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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति तृतीय – खण्ड , अध्याय -मुसलमान और आर्यशास्त्र

गतांक से आगे… जिस प्रकार कबीर साहब गुरु बन गए थे, उसी तरह अकबर बादशाह भी गुरु बनना चाहता था। उसने यह प्रसिद्ध कर दिया था कि, मैं पूर्व जन्म का हिंदू हूं और मेरा नाम मुकुन्द ब्रह्मचारी था। उसने मुकुन्द ब्रह्मचारी होने की पुष्टि में जो श्लोक बनाया था वह इस प्रकार है – […]

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वैदिक सम्पत्ति तृतीय – खण्ड अध्याय -मुसलमान और आर्यशास्त्र

गतांक से आगे… इसके आगे मुसलमानी धर्म में सब को लाने के लिए लिखा है कि- चीला छोड़ो न दीन का धांचा मत खाव, सुनो बटाऊ बाबरे मत भूल न जाव। सांचा दीन रसूल का सो तमे सही करिजाणों, जो कोई आवे दीन में उनको दीन में आणों।। अर्थात् हे मुसाफिर! सुन। भूलना नहीं, धोखा […]

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वैदिक सम्पत्ती तृतीय – खण्ड अध्याय – मुसलमान और आर्यशास्त्र

गतांक से आगे… खोजों के मुकदमे में इनके धर्म- प्रचार का जो ढंग जजों ने वर्णन किया है, वही तरीका इस विद्यालय की इस शिक्षाप्रणाली में पाया जाता है और इनका वही ढंग हम यहां भारत में भी देख रहे हैं। इन्होंने इस्लाम धर्म के प्रचार के लिए जो ग्रन्थरचना की है और हिन्दू बनकर […]

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वैदिक सम्पत्ती तृतीय – खण्ड अध्याय – मुसलमान और आर्यशास्त्र

गतांक से आगे… इन आगाखानी गुरुओं के पूर्वज बड़े ही चालाक थे। इन्होंने अपनी चालाकी से दूर-दूर तक अपने धर्म का प्रचार किया।इन्होंने मिश्रियों में, ईसाइयों में और दूसरे फिर्को में बड़ी ही चातुरी से प्रचार किया। इनकी प्रचार सम्बन्धी चालाकीयों का पता खोजों के एक मुकदमे का फैसला देखने से लगता है। यह फैसला […]

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वैदिक सम्पत्ति तृतीय – खण्ड अध्याय – मुसलमान और आर्यशास्त्र

गतांक से आगे…. इस तरह से मुसलमानों ने संस्कृत भाषा के द्वारा अपने भाव, अपने विचार और विश्वासों को हमारे भावों, विचारों और विश्वासों में भरा है और हमारी संस्कृति में क्षोभ पैदा कर दिया है इसी तरह उनके दूसरे दल ने गुरु बनकर और देसी भाषा में नये-नथे ग्रन्थ रचकर भी हिन्दुओं के विश्वासों […]

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वैदिक संपत्ति ; तृतीय खण्ड, अध्याय – मुसलमान और आर्यशास्त्र

गतांक से आगे… जिसको इन बातों के जाने की न तो फुर्सत है न जरूरत है, उसे नहीं मालूम कि हमारी वास्तविक दशा क्या है, हमारे प्राचीन वैदिक धर्म क्या है और हमारा प्राचीन आर्य आदर्श क्या है ? अभी गत पृष्ठों में हमने दो जातियों के द्वारा शास्त्रविध्वंस का वर्णन किया और दिखलाया दिया […]

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वैदिक संपत्ति (तृतीय – खण्ड) अध्याय – चितपावन और आर्य शास्त्र

गतांक से आगे…. जाली ग्रंथों के रचने का एक नमूना हमने खुद देखा है। उड़ीसा में आठगण नामी एक देसी राज्य है। वहां के राजा का नाम विश्वनाथ है। राजा साहब संस्कृत में कविता कर लेते हैं। उन्होंने व्यास के नाम से अपने गांव के महादेव का माहात्म्य वर्णन किया है और एक पुस्तक में […]

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वैदिक संपत्ति : अध्याय -चितपावन और आर्य शास्त्र

गतांक से आगे…. इसलिए यह निश्चय और निर्विवाद है कि, चितपावनों ने जिस प्रकार छल से क्षत्रियों का राज्य लिया और जिस प्रकार छल से ग्रन्थों में मिश्रण किया, उसी तरह छल से ही उन्होंने अपनी जाति की यह कथा और पूजा भी आर्यों में दाखिल कर दी। यहूदी लोग संसार में छ्ली प्रसिद्ध हैं। […]

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वैदिक सम्पत्ति तृतीय खण्ड – अध्याय – चितपावन और आर्य शास्त्र

गतांक से आगे… इन समस्त कथाओं का इतना ही तात्पर्य है कि, देवी से ब्रह्मा, विष्णु और शंकर हुए और ब्रह्मा, विष्णु तथा शंकर के मिश्रण से दत्तात्रेय की उत्पत्ति हुई। अर्थात् दत्तात्रेय की उत्पत्ति ब्रह्मा, विष्णु ,महेश से हुई और ब्रह्मा, विष्णु, महेश को पैदा करने वाली देवी है। अब देखना चाहिए कि, इस […]

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वैदिक सम्पत्ति तृतीय खण्ड : अध्याय -चितपावन और आर्यशास्त्र

गतांक से आगे…. पह्यपुराण मैं लिखा है कि अत्रि ऋषि शीत-कटिबन्ध में तपस्या कर रहे थे। वहां उनको सर्दी लगी। वह सर्दी अत्रि ऋषि की आंखों में घुस गई और आंसू बनकर बाहर निकल पड़ी। उस गिरे हुए आंसू से चंद्रद्वीप,शीतद्वीप आदि भूभाग बन गये। वह सर्दी आकाश की और फिर उड़ी, परन्तु खाली जगह […]

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