुर्वेद में शल्य चिकित्सा के स्पष्ट प्रमाण मिलते हैं

मनोज ज्वाला     भारत के पुनरुत्थान की ओर सरकार के बढते कदम खबर है कि भारत सरकार अब स्वास्थ्य-चिकित्सा विषयक उच्च-शिक्षा  को युरोपियन मेडिकल साइंस की गिरफ्त से मुक्त करने और प्राचीन भारतीय ज्ञान-विज्ञान के विस्तार का मार्ग प्रशस्त करने की दिशा में भी एक बहुत बडा कदम उठा चुकी है । देश में […]

Exit mobile version