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विशेष संपादकीय

यह बात जंचती नही है संगमा जी!

राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी पी.ए. संगमा ने अपने प्रतियोगी और संप्रग  प्रत्याशी प्रणव मुखर्जी को खुली बहस की चुनौती देते हुए भारत में राष्ट्रपति के चुनाव को अमेरिकी पैटर्न पर लडऩे का नया अंदाज देने का प्रयास किया है। दूसरे उन्होंने स्वयं को आदिवासी नेता होने के नाते सांसदों एवं मतदाताओं से अपना मत देने की […]

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विशेष संपादकीय

क्षेत्रीय दल और राष्ट्रीयता

हमारे यहां पर क्षेत्रीय दल कुकुरमुत्तों की भांति है। ये दल वर्ग संघर्ष और प्रांतवाद-भाषावाद के जनक हैं। कुछ पार्टियां वर्ग संघर्ष को कुछ पार्टियां प्रांतवाद और भाषावाद को बढ़ावा देने वाली पार्टियां बन गयीं हैं। इनकी तर्ज पर जो भी दल कार्य कर रहे हैं उनकी ओर एक विशेष वर्ग के लोग आकर्षित हो […]

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विशेष संपादकीय

प्रणव को प्रणाम्

रायसीना हिल्स पर बने कभी के वायसरीगल हाउस (राष्ट्रपति भवन) के मुगल गार्डन में अगले ५ वर्ष के लिए किस विभूति को टहलने का अवसर मिलेगा? कुछ समय से सारा देश इस प्रश्न का उत्तर दिल थामकर टटोल रहा था। अंतत: १५ जून को देश के जनसाधारण को अपने प्रश्न का उत्तर मिल ही गया, […]

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विशेष संपादकीय

देश में तैयार होते भस्मासुर

देश की शिक्षा प्रणाली को नैतिक शिक्षा से दूर करके फिर उसको रोजगार प्रद बनाकर विद्यालयों ने जिस समाज का निर्माण किया है वह एकदम संवेदनाशून्य मानो पत्थर का समाज बना दिया है। देश में बड़े – बड़े उद्योग स्थापित किये गये और देश के लघु कुटीर उद्योगों की बलि चढा दी गयी । परिणाम […]

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विशेष संपादकीय

प्रदेश की बिजली व्यवस्था कैसे ठीक हो

देवेंद्र आर्य का विशेष संपादकीय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रदेश में बिजली की बिगड़ती हुई व्यवस्था पर चिंता प्रकट की है। उन्होंने कहा है कि प्रदेश सरकार को बसपा सरकार की वजह से 25 हजार करोड़ रूपये का कर्ज चुकता करना है। शिवपाल यादव का कहना है कि ग्यारह हजार करोड़ मेगावाट […]

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विशेष संपादकीय

मायावती सरकार के घोटाले

भारत में राजनीति जैसे पवित्र मिशन को जब से कुछ लोगों ने व्यवसाय बनाया है, तब से यह मिशन न होकर घृणास्पद पेशा बन गया है। राजनीति और भ्रष्टïाचार आजादी के बाद कुछ इस प्रकार घुले मिले हैं कि दोनों को अलग अलग करना ही असंभव हो गया है। जहां राजनीति होगी वहां लोग भ्रष्टïाचार […]

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विशेष संपादकीय

आर.एस.एस. और पी. चिदंबरम

देश के गृहमंत्री पी. चिदंबरम को सोनिया गांधी का वरदहस्त प्राप्त है। इसलिए किसकी मजाल है कि उनके खिलाफ कोई भी कांग्रेसी मुंह खोले। वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी देश के संभावित नये राष्टï्रपति हो सकते हैं-इसकी संभावनाएं जितनी प्रबल होती जा रही हैं उतने ही स्तर पर कई कांग्रेसी लोगों ने इस बात का रोना रोया […]

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विशेष संपादकीय

किसे कहते हैं-तम

तम क्या है? और ज्योति क्या है? वैदिक ज्ञान के अतिरिक्त अन्य किसी ज्ञान-विज्ञान की दलदल में फंसा पश्चिमी जगत तम और ज्योति की गलत व्याख्या करके आज अपनी स्थिति पर स्वयं परेशान है। जीवन के सभी रिश्तों माता-पिता पुत्र, बंधु-बान्धव, मित्र कलत्र को उसने नकारकर अकेला चलकर देख लिया, किंतु जीवन का रस उसे […]

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विशेष संपादकीय

शस्त्रेण रक्षिते राष्टरे:

शस्त्र से ही राष्टर की रक्षा होती है। यदि राष्टर शस्त्र विहीन है तो उसकी दुर्बलता जग हंसाई का कारण बन जाती है। हमने अपनी स्वतंत्रता को दूसरों की चेरी बनते देखा है। अपनी संस्कृति को दूसरों की आरती उतारते देखा है और अपने धर्म को दूसरों के जूते साफ करते देखा है सिर्फ अपनी […]

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विशेष संपादकीय

अफगानिस्तान की दुर्घटना का कारण

युद्घ आदमी की फितरत का तकाजा कहा जाता है। लेकिन ऐसा कहा जाना उतना ही गलत है जितना यह कहा जाना कि सूर्य पूर्व से ना निकलकर पश्चिम से निकलता है। युद्घ व्यक्ति के बौद्घिक कौशल और बौद्घिक चातुर्य के निष्फल हो जाने से जन्मी हताशा का परिणाम होता है। राजनीति की भाषा में इस […]

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