डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा ‘उरतृप्त’ खेतों की मिट्टी से सने हाथों को देखकर स्वयं किसानों को घिन्न आने लगी है। हल, खुरपी, हँसिए उसे चिढ़ाने लगे हैं। टुकड़ों-टुकड़ों में बंटी जिंदगी कभी पूरी न हो सकी। त्यौहारों-उत्सवों, शोक के दिनों में भी अपने खेतों को न भूलने वाले किसान चिंता में डूबे रहते हैं। हम […]
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