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भारतीय संस्कृति

विश्वकर्मा पूजा*

-(Revised) Dr D K Garg हमारे देश में प्रत्येक वर्ष १७ सितम्बर को विश्वकर्मा दिवस के रूप मंे मनाया जाता है और इस दिन विश्वकर्मा देवता की पूजा की जाती है। इस दिन मशीनों के साथ-साथ दफ्तरों और कारखानों की सफाई करके विश्वकर्मा की मूर्ति को सजाया जाता है लोग मशीनों गाड़ियों कम्प्यूटर की पूजा […]

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भारतीय संस्कृति

भारत की संस्कृति के प्रचार-प्रसार ने देश के पर्यटन उद्योग में नई जान फूंक दी है

प्रह्लाद सबनानी केंद्र सरकार ने ग्रीन और डिजिटल पर्यटन पर ध्यान केंद्रित करते हुए राष्ट्रीय पर्यटन नीति का मसौदा तैयार किया है। इसमें विकास भी विरासत भी की तर्ज पर देश में पर्यटन क्षेत्र को विकसित किया जा रहा है। राष्ट्रीय पर्यटन नीति में पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया गया है। भारतीय सनातन संस्कृति, […]

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भारतीय संस्कृति

भारत का सांस्कृतिक वैभव एक नया आकार ले रहा है

भारतीय सनातन संस्कृति, सभ्यता और परम्पराएं विश्व में सबसे अधिक प्राचीन मानी जाती है। भारतीय संस्कृति को विश्व की अन्य संस्कृतियों की जननी भी माना गया है। भारत की संस्कृति और सभ्यता आदि काल से ही अपने परम्परागत अस्तितिव के साथ अजर अमर बनी हुई है। भारत में गीत संगीत, नाटक परम्परा, लोक परम्परा, धार्मिक […]

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नीम करोली बाबा*

* Dr D K Garg यधपि भारतीय बाबाओ और उनके चमत्कारों के विषय में बहुत कुछ लिखा जा चुका है। इसी श्रंखला में एक और बाबा है जो नीम करौली बाबा या नीम करौरी बाबा या महाराज के नाम से प्रसिद्द है। इनका जन्म स्थान ग्राम अकबरपुर जिला फ़िरोज़ाबाद उत्तर प्रदेश है। बाबा का असली […]

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*दक्ष की पौराणिक कहानी*

Dr D K Garg पौराणिक कथा :सती के पिता दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया, लेकिन उन्होंने अपने दामाद और बेटी को यज्ञ का निमंत्रण नहीं भेजा। फिर भी सती शिवजी से जिद करके अपने पिता के यहां यज्ञ में पहुंच गई। दक्ष ने उसकी उपेक्षा की और शिव के विषय में सती के […]

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भारतीय संस्कृति

गलत आधारों पर दिखाया जाता है हिंदू समाज को बंटा हुआ

प्रो. रामेश्वर मिश्र पंकज हिन्दू समाज विश्व का सर्वाधिक संगठित समाज है। हजारों वर्षों से इसके संगठन का स्वरूप गतिशील है। धर्मशास्त्रों में इस तथ्य का ही विवरण अंकित है। संगठित होने के साथ ही यह समतामूलक, न्यायनिष्ठ तथा सामंजस्यमूलक रहा है। इसी कारण टिका रहा है। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार समाज की इकाइयाँ विविध […]

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स्वामी दयानंद जी महाराज और आर्योद्देश्यरत्नमाला

60 वर्ष की अल्पायु में महर्षि दयानंद ने अनेकों पुस्तकें तथा ग्रंथों की रचना की। एक एक पुस्तक को अलग-अलग पढ़ें तो आभास होता है कि प्रत्येक पुस्तक में ज्ञान की अमृत वर्षा की हुई है। हम पर बहुत ऋण है महर्षि दयानंद का। लेकिन आज मैं आर्योंदेश्यरत्नमाला पर आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहूंगा जो […]

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भारतीय संस्कृति

गंगा ,जमुना ,सरस्वती-संगम की वास्तविकता क्या है?*

* Dr D K Garg प्रचलित मान्यताएंः गंगा,यमुना को लेकर अनेकों पौराणिक कथाएं मिलती है जैसे यमुना को सूर्य की बहिन,गंगा को शिव की पुत्री और ब्रह्मा की पत्नी,और ब्रह्मा के कमंडल में रहने वाली गंगा आदि। वैसे तो भारत में हजारों नदिया है लेकिन इन तीन नदियों यानि की गंगा ,यमुना और सरस्वती की […]

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भारतीय समाज में विवाह के अनुशासन की झलक

भारतीय समाज में विवाह के अनुशासन की झलक ऋग्वेद के यम-यमी सूक्त में मिलती है । दम्पति में परस्पर सखा-भाव को प्रधानता है । विवाह को नियमों में बाँधे जाने का प्रथम कार्य दीर्घतमस ऋषि द्वारा किया गया था. इसका अगला संस्करण औद्दालकि द्वारा हुआ. हिन्दू विवाह अग्नि के साक्षित्व , सप्तपदी और ध्रुव-अरुन्धति दर्शन […]

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ओ३म् “ईश्वर का ध्यान करते हुए साधक को होने वाले कतिपय अनुभव”

========== मनुष्य का आत्मा चेतन सत्ता वा पदार्थ है। उसका कर्तव्य ज्ञान प्राप्ति व सद्कर्मों को करना है। ज्ञान ईश्वर व आत्मा संबंधी तथा संसार विषयक दो प्रकार का होता है। ईश्वर भी चेतन आत्मा की तरह से एक चेतन पदार्थ है जो सच्चिदानन्दस्वरूप, सर्वज्ञ, निराकार, सर्वव्यापक एवं सर्वान्तर्यामी सत्ता है। ईश्वर व आत्मा दोनों […]

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