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भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा स्वर्णिम इतिहास

भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा ,( है बलिदानी इतिहास हमारा ) अध्याय 8 ( ग ) , देश धर्म की रक्षा के लिए बनाई गई राष्ट्रीय सेनाएं

देश धर्म की रक्षा के लिए बनाई गईं राष्ट्रीय सेनाएं ऐसी राष्ट्रीय सेनाओं का गठन हमारे राजाओं ने एक बार नहीं अनेकों बार किया । विनोद कुमार मिश्र (प्रयाग) ने अपनी पुस्तक ‘विदेशी आक्रमणकारी का सर्वनाश : भारतीय इतिहास का एक गुप्त अध्याय’ – में किया है । वह हमें बताते हैं : – “1030 […]

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भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा ( है बलिदानी इतिहास हमारा ) अध्याय – 8 ( ख ) जब भारत के अपमान का प्रतिशोध लिया गुर्जर सम्राट नागभट्ट प्रथम ने

इन परिस्थितियों पर विचार करते हुए लेखक ने अपनी पुस्तक “भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास”- भाग 1 , के पृष्ठ संख्या 26 पर लिखा है कि – “दक्षिण भारत और उत्तर भारत सहित पूरब और पश्चिम के सभी शासकों को संस्कृतिनाशक इतिहासकारों ने नितान्त उपेक्षित करने का प्रयास किया है – हमें […]

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भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा ( है बलिदानी इतिहास हमारा) अध्याय — 8 (क ) -इस्लाम का आगमन और पराक्रमी भारतीय राजा दाहिर सेन

हिन्दू समाज का संप्रदायों में विभाजन हो जाना और नए-नए सम्प्रदायों का जन्म होते जाना निश्चित ही हमारे सामाजिक जीवन के लिए हानिकारक सिद्ध हुआ । इस प्रकार के सम्प्रदायों ने हमारी सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को क्षतिग्रस्त किया। नये-नये सम्प्रदायों के धर्माचार्यों ने भी कहीं न कहीं महात्मा बुद्ध के उपदेशों को ग्रहण कर […]

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भारतीय क्षात्र धर्म और अहिंसा ( है बलिदानी इतिहास हमारा ) अध्याय — 7 , निरंतर बना रहा भारत का पराक्रम

डॉ राकेश कुमार आर्य संपादक उगता भारत गुप्त वंश के पतन के पश्चात सम्राट हर्षवर्धन भारत के एक महान शासक हुए । इस सम्राट ने भी अपना एक सम्मानजनक और विशाल साम्राज्य स्थापित किया। 606 ईस्वी में हर्षवर्धन का राज्याभिषेक हुआ । उसके राज्यारोहण के 4 वर्ष पश्चात ही अरब के शुष्क रेत में एक […]

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भारतीय क्षात्र धर्म और अहिंसा (है बलिदान इतिहास हमारा), अध्याय — 6, गुप्तकालीन क्षत्रिय धर्म और अहिंसा

प्राचीन भारतीय इतिहास में गुप्त वंश के शासन काल को स्वर्ण युग की संज्ञा दी जाती है। इस वंश में एक से बढ़कर एक कई महान शासकों की स्वर्णिम श्रंखला हमें दृष्टिगोचर होती है । यद्यपि इस वंश से पूर्व अशोक के पश्चात कई शासकों एवं वंशों ने शासन किया , जिनमें शुंग , सातवाहन […]

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भारतीय क्षात्र धर्म और अहिंसा ( है बलिदान इतिहास हमारा ) , अध्याय — 5 , धार्मिक पाखंडवाद ,बौद्ध धर्म और अहिंसा

राष्ट्रकवि इकबाल की निम्नलिखित पंक्तियां बहुत ही सार्थक हैं :— यूनानियों को जिसने हैरान कर दिया था, तुर्कों का जिसने दामन हीरों से भर दिया था, मिट्टी को जिसकी हमने जर का असर दिया था, सारे जहां को जिसने इल्मो – हुनर दिया था , मेरा वतन वही है , मेरा वतन वही है ।। […]

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भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा ( है बलिदानी इतिहास हमारा ) ,अध्याय — 4 , सिकंदर और भारत का क्षत्रिय धर्म

सिकन्दर और भारत का क्षत्रिय धर्म महाभारत के युद्ध में अपने सगे – सम्बन्धी , मित्र , पुत्र- कलत्र को अपने सामने युद्ध के लिए खड़ा देखकर अर्जुन बहुत अधिक दुखी हो गया । अबसे पहले उसने यद्यपि कितनी ही बार अपने क्षत्रियपन का परिचय दिया था , परन्तु आज कुछ और ही बात थी […]

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भारतीय क्षात्र धर्म और अहिंसा ( है बलिदानी इतिहास हमारा ) अध्याय –3

भारतीय राजधर्म और अहिंसा देश की वर्तमान परिस्थितियों पर यदि चिंतन किया जाए तो पता चलता है कि देश का नेतृत्व और विशेष रूप से अभी तक की कांग्रेस की सरकारें इस दुर्दशा के लिए उत्तरदायी हैं । किसी कवि ने ठीक ही तो कहा है :– न बिजली की अनाइतों से न बादे फसले […]

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भारतीय क्षात्र धर्म और अहिंसा ( है बलिदानी इतिहास हमारा ) अध्याय — 2 , वैदिक राष्ट्र और अहिंसा

  वैदिक राष्ट्र और अहिंसा यजुर्वेद में एक सुन्दर ऋचा आयी है :– ओ३म आ ब्रह्मन् ब्राह्मणो ब्रह्मवर्चसी जायताम आ राष्ट्रे राजन्य: शूरऽइषव्योऽतिव्याधी महारथो जायतां दोग्ध्री धेनुर्वोढानड्वानाशु: सप्ति: पुरन्धिर्योषा जिष्णू रथेष्ठा: सभेयो युवास्य यजमानस्य वीरो जायतां निकामे निकामे न: पर्जन्यो वर्षतु फलवत्यो नऽओषधय: पच्यन्तां योगक्षेमो न: कल्पताम्।। -यजु० २२/२२ अर्थात हे सर्वाधार सर्वेश्वर सर्वव्यापक प्रभो […]

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भारतीय क्षात्र धर्म और अहिंसा ( है बलिदानी इतिहास हमारा )

अध्याय 1 वैदिक धर्म और अहिंसा भारतवर्ष के पास उसका गौरवपूर्ण सांस्कृतिक इतिहास है । यह इतिहास भारत को शेष संसार से सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है। भारत की संस्कृति अनुपम है , अप्रतिम है । इसका अध्यात्मवाद अनोखा और निराला है , तो वेदज्ञान बेजोड़ और अद्वितीय है , जो कि संसार […]

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