प्राय: देखा गया है कि लोग आत्मकेन्द्रित होने का अर्थ अपने तक सीमित रहना, जिसे अंग्रेजी में रिजर्व नेचर कहते हैं। यह तो स्वार्थपरता है, अर्थ का अनर्थ है। आत्मकेन्द्रित होने से वास्तविक अभिप्राय है-अपने आत्मस्वरूप में केन्द्रित होना, अनंत आनंद में जीना, संतोष, सरसता और शांति में जीना। इसके लिए ध्यान में उतरने का […]
श्रेणी: बिखरे मोती
सूरजकुंड वैसे तो अपने मेलों, हस्तकला और पर्यटन के लिए मशहूर है। लेकिन राजनीतिक तीर्थ के रूप में भी इसका कोई कम महत्व नहीं है। हरियाणा के फरीदाबाद जिले का यह पर्यटन स्थल देश की राजधानी दिल्ली के बहुत करीब है। इस करीबी को वजह से ही सूरजकुंड का राजनीति से भी बहुत करीब का […]
सूरजकुंड वैसे तो अपने मेलों, हस्तकला और पर्यटन के लिए मशहूर है। लेकिन राजनीतिक तीर्थ के रूप में भी इसका कोई कम महत्व नहीं है। हरियाणा के फरीदाबाद जिले का यह पर्यटन स्थल देश की राजधानी दिल्ली के बहुत करीब है। इस करीबी को वजह से ही सूरजकुंड का राजनीति से भी बहुत करीब का […]
जल हमेशा नीचे की तरफ बहता है किंतु जब वह अग्नि तत्व के संपर्क में आता है तो वही जल वाष्प बनकर आकाश की ऊंचाईयों को छूने लगता है और बादल बनकर प्यासी धरती की प्यास बुझाता है। चारों तरफ हरियाली लाता है। पावस ऋतु और सुख समृद्घि का कारक बनता है। ठीक इसी प्रकार […]
जल हमेशा नीचे की तरफ बहता है किंतु जब वह अग्नि तत्व के संपर्क में आता है तो वही जल वाष्प बनकर आकाश की ऊंचाईयों को छूने लगता है और बादल बनकर प्यासी धरती की प्यास बुझाता है। चारों तरफ हरियाली लाता है। पावस ऋतु और सुख समृद्घि का कारक बनता है। ठीक इसी प्रकार […]
किसी भी देश का गौरव वहां की संस्कृति और इतिहास में छिपा है। इतिहास और संस्कृति का निर्माण उस राष्ट्र के नागरिक कहते हैं, महापुरूष करते हैं, वीर वीरांगनाएं करते हैं। भारत का अतीत बड़ा गौरवमय रहा है।भारत की धरती को शस्यश्यामला कहा जाता है, रत्नगर्भा कहा जाता है, इतना ही नही अपितु वीर प्रस्विनी […]
किसी भी देश का गौरव वहां की संस्कृति और इतिहास में छिपा है। इतिहास और संस्कृति का निर्माण उस राष्ट्र के नागरिक कहते हैं, महापुरूष करते हैं, वीर वीरांगनाएं करते हैं। भारत का अतीत बड़ा गौरवमय रहा है।भारत की धरती को शस्यश्यामला कहा जाता है, रत्नगर्भा कहा जाता है, इतना ही नही अपितु वीर प्रस्विनी […]
भारत को स्वाधीनता किसी ने थाली में परोस कर नही प्रदान की, अपितु भारत की स्वाधीनता की किश्ती शहीदों के शोणित के दरिया पर तैरती हुई आयी थी। करीब सात लाख लोगों की कुर्बानी से भारत की धरती लाल हुई थी। सदियों की गुलामी के बाद, तरह तरह की यातनाएं और जुल्मों को सहने के […]
गतांक…..से आगेठीक इसी प्रकार व्यष्टि चित्त में पड़ा कोई प्रबल शुभ संस्कार अनुकूल वातावरण पाकर जब भोगोन्मुख होता है तो वह समष्टि चित्त से सजातीय संस्कारों को खींचता है जिनसे उसे विशेष ऊर्जा मिलती है। घोर गरीबी, विघ्न बाधाओं के बावजूद भी वह व्यक्ति ऐसे सबके आकर्षण और प्रेरणा का केन्द्र बनता है जैसे कूड़े, […]
हमें अपने राष्ट्र और संस्कृति पर गर्व है। समस्त भूमंडल पर भारत ही एक ऐसा देश है जिसकी सभ्यता और संस्कृति हमारे वंदनीय और अभिनंदनीय ऋषियों के चिंतन से आज भी अनुप्रमाणित होती है। हमारे ऋषियों ने हमारे धर्मशास्त्रों में हमारे जीवन के सशक्त स्तम्भ अथवा आदर्श जहां चार पुरूषार्थों-धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को माना […]