Categories
कृषि जगत

वृक्षों के आक्रामक प्रजातियों से मानव और वन को खतरा

नरेन्द्र सिंह बिष्ट नैनीताल, उत्तराखण्ड उत्तराखंड जो अपनी प्राकृतिक सुन्दरता से सभी को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है. विगत कई वर्षो से वृक्षों की आक्रामक प्रजातियों की बढ़ती संख्या को अनदेखा करता रहा, परंतु अब यही आज राज्य के लिए चिन्ता का विषय बनते जा रहे हैं. इन प्रजातियों से न केवल राज्य में […]

Categories
कृषि जगत

अन्नदाता किसानों को समर्पित डॉ सत्यवान सौरभ की नई किताब ‘खेती किसानी और पशुपालन’

दोहे, कहानी, कविता, संपादकीय लिखने वाले डॉ सत्यवान सौरभ का जन्म बड़वा भिवानी हरियाणा में हुआ। ये वर्तमान दौर के युवा स्वतंत्र पत्रकार हैं तथा आकाशवाणी और टीवी पेनालिस्ट है। इसलिए उनकी रचनाएं सामयिक घटनाओं व प्रसंगों से प्रेरित होती हैं तथा उनकी रचनाएं देश भर के अखबारों में में प्रतिदिन अनिवार्य उपस्थिति रहती है। […]

Categories
कृषि जगत

अज्ञात बीमारी का शिकार हो रहे पहाड़ी इलाकों के मवेशी

बाबर नफ़ीस डोडा, जम्मू एक ओर जहां इंसान कोरोना जैसी जानलेवा बीमारी से लड़ रहा है तो वहीं दूसरी ओर केंद्रशासित प्रदेश जम्मू के डोडा स्थित पहाड़ी इलाकों में मवेशियों के बीच एक अज्ञात बीमारी ने कोहराम मचा रखा है. जिसने अब तक कई पालतू मवेशियों की जाने ले ली हैं. ये मवेशी गरीबों की […]

Categories
कृषि जगत

सिंचाई के बिना प्रभावित होती कृषि

माधुरी सिन्हा गया, बिहार देश के निर्माण में शहर के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों का भी बराबर का योगदान रहा है. शहर में जहां उद्योग और कल-कारखाने अर्थव्यवस्था में योगदान देते हैं तो वहीं ग्रामीण क्षेत्र कृषि के माध्यम से देश के विकास में अपनी भूमिका निभाता है. वैसे भी भारत को कृषि प्रधान देश […]

Categories
कृषि जगत

किसान दिवस पर विशेष- किसान की दयनीयता.. क्या व्यवस्था की कमी है

सुरेश सिंह बैस “शाश्वत” भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां की लगभग अस्सी प्रतिशत आबादी खेती किसानी पर ही निर्भर है। अर्थात हमारे देश का अधिकतर वर्ग किसान की श्रेणी में आता है! फिर भारत में प्राकृतिक संसाधनों, ऊर्जा, औद्योगिक वातावरण, कुशल श्रम सभी कुछ आवश्यक तत्वों के होते हुए भी आज का किसान […]

Categories
कृषि जगत

गांव की पशुशाला के बारे में विशेष जानकारी

गांव में पशुशाला – अधिकांश पशु गांव में रहते हैं और जब वे काम के नहीं रहते हैं तो लोग उन्हें कसाई को बेच देते हैं या खुला छोड़ देते हैं। कुछ लोग पशुओं को आवारा मजबूरी में छोड़ते हैं क्योंकि उनके पास पशुओं के लिए आहार नहीं होता है। जब पशु खुला आवारा हो […]

Categories
कृषि जगत

कृषि के माध्यम से सशक्त होती ग्रामीण महिलाएं

तानिया चौरसों, उत्तराखंड देश में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई स्तरों पर काम किए जाते हैं। इसके लिए केंद्र से लेकर सभी राज्य सरकार विभिन्न योजनाएं भी संचालित कर रही हैं। लेकिन हमारे देश में कृषि एक ऐसा सेक्टर है जहां महिला सशक्तिकरण सबसे अधिक देखी जाती है। बल्कि यह कहना गलत नहीं […]

Categories
कृषि जगत

प्याज क्यों कहते हैं कृष्णावल ?

कृष्णावल….!!! यदि आज की आधुनिक शिक्षा प्राप्त पीढ़ी से आप पूछें कि “कृष्णावल” क्या है तो संभव है कि ९८ % तो यही कहेंगे कि उन्होंने यह शब्द कभी सुना ही नहीं है। पर यदि आप दादी नानी से पूछें या पचास वर्ष पूर्व के लोगों से पूछें तो वे आपको बता देंगे कि गाँव […]

Categories
कृषि जगत

कृषि एवं पशुपालन में विशेष पहचान रखने वाला सरहदी गांव मंगनाड

भारती देवी पुंछ, जम्मू हर एक व्यक्ति या स्थान अपनी विशेष पहचान रखता है. चाहे वह पहचान छोटी हो या बड़ी. ऐसा कोई स्थान नहीं है जिसकी अपनी कोई न कोई विशेषता ना हो. कुछ स्थान अपनी सुंदरता के लिए विशेष पहचान रखते हैं, कुछ खानपान के लिए, वहीं कुछ अपने पहनावे के लिए जाने […]

Categories
कृषि जगत

कृषि प्रधान देश में बेरोज़गार किसान

मनीषा / मोनिका लूणकरणसर, राजस्थान किसी देश के विकास में आने वाली समस्याओं में एक प्रमुख समस्या बेरोज़गारी है. भारत जैसे विशाल देश में आज भी कई छोटे छोटे गांव ऐसे हैं जहां नौजवानों की एक बड़ी आबादी बेरोज़गार है. नौकरी के लिए या तो उनके पास कोई स्रोत नहीं है या फिर उन्हें शहरों […]

Exit mobile version