चोट खाया हुआ सांप भी अपने शत्रु को छोड़ता नहीं है। यहां तक कि वह गाय भी ( जिसे बहुत ही सीधी कहा जाता है ) उस समय शेरनी बन जाती है जब उसके नवजात शिशु पर कोई प्राणी आक्रमण कर देता है। अर्जुन की जहां तक बात है तो आज वह सांप भी था […]
श्रेणी: कहानी
( प्राचीन काल में हमारे ऋषि – मुनियों के पास ही अस्त्र-शस्त्र बनाने की विद्या होती थी। इस पर उनका एकाधिकार होता था। इसका कारण केवल यह होता था कि ऋषि – मुनियों का चिंतन पूर्णतया सात्विक और मानवतावादी होता था। उनकी इच्छा होती थी कि संपूर्ण मानव समाज का और प्राणिमात्र का कल्याण हो […]
धर्मराज युधिष्ठिर वास्तव में राष्ट्र धर्म की एक जीती जागती मिशाल थे। उनके भीतर धर्म चिंतन चलता रहता था। उनका धर्म चिंतन ही उनका राष्ट्रचिंतन था। क्योंकि धर्म चिंतन और राष्ट्र चिंतन दोनों अनन्य भाव से जुड़े हुए हैं। धर्म राष्ट्र के लिए है और राष्ट्र धर्म के लिए है। धर्म का अंतिम उद्देश्य राष्ट्र […]
( महाभारत हमारे अतीत का भव्य स्मारक है । इसमें हमें अपने पूर्वजों के उच्चादर्शों के साथ-साथ उनकी सभ्यता और संस्कृति का बोध होता है। महाभारत के सभा पर्व में बताया गया है कि खांडव दाह के पश्चात मयासुर ने श्री कृष्ण जी के साथ परामर्श करके धर्मराज युधिष्ठिर के लिए एक सभा भवन बनाने […]
दुर्योधन ने अपने पिता की मानसिकता को पहचान लिया कि पिताजी आज पहले से ढीले हो गए हैं। अब उनके सामने केवल एक ही समस्या है कि युधिष्ठिर को यहां से बाहर भेजने के लिए भीष्म, द्रोण और विदुर जैसे विद्वानों को कैसे सहमत किया जाए ? दुर्योधन ने इस बात को भी ताड़ लिया […]
( महाभारत हमारे लिए एक ऐसा ग्रंथ है जिसे पांचवां वेद कहा जाता है । इसमें मनुष्य जीवन की उन्नति को सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक प्रकार की शिक्षा दी गई है । धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष पर बहुत ही गहन चिंतन प्रस्तुत किया गया है। यह ग्रंथ हमें कुरु वंश के आंतरिक कलह […]
शकुंतला नहीं चाहती थी कि उसके गर्भ का दुरुपयोग हो । उसने आज तक महर्षि कण्व के आश्रम में रहकर जिस प्रकार की सच्ची और सात्विक साधना की थी उसका फल प्राप्त करने का आज समय आ गया था। वह ब्रह्मचारिणी थी और ऋषि के संसर्ग में रहकर राष्ट्र के लिए कोई अनमोल निधि देना […]
( महाराज दुष्यंत भरतकुलभूषण, महापराक्रमी और चारों समुद्रों से घिरे हुए समस्त भूमंडल के पालक के रूप में जाने जाते हैं। उनके शासनकाल में चोरों का भय नहीं था। भूख से लोग त्रस्त नहीं थे और रोग या व्याधि का डर भी लोगों में नहीं था। उनके राज्य में समय पर वर्षा होती थी तथा […]
भले ही गांधी की धोती , तेरे खातिर गहना था .. मुझे दिखा दो बस वो फंदा, जिसे भगत सिंह ने पहना था … * चलो मान लिया कि चरखे ने ही, उन सारे अंग्रेजों को पटका था … पर हमको दे दो वो पावन रस्सी , जिस पर मेरा बिस्मिल लटका था.. * हम […]
सफलता की कहानी परवान पर है ग्राम्य विकास का सुनहरा दौर, – डॉ. दीपक आचार्य उप निदेशक, (सूचना एवं जनसम्पर्क) जोधपुर जोधपुर, 01 जून/पंचायतीराज के सशक्तिकरण के साथ ही ग्रामीण विकास की दृष्टि से हाल के वर्षों में सरकार द्वारा कराए गए कार्यों ने ग्रामीणों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करते हुए लोक सेवाओं एवं […]