उमेश उपाध्याय“धर्म निरपेक्षता” शब्द ही सही नहीं है। पश्चिमी देशों में चर्च को राज्य और शासन से अलग करने के संदर्भ में “सेकुलरवाद” की सोच आई। मगर उसे “धर्मनिरपेक्ष” कहकर पश्चिम प्रेरित भारतीय बुद्धिजीवियों ने उसका अनर्थ ही कर डाला। जिसकी व्याख्या राजनेताओं ने सिर्फ अल्पसंख्यकों को भरमाने के लिए की है।कॉंग्रेस के वरिष्ठ नेता […]
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डा0 इन्द्रा देवीस्वांगों में पौराणिक ऐतिहासिक एवं लौकिक सभी कथाओं का समावेश होता है। तथा इनका समाज से सीधा सम्बन्ध होता है। कथानक में जमीदारों के अत्याचार पारिवारिक कलह व्यभिचार जातिभेद और सामाजिक विषमता को उभारा जाता है। जन से सम्बन्धित रीति रिवाजों प्रथाओं और मान्यताओं का बोलबाला रहता है। कथा में प्रवाह होता है […]
डॉ0 वेद प्रताप वैदिक मैं आजकल के जिस टीवी चैनल पर जाता हूं, कश्मीर का सवाल जरूर उठा दिया जाता है। जब मैं एंकरों और दूसरे साहबान से पूछता हूं कि आप बताइए कश्मीर का हल क्या है तो उनके पास कोई ठोस, सगुण, साकार जवाब नहीं होता है। हां, आजकल एक नई बात सबके […]
डॉ0 वेद प्रताप वैदिक पाकिस्तान की फौज ने आतंकवाद के खिलाफ जबरदस्त अभियान चला रखा है। अब तक लगभग पांच लाख लोग अपना घर-बार छोड़ कर उत्तरी वजीरिस्तान से बाहर निकल चुके हैं। हर शरणार्थी को सरकार हजारों रुपए दे रही है और उसका पंजीकरण भी किया जा रहा है। अब एक-दो दिन में फौज […]
मोदी सरकार ने एन.जी.ओ. के विरूद्घ कठोरता का संदेश देकर उचित किया है या अनुचित, इस पर देश में बहस चल रही है। इसके लिए एक गैर सरकारी संगठन के विषय में यह जानना आवश्यक है कि वास्तव में यह होता क्या है? इसके लिए विद्वानों का मानना है कि समाज का चेहरा बदल देने […]
26 जून 1975… यही वो तारीख है जब भारतीय लोकतंत्र को 28 साल की भरी जवानी में इमरजेंसी के चाकू से हलाल कर दिया गया। ये चाकू किसी सैन्य जनरल के नहीं, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हाथ में था। 1971 में बांग्लादेश बनवाकर शोहरत के शिखर पर पहुंचीं इंदिरा को अब अपने खिलाफ उठी हर […]
जागेन्द्र सिंह त्यागी(ए.सी.जे.एम./सिविल जज)प्रत्येक समाज में व्यक्तियों के आचार-विचार, आचरण व प्रवृत्तियों में अंतर होना स्वाभाविक है। समाज में कुछ व्यक्ति सजग होते हैं, जबकि दूसरे कुछ व्यक्ति इसके विपरीत अपने कत्र्तव्य पालन में अत्यधिक लापरवाह, मिथ्याभाषी तथा दुष्प्रवृत्ति वाले होते हैं। समाज में कुछ व्यक्ति आपराधिक प्रवृत्ति के होते हैं, तो कुछ लालची प्रकृति […]
डॉ0 वेद प्रताप वैदिक पिछले दस-बारह दिनों में पाकिस्तान में काफी हंगामा होता रहा लेकिन उसके साथ-साथ मेरी बातचीत कई केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों, पार्टी-नेताओं, राजदूतों और फौजी जनरलों से होती रही। पत्रकारों से तो लगातार संवाद बना ही रहता है। दो-तीन संस्थानों में मेरे भाषण भी हुए, जहां अंतरराष्ट्रीय राजनीति के कई जाने-माने विशेषज्ञ उपस्थित […]
पाकिस्तान से डॉ. वेदप्रताप वैदिक मैं ने परसों लिखा था कि मियां नवाज़ शरीफ अब पाकिस्तान के महानायक बनने जा रहे हैं और पाकिस्तान को अब दुनिया के अन्य देश भी इज्जत की निगाह से देखने लगेंगे क्योंकि पाकिस्तानी फौज ने आतंकवादियों के खिलाफ अपनी कमर कस ली है। इस अभियान के कारण पाकिस्तान के […]
पुण्य प्रसून वाजपेयी बात गरीबी की हो लेकिन नीतियां रईसों को उड़ान देने वाली हों। बात गांव की हो लेकिन नीतियां शहरों को बनाने की हो। तो फिर रास्ता भटकाव वाला नहीं झूठ वाला ही लगता है। ठीक वैसे, जैसे नेहरु ने रोटी कपड़ा मकान की बात की । इंदिरा गांधी ने गरीबी हटाओ का […]