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कविता

गीता मेरे गीतों में : गीत संख्या — 9 , अर्जुन हथियार उठा ले ….

      अर्जुन ! हथियार उठा ले —
 

तर्ज –  देहाती

श्री कृष्ण   ने  अर्जुन   को   उपदेश  दिया  था  भारी।
कहा – अर्जुन ! हथियार उठा ले, कर  रण की तैयारी।। टेक।।

प्रवृत्ति   से   दूर   हटा   और   निवृत्ति  को   अपना  ले।
जन्म – मरण के चक्कर  से  तू  अपना  आप  बचा  ले।।
मत  गोरखधंधा  कर  प्यारे, योग का बन जा व्यापारी ….
श्री कृष्ण   ने  अर्जुन  को   उपदेश  दिया  था  भारी…

जब  तक  जग  में  रमे  रहेंगे , मोक्ष  नहीं  हो  पाएगा।
मोक्ष  मिलेगा  तभी  हमें  जब मन निर्मल हो जाएगा।।
कर्म  पवित्र  बनाने  पड़ते, नहीं तो होती है ख्वारी …
श्री कृष्ण   ने  अर्जुन  को   उपदेश  दिया  था  भारी…

निष्काम  कर्म  ही  जीवन  को धर्म -अनुकूल बनाता है।
इसी  से  उन्नति  होती  जग  में , संशय -शूल मिटाता है।।
भक्ति करो भगवान की अर्जुन ! मिट जाए चिंता सारी..
श्री कृष्ण   ने  अर्जुन  को   उपदेश  दिया  था  भारी…

जितने   पापी  –  अत्याचारी ,  कुरु-क्षेत्र  में  खड़े   हुए।
मिटा  डालना  इन्हें  धर्म  है , उस  पर ही यह अड़े हुए।।
‘गांडीव’ फेंकना उचित नहीं है ,उपहास करे दुनिया सारी,
श्री कृष्ण   ने  अर्जुन  को   उपदेश   दिया   था  भारी…

( ‘गीता मेरे गीतों में’ नमक मेरी नई पुस्तक से)
डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत

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