हरजिंदर सिंह ऐसी आशंकाएं पूरी तरह से निराधार भी नहीं हैं। कम से कम अमेरिका के कुछ उदाहरण तो यही बता रहे हैं। वहां स्कूलों को खोले हुए अभी दो सप्ताह भी नहीं हुए हैं लेकिन बच्चों, अध्यापकों और अन्य कर्मचारियों को कोविड-19 होने के कई मामले सामने आ गए हैं। दबाव भारत में भी […]
श्रेणी: शिक्षा/रोजगार
डॉ. ज्योति सिडाना ऐसा माना जाता है कि शिक्षा मनुष्य में आलोचनात्मक चेतना विकसित करती है, उन्हें आर्थिक, सांस्कृतिक और मानव पूंजी में परिवर्तित करती है तथा शोषण व दमन का विरोध करने हेतु जागरूक करती है. हाल ही में भारत सरकार द्वारा जारी नई शिक्षा नीति चर्चा में है क्योंकि इसमें अनेक बड़े […]
मिथिलेश कुमार सिंह 12वीं का फाइनल एग्जाम होने के पहले ही कई युवक एनडीए (राष्ट्रीय रक्षा अकादमी) का एंट्रेंस देते हैं। चूंकि प्रत्येक वर्ष अप्रैल और सितंबर में एग्जाम का दो बार आयोजन होता है और इसके फॉर्म प्रत्येक वर्ष जून और दिसंबर में आपको मिल जाते हैं। सेना के बारे में जरा भी रुचि […]
जे. पी. शुक्ला शिक्षा प्रणाली में पांचवी कक्षा तक मातृभाषा को शिक्षा प्रदान करने के माध्यम के रूप में बढ़ावा देने के लिए यह एक बहुत स्वागत योग्य कदम है, लेकिन शिक्षण सामग्री केवल कुछ निर्धारित भाषाओं में ही उपलब्ध है। भारत की शिक्षा प्रणाली में एक बहुत बड़ा परिवर्तन करते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने […]
संजय द्विवेदी आज ऑनलाइन शिक्षा एक वास्तविकता है, जिसे हम मानें या न मानें स्वीकारना पड़ेगा। कोरोना के संकट ने हमारी पूरी शिक्षा व्यवस्था के सामने कई सवाल खड़े किए हैं। जिसमें क्लास रूम टीचिंग की प्रासंगिकता, उसकी रोचकता और जरूरत बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। कोरोना काल ने सही मायने में भारत को […]
शतरंज सिखाने वाली अनुराधा बेनीवाल अपने वक़्त को ब्रिटेन और भारत के बीच में बांटती हैं. वो अलग-अलग महाद्वीपों में मौजूद छात्रों को शतरंज सिखाती हैं। लंदन के महंगे स्कूल से लेकर भारत के दूर-दराज़ के इलाक़े में रहने वाले ग़रीब बच्चों तक उनके यहां हर तरह के बच्चे सीखते हैं. लेकिन, कोविड-19 ने उनके […]
प्रियंका सौरभ दरअसल सरकारी स्कूल फेल नहीं हुए हैं बल्कि यह इसे चलाने वाली सरकारों, नौकरशाहों और नेताओं का फेलियर है. सरकारी स्कूल प्रणाली के हालिया बदसूरती के लिए यही लोग जिम्मेवार है जिन्होंने निजीकरण के नाम पर राज्य की महत्वपूर्ण सम्पति का सर्वनाश कर दिया है. वैसे भी वो राज्य जल्द ही बर्बाद हो […]
कोरोना वायरस महामारी ने पूरी दुनिया में सभी देशों की अर्थव्यवस्थाओं को जब ध्वस्त कर दिया है तब ऐसे समय में, भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी इस समय को भारत के लिए एक मौके की तरह देख रहे हैं। इसी कड़ी में माननीय प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम संबोधन में पहली बार ‘लोकल […]
रमेश कुमार पहले जहाँ शिक्षा श्यामपट, कापी-पुस्तकों तक सीमित थी आज वह मोबाइल, टैब, लैपटाप, कंप्यूटर के जरिए जहाँ-तहाँ पहुँच गयी है। यही कारण है कि देश की अब तक की जितनी भी शिक्षा नीतियाँ हैं, वे तकनीकी व सांकेतिक रूप से शिक्षा को सुदृढ़ बनाने पर जोर देती रहीं। इस दुनिया में एक ही […]
ओ३म् ============= किसी भी देश की उन्नति, सुरक्षा व सामर्थ्य उसकी युवा पीढ़ी के नैतिक व चारित्रिक गुणों पर निर्भर करती है। बच्चों व युवाओं में यह गुण अपने प्रारब्ध, अपने माता-पिता तथा परिवेश सहित अपने आचार्यों व विद्यालयों की शिक्षा से आते हैं। देश की आजादी के बाद धर्मनिरेक्षता और प्रधानमंत्री का एक विचारधारा […]