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कृषि जगत

किसानों की झुर्राई-मुरझाई काली चमड़ी से ढकी इस दुनिया को भूखों मरने से बचाती है।

डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा ‘उरतृप्त’ खेतों की मिट्टी से सने हाथों को देखकर स्वयं किसानों को घिन्न आने लगी है। हल, खुरपी, हँसिए उसे चिढ़ाने लगे हैं। टुकड़ों-टुकड़ों में बंटी जिंदगी कभी पूरी न हो सकी। त्यौहारों-उत्सवों, शोक के दिनों में भी अपने खेतों को न भूलने वाले किसान चिंता में डूबे रहते हैं। हम […]

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कृषि जगत

उत्पादन के स्रोतों पर किसी व्यक्ति का नहीं सरकार का अधिकार होना चाहिए

उत्पादन के स्रोतों पर किसी व्यक्ति का नहीं बल्कि सरकार का अधिकार होना चाहिए। ऐसा हम नहीं कहते भाई, ये एक कम्युनिस्ट सिद्धांत है। अब ये बताइये कि किसान यानी “अन्नदाता” के लिए उत्पादन का स्रोत क्या है? उसकी जमीन? तो कम्युनिस्ट शासन में किसानों की जमीनें हड़प ली जाती हैं। नहीं, ये कोई मजाक […]

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कृषि जगत

मणिपुर की मणि , काला चावल

______________________________________ अनेक शताब्दियों तक यूरोप में भारतीय मसाले काली मिर्च को काला सोना के समान तवज्जो दी जाती रही है…. उसके औषधीय गुणों के कारण| भारत की विविधता पूर्ण जलवायु विविध प्रकार के फल फूल अन्न धान दाल आदि के सर्वाधिक अनुकूल है……| अनादि काल से भारत के पूर्वोत्तर राज्य आसाम मणिपुर सिक्किम आदि में […]

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आर्थिकी/व्यापार कृषि जगत

नए क्रांतिकारी आर्थिक सुधार कार्यक्रम से कृषि क्षेत्र को लगेंगे पंख

भारत वर्ष आज भी गांवों में ही बसता है। ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि देश की लगभग 60 प्रतिशत आबादी गांवों में ही निवास करती है। केंद्र में माननीय नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा वर्ष 2014 के बाद से ही किसानों की आय दुगनी करने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है एवं कृषि […]

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कृषि जगत

अन्नदाता पर कोरोना की भयंकर मार कैसे हो उपचार

★ देश के दिग्गज किसान नेताओं औऱ विचारकों की महत्वपूर्ण राय,ब्यूरो चीफ राकेश छोकर के साथ “”””””””””””””””‘”””‘”””””””””””””””””””””””””””””””””””‘””” ★ राकेश छोकर / नई दिल्ली “””””””””””””””‘”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””‘1. डॉ. राजाराम त्रिपाठी (राष्ट्रीय सयोंजक: अखिल भारतीय किसान महासंघ) ……………………………………………… ” सरकार ने खेती किसानी के कार्यों को आंशिक छूट भले दी है ,पर जिला विकासखंड तथा ग्राम पंचायत के स्तर […]

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कृषि जगत

भारत के ग्रामोदय का सपना अभी भी सरकारी नीतियों से गायब है

नई दिल्ली । ( विशेष संवाददाता ) हिंदूवादी चिंतक और अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री एस डी विजयन का कहना है कि ग्राम उदय से भारत उदय की संभावनाओं को तलाशती नीतियों की अभी भी देश में कमी है। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में हमारी अर्थव्यवस्था का केंद्र ग्राम होते थे । […]

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कृषि जगत

प्रकृति का संरक्षण संवर्धन ईश्वर की श्रेष्ठ आराधना

आर बी एस कुशवाह हम यदि प्रकृति के नियमों का भलीभाँति अनुसरण करें तो उसे कभी भी अपनी मूलभूत आवश्यकताओं में कमी नहीं रहेगी। पर्यावरण सुरक्षित रहेगा तो धरती पर जीवन सुरक्षित रहेगा। यदि प्रकृति को ईश्वर का दूसरा रूप कहा जाए तो कदापि गलत नहीं होगा। पेड़ों पर प्रकृति निर्भर करती है। पेड़ लगाना […]

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कृषि जगत

पशुओं से टूटता जा रहा है मनुष्य का संबंध

यह चिंताजनक है कि कृषि प्रधान देश भारत में पशुपालन के प्रति लोगों की अरुचि बढ़ती जा रही है। मवेशियों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है। आजादी के बाद से 1992 तक देश में मवेशियों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है। लेकिन उसके बाद इनकी संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की गई […]

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कृषि जगत

किसानों द्वारा अपनी भूमि पर काटी जा रही कॉलोनियों को अवैध कहना कितना सार्थक ?

हमारे देश में यदि कोई किसान या किसान परिवार में जन्मा कोई व्यक्ति काश्तकारों से जमीन लेकर या अपनी स्वयं की भूमि पर आवासीय भूखंड काटता है या कोई कॉलोनी बनाता है तो उसे ‘अवैध कॉलोनी ‘ कहने में जहां मीडिया के कुछ लोग सक्रिय होते हैं , वहीं कुछ अधिकारी भी इन कॉलोनीज को […]

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कृषि जगत

चिन्तनीय विषय : कृषि क्षेत्र बदहाल क्यों है

दीपक गिरकर राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन की हालिया रिपोर्ट बताती है कि एक किसान परिवार खेती से औसतन 3078 रुपए ही कमा पाता है। जबकि सीएसडीएस के आंकड़े बताते हैं किबासठ फीसद किसान खेती छोडऩा चाहते हैं। ये दोनों आंकड़े किसानों और कृषिक्षेत्र की दुर्दशा की तरफ ही इशारा करते हैं। लेकिन कृषि ऋण की […]

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