संग्रामराज और रानी दिद्दा रानी ने अपने जीवन काल में ही अपने भाई लोहर के शासक उदयराज के पुत्र संग्रामराज को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर उसे राज्य सिंहासन सौंप दिया था। जिसने रानी के पश्चात एक स्वतंत्र शासक के रूप में कार्य करना आरंभ किया। संग्रामराज नाम के इसी शासक ने लोहर वंश की स्थापना […]
श्रेणी: इतिहास के पन्नों से
एक निर्माता के रूप में ललितादित्य वास्तव में ललितादित्य भारतीय गौरव और शौर्य का प्रतीक है। उसने किसी भी विदेशी आक्रमणकारी को भारत पर आक्रमण करने से पूर्णतया रोक दिया था। भारत के शौर्य संपन्न शासक के कारण विदेशी हमलावर भारत के नाम से भी उस समय डरने लगे थे। ललितादित्य ने ललितपुर नाम का […]
उगता भारत ब्यूरो हिन्दू धर्म और जाति की रक्षा के लिए जिन महापुरुषों ने अपने प्राण और सर्वस्व की बाजी लगा कर हिन्दू जाति के नाम को ऊँचा किया है, उनमें छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप, गुरु गोविन्दसिंह और वीर बन्दा वैरागी के साथ सरदार हरी सिंह नलवा का नाम भी बड़े आदर के साथ लिया […]
छठी शताब्दी के प्रारंभ में हूणों ने कश्मीर पर विजय प्राप्त की थी और यहां पर अपना शासन स्थापित किया था। हूणों के राजा मिहिरकुल ने कश्मीर पर शासन किया। इस शासक को कई इतिहासकारों ने एक क्रूर शासक के रूप में स्थापित किया है। मिहिरकुल ने बाद में शैवमत को अपना लिया था। मिहिरकुल […]
#डॉ_विवेक_आर्य जब भी देश में चुनाव आते है। एक वर्ग विशेष के नेता जिन्नाह के गुण गान करने लगते है। एक नेता ने पाकिस्तान के जन्म मोहम्मद अली जिन्ना को क्रांतिकारी और देश के लिए संघर्ष करने वाला बताया। हालाँकि बाद में वह अपने बयान से पलट गए। पूर्व में एक वरिष्ठ नेता ने जिन्ना […]
‘राजतरंगिणी’ में अशोक कल्हण ने अपने 12वीं शताब्दी के ग्रन्थ राजतरंगिणी में, कश्मीर के राजा अशोक (गोनंदिया) का उल्लेख करते हुए अशोक को एक धर्मनिष्ठ बौद्ध शासक बताया है। बौद्ध मत के प्रति अपनी निष्ठा और समर्पण का प्रमाण देते हुए अशोक ने ऐसे अनेकों कार्य किए जिससे इस वैज्ञानिक धर्म की प्रसिद्धि हो और लोग इसकी शरण में […]
कोडागु/कोडावा/ कर्नाटक का एक पहाड़ी क्षेत्र है,जिसे कावेरी नदी का जन्म स्थान भी कहा जाता है । भारत की सेना में कोडागु जनजाति को कोडावा योद्धा कहा जाता है। जनसंख्या के आशय से आज इस दुनिया में कोडवा दूसरी सबसे कम आबादी वाली जनजाति है। जिसका जिम्मेदार मुस्लिम आक्रांता टीपू और उसका अब्बाजान हैदर अली […]
‘राजतरंगिणी’ में अशोक कल्हण ने अपने 12वीं शताब्दी के ग्रन्थ राजतरंगिणी में, कश्मीर के राजा अशोक (गोनंदिया) का उल्लेख करते हुए अशोक को एक धर्मनिष्ठ बौद्ध शासक बताया है। बौद्ध मत के प्रति अपनी निष्ठा और समर्पण का प्रमाण देते हुए अशोक ने ऐसे अनेकों कार्य किए जिससे इस वैज्ञानिक धर्म की प्रसिद्धि हो और लोग इसकी शरण में […]
कश्मीरी आतंकवाद अध्याय 4 महाभारत से कुषाण-काल तक कश्मीर 2 सम्राट अशोक चक्रवर्ती सम्राट अशोक का शासन काल ईसा पूर्व 304 से ईसा पूर्व 232 माना जाता है। उसके शासनकाल में कश्मीर में ही नहीं बल्कि भारतवर्ष से बाहर भी बौद्ध धर्म का व्यापक प्रचार- प्रसार हुआ। इसका कारण यह था कि अशोक पर बौद्ध- धर्म के […]
अध्याय 4 महाभारत से कुषाण-काल तक कश्मीर 1 महाभारत काल के बारे में यदि कश्मीर के विषय में विचार करें तो पता चलता है कि महाभारत युद्ध से एकदम पहले तक प्रथम गोनन्द का शासन कश्मीर पर था। कल्हण ने भी उसे कलियुग के प्रारंभ होने के पूर्व का ही एक प्रतापी शासक लिखा है। […]