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कविता गीता का कर्मयोग और आज का विश्व

यज्ञ के लाभ और गीता ,….

गीत संख्या – 6 यज्ञ के लाभ और गीता तर्ज –  हम वफा करके भी तन्हा रह गए ….. यज्ञ से आनन्द  मिलता  यह  ऋषिवर   कह   गए। यज्ञ  से  भगवान  मिलता  यह  मुनिवर  कह  गए।। यज्ञ से कल्याण पाता हर जीव  जो  जन्मा  यहाँ। जिसने  पकड़ा  यज्ञ  को  वही  तर  गए ….. यज्ञ से आनन्द  […]

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गीत नंबर – 5 गीता और संयम

                    गीता और संयम तर्ज : फूल तुम्हें भेजा है खत में…. ध्यान लगाकर  सुन ले अर्जुन ! बात मेरी बड़ी गहरी है। हितचिन्तक जो धर्म का होता –  वही देश का प्रहरी है ।। तुझको अपने धर्म पर चलना नहीं किसी पल डिगना है। जो मर्यादा  खींची  वेद  ने , अटल  उसी  पर […]

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गीत – 4 गीता संदेश

                       गीता संदेश टेक : गीता का सन्देश यही बस कर्म तुम्हारे वश में है।         कर्म ही करते जाना बन्दे तेरी भलाई इसमें है।।     घर घर बैठे हैं अर्जुन ,हथियार फेंक दिए जीवन के।      घोर निराशा मन में छाई,  भाग रहे कायर बन के।।      रसना और वासना हावी ,है त्राहिमाम मची […]

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गीत – 3 ( दोहे) गीता का दिव्य धर्म

गीता का दिव्य धर्म कर्तव्य कर्म की भव्यता – देती सदा आनन्द । ‘दिव्य  धर्म’   इससे  बड़ा   देता   परमानन्द।। कर्तव्य कर्म को जानकर जो जन करते काम। जग उनका वन्दन करे , जन  करते  गुणगान ।। ‘दिव्य धर्म’  हमसे  कहे – जानो प्रभु की तान। संग  उसी के तान  दो  निज कर्मों  की  तान।। जन्म […]

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शहीद रामप्रसाद बिस्मिल के अंतिम हृदय उद्गार*____

_ ____________ हाय! जननी जन्मभूमि छोड़कर जाते हैं हम | वश नहीं चलता है रह-रह कर पछताते हैं हम | स्वर्ग के सुख से भी ज्यादा सुख मिला हमको यहां इसलिए तजते इसे हर बार शरमाते हैं हम | ऐ नदी, नालों, दरख्तो , ये मेरा कसूर , माफ करना जोड़ ,कर ,तुमसे फरमाते हैं […]

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गीत – 1 हे ईश तुम हो ….

हे ईश तुम हो सबकी बिगड़ी बनाने वाले । विनती सुनो हमारी,   सृष्टि रचाने वाले ।। तेरा ही होवे चिंतन तेरा ही हो भजन भी। होवे मनन भी तेरा, तेरा ही हो यजन भी।। चिंता न कोई होवे  चिंता मिटाने वाले … विनती सुनो हमारी,   सृष्टि रचाने वाले .. संसार के निवासी दु:ख और धोखा […]

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देश का भूत, वर्तमान और भविष्य –3

देश   के   जननायक   नहीं   धन  के  नायक  लोग । धर्म   से  ‘निरपेक्ष ‘   हैं,  जो महामारी    का   रोग।।35।। देशहित   नहीं   बोलते,    करें    स्वार्थ    की   बात। गिद्ध     देश    में   पल    रहे, नोंच    रहे   दिन  रात।।36।। राष्ट्रीयता    की    बात   कर, राष्ट्रधर्म    से  है   दूर । सबके    हित   कुछ   ना   करें ,स्वार्थ   में  गये  डूब॥37॥ देश   को    आंख   […]

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देश का भूत, वर्तमान और भविष्य –2

चोटी जनेऊ ना  दिये, चढ़ा   दिये   थे   शीश। जीवन अर्पण कर दिया ,पा  माँ  का  आशीष ॥18॥ त्याग, तपस्या, साधना ,  लाखों   का   बलिदान। हिन्दू –  हिन्दी   ध्यान  में ,मन   में    हिन्दूस्थान॥19॥ पौरूष जगा   मेरे   देश   का, भाग   गये   अंग्रेज । देख  देश  की   वीरता, और  देख   देश  का   तेज ॥20॥ मुस्लिम  –  लीग  अंग्रेज   […]

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देश का भूत, वर्तमान और भविष्य –1

कविता  — 51  जीवन   के    संगीत    में ,  मिश्री   सी  तू  घोल। मनवा सुख की खोज में ,ओ३म् – ओ३म् ही बोल॥1॥ जगत की चिन्ता छोड़ दे ,चिंतन कर सुबह शाम । भजले  मनवा  ईश  को,  पूरण  करता   काम ॥2॥ द्वन्द्वभाव को त्यागकर ,पकड़ डगरिया मीत। मालिक तेरा है जहाँ ,है सुख की नगरी मीत॥3॥ […]

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कविता – आदर्श जीवन राम का

कविता  —  50   आदर्श जीवन राम का …. एक सन्देशा दे रहा आदर्श जीवन  राम का । तन हमारा भी बने बस लोक के ही काम का।। विपदा खड़ी जो सामने वह सनातन  है  नहीं ; बुलबुले पानी में बनते शिकार होते नाश का।। जीवन के संग्राम में तुम सेना सजाओ धर्म की । […]

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