( बिना परीक्षा कॉलेजों और स्कूलों की बड़ी कक्षाओं के छात्रों को ‘कोरोना सर्टिफिकेट’ देना कोई बेहतर कदम नहीं है। कोरोना काल में वर्चुअल कक्षाओं ने इंटरनेट को भी शिक्षा की महत्वपूर्ण कड़ी बना दिया है लेकिन हमने ये भी जाना कि देश में एक बड़े वर्ग के पास न तो स्मार्ट फोन है और […]
श्रेणी: शिक्षा/रोजगार
डॉ. सत्यपाल सिंह ( संसाद,बागपत ) इस देश ने चार बड़ी-बड़ी गलतियाँ कीं। सबसे पहली गलती यह कि मजहब के नाम पर देश को बाँट दिया। दूसरी गलती यह थी, भाषाओं के नाम पर राज्यों का बँटवारा किया गया, तीसरी गलती यह थी कि जातियों ने नाम पर समाज का बाँटा गया और चौथी […]
एक अनुमान के अनुसार, कोरोना महामारी के चलते देश में लगभग 20 लाख रोज़गारों पर विपरीत प्रभाव पड़ा था। अतः केंद्र सरकार के सामने अब सबसे महत्वपूर्ण सोच का विषय यह है कि किस प्रकार देश में औपचारिक क्षेत्र में रोज़गार के अधिक से अधिक अवसर, निर्मित किए जायें। साथ ही, कोरोना महामारी के दौरान […]
ओ३म् ============= चार वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद ईश्वर प्रदत्त ज्ञान है। यह ज्ञान सृष्टि के आरम्भ में परमात्मा ने अपने अन्तर्यामीस्वरूप से आदि चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य तथा अंगिरा को दिया था। सृष्टि के आदि काल में सब ऋषियों व विद्वानों को इसका पूरा ज्ञान था। परम्परा तथा शपपथ ब्राह्मण ग्रन्थ के […]
अनिल अनूप दरअसल महाकुंभ और मदरसों की तुलना नहीं की जा सकती। महाकुंभ हमारी प्राचीन, सनातन संस्कृति, आस्था और श्रद्धा के प्रतीक हैं। ये आयोजन सिर्फ हिंदुओं तक ही सीमित नहीं हैं। महाकुंभ में तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा भी पधार चुके हैं और वहां ‘बुद्ध विहार’ की स्थापना में उनका विशेष योगदान रहा है। […]
उगता भारत ब्यूरो समाज में पूर्वाग्रह के कारण आमतौर पर यह माना जाता है कि संस्कृत भाषा का अध्ययन करने के बाद रोजगार की बहुत कम संभावनाएं शेष रहती है। यह धारणा तथ्यहीन होने के साथ-साथ समाज की अपरिपकृता का उदाहरण भी है। संस्कृत भाषा एंव विषय के अध्ययन के पश्चात युवाओं के लिए रोजगार […]
शंकर शरण (लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैं।) सरकार के एक सब से महत्वपूर्ण मंत्रालय द्वारा अपना बिगड़ा नाम कोरोना काल में सुधारने में एक तुक है। कोरोना ने पूरी दुनिया को याद दिलाया कि अर्थव्यवस्था से बड़ी चीज जीवन और प्रकृति के नियम है। यह बुनियादी सत्या खो गया है। मानव अर्थव्यवस्था का संसाधन बना डाला […]
डॉ. वेदप्रताप वैदिक विदेशी भाषाओं को पढ़ने की उत्तम सुविधाएं जरूर होनी चाहिए लेकिन वे 10वीं कक्षा के बाद हों और स्वैच्छिक हों। प्रादेशिक सरकारों और केंद्र सरकारों को ऐसा कानून तुरंत बनाना चाहिए कि विदेशी भाषा के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई पर पूर्ण प्रतिबंध लग जाए। आंध्र प्रदेश की सरकार ने पिछले साल […]
डॉ. चन्द्रकान्त राजू (लेखक प्रसिद्ध गणितज्ञ तथा उच्च अध्ययन संस्थान शिमला में टैगोर फेलो हैं।) गणित को सामान्यत: एक कठिन विषय माना जाता है। अक्सर इसके लिए शिक्षकों को दोषी ठहराया जाता है या फिर विद्यार्थी ही स्वयं को दोषी मान लेते हैं। परंतु समस्या की जड़ तक पहुंचे तो लगता है कि वास्तविक समस्या […]
डॉ. कृष्णगोपाल मिश्रा हमें समझना होगा कि साक्षरता एवं पुस्तकीय ज्ञान शिक्षा का एक अंग भर हैं, शिक्षा का पूरा संसार नहीं। शिक्षा के इस अंग का उपयोग नैतिक एवं मानवीय मूल्यों के संरक्षण-संवर्धन के लिए किया जाना चाहिए। साक्षरता जनित पुस्तकीय ज्ञान विज्ञान की तरह ही दुधारी तलवार है। भारतवर्ष की सनातन सांस्कृतिक परंपरा […]