Categories
आओ कुछ जाने

*कितने अंग वैज्ञानिक दंग*____________

मानव शरीर परमपिता परमेश्वर की अनमोल अद्भुत रहस्यमई रचना है..| इस तथ्य को साधारण या नास्तिक जन नहीं समझ पाते लेकिन आस्थावान ईश्वर के उपासक, दुनिया के चोटी के चिकित्सा वैज्ञानिक भली भांति इस तथ्य को जान रहे है |

वर्ष 2017 तक हावर्ड ऑक्सफोर्ड कैंब्रिज कैलिफ़ोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी प्रिंसटन यूनिवर्सिटी सहित दुनिया के तमाम शीर्ष विश्वविद्यालय के *एनाटॉमिस्ट* वैज्ञानिक बिरादरी ने मानव शरीर में अंगों की संख्या 78 निर्धारित की थी ..|

लेकिन विज्ञान के क्षेत्र में कोई भी तथ्य अंतिम सत्य नहीं होता.. वर्ष 2017 के आखिरी में आयरलैंड के वैज्ञानिकों ने 79 वा अंग की खोज की जिसे *मेसेंट्री* नाम दिया नाम दिया गया.. ताज्जुब की बात यह है यह अंग पाचन संस्थान में ही मौजूद था। आंतों को पेट के अन्य हिस्सों से जोड़ता है .. इतना करीब होते हुए भी सदियां लग गई इसे खोजने समझने में..। सिलसिला यहीं नहीं रुका मार्च 2018 में 80 वा अंग भी खोज लिया गया है|

जिसे *इंटरस्टिसियम* नाम दिया गया है यह शरीर का सबसे विशाल अंग बताया जा रहा है..। इसकी खोज से भविष्य में इस पर आधारित अनुसंधान से कैंसर रोग पर नियंत्रण लगाया जा सकता है.. वैज्ञानिकों के अनुसार नई अंगों की खोज का सिलसिला यही रुकने वाला नहीं है… अब आप समझ सकते हैं अभी हम मानव शरीर को पूरी तरह से नहीं जान पाए ब्रह्मांड को जानना तो दूर की बात है… उससे भी कठिन व सूक्ष्म है मानव शरीर ब्रह्मांड के रचयिता सर्वशक्तिमान परमेश्वर ईश्वर को जानना जिसे #योगी मुनि धीर गंभीर जन ही जान सकते हैं इंद्रियों से परे जाकर.. क्योंकि ईश्वर को जानना वैज्ञानिकों का कार्यक्षेत्र नहीं है।

हम तो केवल प्रभु की महिमा का गुणगान कर सकते हैं आइए इस भजन को दोहराते हैं………… श्रद्धा भाव से |

” चली जा रही है यह जीवन की रेल

समझकर खिलौना इसे यूं ना खेल

कुशल कारीगर ने इस को बनाया

पड़े इसके इंजन में कर्मों का तेल

जरा सी खराबी अगर इसमें आवे

कदम एक भी आगे चलने न पावे”

गए कुछ सफर भर में रोते किलाते

मगर कुछ महापुरुष हंसते हंसाते

कोई समझे मंदिर कोई समझे जेल

यहीं पर जुदाई यहीं पर हो मेल

न अपनी खुशी से यहां लोग आए

मगर सब ने आकर यहां दिन बिताए”

आर्य सागर खारी✒✒✒

Comment:Cancel reply

Exit mobile version