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कविता

का मेरे गीतों में : गीत संख्या 14, कोई दुखिया रहे ना इस जग  में

तर्ज :  बाबुल की दुआएं लेती जा ….. जो  सच्चे  योगी  होते  हैं –  वह  पीर  पराई  हरते  हैं। जो भी दुखिया उन्हें मिलता है उसकी भलाई करते हैं।। टेक।। जो दुखिया के दु:ख में हो दु:खी दु:ख   हरने   की  युक्ति  सोचे। कोई दुखिया रहे ना इस जग  में हर  प्राणी   की   मुक्ति   खोजे।। जो […]

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कोई दुखिया रहे ना इस जग  में

तर्ज :  बाबुल की दुआएं लेती जा ….. जो  सच्चे  योगी  होते  हैं –  वह  पीर  पराई  हरते  हैं। जो भी दुखिया उन्हें मिलता है उसकी भलाई करते हैं।। टेक।। जो दुखिया के दु:ख में हो दु:खी दु:ख   हरने   की  युक्ति  सोचे। कोई दुखिया रहे ना इस जग  में हर  प्राणी   की   मुक्ति   खोजे।। जो […]

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कविता गीता का कर्मयोग और आज का विश्व

भगवान  उन्हीं   को   चाहते  हैं,…..

गीता मेरे गीतों में गीत संख्या , 14 तर्ज :  बाबुल की दुआएं लेती जा ….. जो  सच्चे  योगी  होते  हैं –  वह  पीर  पराई  हरते  हैं। जो भी दुखिया उन्हें मिलता है उसकी भलाई करते हैं।। टेक।। जो दुखिया के दु:ख में हो दु:खी दु:ख   हरने   की  युक्ति  सोचे। कोई दुखिया रहे ना इस […]

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         गीता मेरे गीतों में .. गीत संख्या .. 13           …..  तीनों योग गीता ने कहे

                                     तर्ज :  दिल के अरमां आंसुओं में बह गए… जीत लीं यदि इंद्रियां तो  भगवान  भी  मिल  जाएगा। हो गया अधिकार मन पर तो लक्ष्य भी मिल जाएगा।। टेक।। जो   मुनि  यहां  मोक्ष  हेतु  हो  गया  कटिबद्ध  है। जिसने  सर्वाधार  से निज  जोड़  लिया  संबंध है।। बंधन  उसके कट गए और मोक्ष भी […]

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गीता मेरे गीतों में, गीत संख्या .. 12, भेद – दृष्टि  मिटा   मन  से …..

भेद – दृष्टि  मिटा   मन  से ….. तर्ज : बचपन की मोहब्बत को ….. हर  प्राणी  का  स्वामी  वही  ईश्वर  कहलाता । सम – दृष्टि   रखो  सबमें, है  वेद  यही   गाता ।। टेक।। आंधी  और  तूफाँ  में   किश्ती  ना  भटक  जाए । नजरों  से  कभी ओझल  भगवान  ना  हो  पाए।। कण कण में वही प्यारा […]

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गीता मेरे गीतों में ,गीत संख्या =11ज्ञान की अग्नि जले तो …..

ज्ञान   की  अग्नि  जले   तो  भस्म  करती  पाप  को। कर्म  बन्धन  भस्म  होता  दूर  करती   है   ताप  को।। टेक।। ज्ञान  के  सदृश  धरा   पर   ना  पवित्र  कोई  वस्तु  है। कर्म योग  को  सिद्ध  करती  अनमोल  प्यारी वस्तु है।। हृदय में तू  ज्ञान  उपजा और  जीत  ले  संसार  को … ज्ञान   की  अग्नि  जले   तो  भस्म  […]

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जीवन बनेगा आला …

गीता मेरे गीतों में, गीत संख्या – 10                    जीवन बनेगा आला … योगीराज    कृष्ण   प्यारे,   संसार   में    निराले। थे   धर्म   के  उद्धारक , वेदों  की   बंसी   वाले।। टेक।। था  कंस  को  मिटाया ,  शिशुपाल  को  भी मारा । जरासंध   को  मिटाया,   ना    संकटों   से  हारा ।। गाता   था   गीत   हर   पल   संगीत  वेद   वाले […]

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गीता मेरे गीतों में : गीत संख्या — 9 , अर्जुन हथियार उठा ले ….

      अर्जुन ! हथियार उठा ले —   तर्ज –  देहाती श्री कृष्ण   ने  अर्जुन   को   उपदेश  दिया  था  भारी। कहा – अर्जुन ! हथियार उठा ले, कर  रण की तैयारी।। टेक।। प्रवृत्ति   से   दूर   हटा   और   निवृत्ति  को   अपना  ले। जन्म – मरण के चक्कर  से  तू  अपना  आप  बचा  ले।। मत  गोरखधंधा  कर  […]

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गीता मेरे गीतों में गीत : संख्या — 8, निष्काम कर्म करके चलना

8 निष्काम कर्म करके चलना …… तर्ज : होठों से छू लूँ तो …… योगी    श्री  कृष्ण   ने   हमें  मार्ग  बताया  है। निष्काम   कर्म  करके  चलना  सिखलाया है।। यदि   जीवन  के  मार्ग    में  अवरोध कहीं आए। ना  निराश कभी  होना चाहे मुश्किल जो आए।। समभाव  बरतना  है, उपदेश  बताया  है ….. योगी    श्री  कृष्ण   ने   […]

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गीता मेरे गीतों में : किस पर तू व्यर्थ गुमान करे

गीता मेरे गीतों में गीत संख्या – 7 किस पर तू व्यर्थ गुमान करे ? टेक : – जीवन पाकर क्यों इतराता, किस पर तू व्यर्थ गुमान करे ? यहाँ आना सही, फिर जाना सही यहाँ हंसना सही और गाना  सही यदि   प्रेम   किया  ना  ईश्वर   से फिर किस  पर  तू अभिमान करे ? जीवन […]

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