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प्याज क्यों कहते हैं कृष्णावल ?

कृष्णावल….!!! यदि आज की आधुनिक शिक्षा प्राप्त पीढ़ी से आप पूछें कि “कृष्णावल” क्या है तो संभव है कि ९८ % तो यही कहेंगे कि उन्होंने यह शब्द कभी सुना ही नहीं है। पर यदि आप दादी नानी से पूछें या पचास वर्ष पूर्व के लोगों से पूछें तो वे आपको बता देंगे कि गाँव […]

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कृषि एवं पशुपालन में विशेष पहचान रखने वाला सरहदी गांव मंगनाड

भारती देवी पुंछ, जम्मू हर एक व्यक्ति या स्थान अपनी विशेष पहचान रखता है. चाहे वह पहचान छोटी हो या बड़ी. ऐसा कोई स्थान नहीं है जिसकी अपनी कोई न कोई विशेषता ना हो. कुछ स्थान अपनी सुंदरता के लिए विशेष पहचान रखते हैं, कुछ खानपान के लिए, वहीं कुछ अपने पहनावे के लिए जाने […]

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कृषि प्रधान देश में बेरोज़गार किसान

मनीषा / मोनिका लूणकरणसर, राजस्थान किसी देश के विकास में आने वाली समस्याओं में एक प्रमुख समस्या बेरोज़गारी है. भारत जैसे विशाल देश में आज भी कई छोटे छोटे गांव ऐसे हैं जहां नौजवानों की एक बड़ी आबादी बेरोज़गार है. नौकरी के लिए या तो उनके पास कोई स्रोत नहीं है या फिर उन्हें शहरों […]

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यज्ञ से बायोफोर्टीफाइड फसलें*

*______ लेखक आर्य सागर खारी 🖋️ आज हमें भोजन से केवल ऊर्जा मिल रही है लेकिन पोषण नहीं मिल रहा है बुजुर्ग अक्सर कहते हुए मिलते हैं कि अब खाने पीने की किसी चीज में पहले जैसा स्वाद नहीं रहा |यह समस्या हमारे देश के बुजुर्गों की नहीं है यह जलवायु परिवर्तन की तरह एक […]

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सब्जी उत्पादन से सालाना लाखों कमाता किसान फूलदेव पटेल

मुजफ्फरपुर, बिहार आधुनिक समय में नौकरी को उत्तम मानने वाली युवा पीढ़ियों के लिए खेतीबाड़ी सबसे निकृष्ट कार्य समझा जाता है, जबकि कृषि हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि का योगदान इस बार बेहतर रहा है. पिछली तिमाही में कृषि क्षेत्र का 4.7 से बढ़कर 5.5 प्रतिशत तक रिकाॅर्ड दर्ज […]

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राजस्थान, गांव और पानी

सरिता आचार्य बीकानेर, राजस्थान भारत जैसे विशाल भूभाग पर भिन्न भिन्न जलवायु और भौगोलिक परिस्थिति देखने को मिलती है. मेघालय स्थित मासिनराम और चेरापूंजी जहां सबसे अधिक वर्षा वाले स्थान के रूप में दर्ज है, तो वहीं राजस्थान का जैसलमेर सबसे अधिक सूखा वाला स्थान माना जाता है. जहां देश के अन्य सभी ज़िलों की […]

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बकरी पालन से ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं

सिमरन सहनी मुजफ्फरपुर, बिहार गांव की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने व गरीबों की आजीविका को सुदृढ़ करने के लिए सरकार से लेकर कई गैर-सरकारी संगठन विभिन्न योजनाएं चला रही हैं. गरीबों के लिए मजदूरी के साथ-साथ मवेशी, मुर्गी, बत्तख, बकरी पालन आदि कृषि आधारित रोजगार है. परंतु जागरूकता के अभाव में बहुत से ऐसे ग्रामीण […]

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*पत्ते -पत्ते की हरित अभियंत्रिकी*।☘️

🍃 लेखक आर्य सागर खारी 🖋️ पृथ्वी पर जीवन की श्रंखला में सर्वप्रथम पेड़ पौधों का आविर्भाव हुआ….. जलचर नभचर थलचर जीव धारियों के नथुनो से पहले ईश्वर ने पेड़ों के नथूनो में प्राण शक्ति को फूंका…. हमारे पास केवल दो ही नथुने हैं जिनसे हम स्वास लेते हैं,छोड़ते है , जिनसे हम प्राणवायु ऑक्सीजन […]

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खेती के नए स्वरुप को अपना रहे हैं पहाड़ों के किसान

नरेन्द्र सिंह बिष्ट हल्द्वानी, उत्तराखंड वर्तमान समय में सभी क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन का असर किसी न किसी रूप में देखने को मिल रहा है. चाहे वह बढ़ता तापमान हो, उत्पादन की मात्रा में गिरावट की बात हो, जल स्तर में गिरावट हो या फिर ग्लेशियरों के पिघलने इत्यादि सभी जगह देखने को मिल रहे […]

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प्राणी जगत के उत्तम तैराक*

लेखक आर्य सागर खारी 🖋️ इन दिनों उत्तर भारत चरणबद्ध तरीके से प्राकृतिक जलीय आपदा बाढ़ की चपेट में जाता हुआ दिखाई दे रहा है पर्वत से लेकर मैदानी क्षेत्रों तक…… सेना व एनडीआरएफ की टीमें लगी हुई है बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में निरंतर बचाव कार्य चल रहा है…. पहली प्राथमिकता मनुष्य को दूसरी प्राथमिकता […]

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