नेहरू की बदमाशी का एक नमूना… “विभाजन के बाद 1947 में पाकिस्तान में हिंदुओं की हत्याओं, लड़कियों से बलात्कार का नंगा नाच हो रहा था। लाहौर से हर ट्रैन में हिंदुओं की लाशें आ रही थी और उन पर मंडराते कुत्ते, गिद्ध दिखाई दे रहे थे, तब नेहरू ने रेडियो पर शरणार्थी शिविरों में रह […]
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प्रदीप वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के गर्भ में सुरक्षित जीवाश्मों के अध्ययन से यह स्पष्ट निष्कर्ष निकाला है कि हमारी पृथ्वी कभी खतरों से खाली नहीं रही और इसने अनेक संकटों को झेला है. बीसवीं शताब्दी तक हम सोचते थे कि हम बहुत सुरक्षित जगह पर रह रहे हैं, लेकिन अब स्थिति पूरी तरह से बदल […]
डॉविवेकआर्य भारत जैसे बड़े देश में करोड़ों लोग वन क्षेत्र में सदियों से निवास करते है। कुछ लोग उन्हें आदिवासी कहते है क्योंकि उनका मानना है कि आदिकाल में सबसे प्रथम जनजाति इन्हीं के समान थी। कालांतर में लोग विकसित होकर शहरों में बसते गए जबकि आदिवासी वैसे के वैसे ही रहे। हम इसे भ्रान्ति […]
स्वाति सिंह भारत में 26 नवंबर 1949 को निर्वाचित संविधान सभा द्वारा भारतीय संविधान अपनाया गया था और 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया था। संविधान सभा में कुल 389 सदस्य थे। लेकिन अब इसे संयोग कहें या दुर्भाग्य कि संविधान निर्माण के संदर्भ में हमें केवल अग्रणी पुरुष सदस्यों के रूप में […]
समुद्र यात्री महर्षि अगस्त्य महावीर प्रसाद द्विवेदी कूपमण्डूकता बड़ी ही अनिष्टकारिणी क्या एक प्रकार से, विनाशकारिणी होती है। मनुष्य यदि अपने ही घर, ग्राम या नगर में आमरण पड़ा रहे तो उसकी बुद्धि का विकास नहीं होता, उसके ज्ञान की वृद्धि नही होती, उसकी दृष्टि को दूरगामिनी गति नहीं प्राप्त होती। देश—विदेश जाने, भिन्न भिन्न […]
वैद्य गुरुदत्त संविधान भले लोगों के समाज में और उस द्वारा निर्मित राज्य में एक समझौता होता है। इसका अधर्माचरण करने वाले लोगों से कोई संबध नहीं होता है। अधर्माचरण (अपराध) के लिए दण्ड विधान की कल्पना की गई है। जो लोग हृदय से धर्म की स्थापना चाहते हैं, वे इस निमित्त राज्य का निर्माण […]
विवेक भटनागर ऐतिहासिक रूप से मेवाड़ या शिबि जनपद का भारतवर्ष की राजनीति में अत्यन्त व्यापक प्रभाव है। इस जनपद का वर्णन स्ट्रेबो ने अपनी इण्डिका में शिबोई जन के रूप में किया है। यहां पर स्थापत्य का विकास क्रम इतिहासिक रूप से दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से आगे जाता है। इस क्षेत्र में प्रस्तर […]
के.एम. त्रिपाठी हम देखते हैं कि विभिन्न देशों की यात्राओं में जब हमारे राजनेता जाते हैं, तो उनके स्वागत के लिए विश्वभूमि के बन्धु संस्कृति की परम्पराओं, धार्मिक श्लोकों व हिन्दू संस्कृति के विविध प्रतीकों, पध्दतियों,कलाओं के माध्यम से उनका सम्मान करते हैं। भारत में भले ही छुद्र राजनैतिक स्वार्थों के लिए विभिन्न धड़े सनातन […]
अनिरुद्ध जोशी हाल ही में पाकिस्तान के सिंध प्रांत में अलग देश की मांग कर रहे लोगों ने एक विशाल रैली का आयोजन करके पाकिस्तान के अत्याचार के खिलाफ नारे लगाए। वहां के राष्ट्रवादियों ने सिंधी राष्ट्रवाद के संस्थापक जीएम सैयद की 117वीं जयंती पर पाकिस्तान से आजादी के समर्थन में रैली निकाली। प्रदर्शनकारियों ने […]
विनय आर्य आखिर जब जेएनयु विवाद फीस को लेकर था तो इस विवाद को मूलनिवासी से क्यों जोड़ दिया गया। फीस में मनुवाद कहाँ से आया और फीस में राम मंदिर कहाँ से आया? शायद ये चीजें आई नहीं बल्कि लाई गयी क्योंकि आजकल आपने एक शब्द सुना होगा मूलनिवासी। इस शब्द के साथ भारतीय […]