किसने नदियों और वनों को गर्जने के योग्य बनाया? क्या कोई व्यक्ति युद्धों, विवादों या पापों में फंसना चाहता है? हमें परमात्मा की संगति क्यों करनी चाहिए? मानोअस्मिनमघवन्पृत्स्वंहसिनहितेअन्तः शवसः परीणशे। अक्रन्दयोनद्यो३ रोरुवद्वनाकथा न क्षोणीर्भियसासमारत।। ऋग्वेदमन्त्र 1.54.1 (मा) नहीं (नः) हमें (अस्मिन) यह (मघवन्) समस्त सम्पदाओं का दाता (पृत्सु) युद्धों में, विवादों में (अंहसि) पापों में […]
श्रेणी: आज का चिंतन
पूर्ण कल्याण का जीवन किसको प्राप्त होता है? उत्तम साहसिक व्यक्ति कौन बनता है? उत्तम आध्यात्मिक जीवन के क्या लक्षण हैं? य उदृचीन्द्रदेवगोपाः सखायस्तेशिवतमाअसाम। त्वां स्तोषामत्वयासुवीराद्राघीय आयुः प्रतरं दधानाः।। ऋग्वेदमन्त्र 1.53.11 (ये) वो हम (उदृचि) उत्तम ऋचाओं के साथ अर्थात् वैदिक मन्त्र, ज्ञान और तरंगों के साथ (इन्द्र) परमात्मा (देवगोपाः) दिव्य संरक्षण वाला, दिव्यताओं का […]
एक शेरनी गर्भवती थी, गर्भ पूरा हो चुका था, शिकारियों से भागने के लिए टीले पर गयी, उसको एक टीले पर बच्चा हो गया। शेरनी छलांग लगाकर एक टीले से दूसरे टीले पर तो पहुंच गई लेकिन बच्चा नीचे फिसल गया……नीचे भेड़ों की एक कतार गुजरती थी, वह बच्चा उस झुंड में पहुंच गया। था […]
(आर्योदय से संङ्कलित) प्रस्तुति – 📚आर्य मिलन शास्त्रार्थ के विषय की स्थापना पं० शान्तिप्रकाश ने करते हुए कहा कि वेद में ईश्वर की उपासना के द्वारा अपने मन को शुद्ध करके शुभ कर्मो से मोक्ष प्राप्ति के सिद्धान्तों को स्वीकार किया गया है । इस सृष्टि की रचना का प्रयोजन शास्त्रों में भोग और अपवर्ग […]
दिव्य अग्रवाल (लेखक व विचारक) सम्पूर्ण विश्व जानता है की सैकड़ो वर्षों की तपस्या,त्याग,बलिदान और साधना के पश्चात प्रभु श्री राम के मंदिर का भव्य निर्माण श्री अयोध्या धाम में हुआ है । जिसको अगर राजनितिक रूप से देखा जाए तो भाजपा ही एक मात्र राजनितिक दल था जिसका मुख्य उद्देश्य ही प्रभु का मंदिर […]
त्वमाविथसुश्रवसंतवोतिभिस्तव त्रामभिरिन्द्रतूर्वयाणाम्। त्वमस्मैकुत्समतिथिग्वमायुंमहेराज्ञे यूनेअरन्धनायः।। ऋग्वेदमन्त्र 1.53.10 (त्वम्) आप (आविथ) रक्षा करते हो (सुश्रवसम्) उत्तम स्रोता (दिव्यता का), सुने जाने के लिए उत्तम (अपने ज्ञान और अनुभूति के लिए) (तव ऊतिभिः) आपके द्वारा संरक्षण साधनों के साथ (तव त्रामभिः) आपके द्वारा पालन पोषण के साधनों के साथ (इन्द्र) परमात्मा (तूर्वयाणाम्) सभी बुराईयों और दुर्गुणों पर आक्रमण […]
डॉ डी के गर्ग पौराणिक मान्यता =नरसिंह अथवा नृसिंह (मानव रूपी सिंह) भगवान विष्णु का अवतार है।जो आधे मानव एवं आधे सिंह के रूप में प्रकट होते हैं, जिनका सिर एवं धड तो मानव का था लेकिन चेहरा एवं पंजे सिंह की तरह थे। ये एक देवता हैं जो विपत्ति के समय अपने भक्तों की […]
कौन सर्वोच्च श्रोता है? जनता पर शासन करने वाले बीस शासक कौन हैं? सर्वोच्च श्रोता किस व्यक्ति को इन बीस शासकों से बचाता है? दिव्यता के अत्यन्त निकट कौन होता है? बीस शासकों ने पूरा कुशासन किस प्रकार रचा हुआ है? ऋग्वेदमन्त्र 1.53.9 त्वमेतांजनराज्ञोद्विर्दशाऽबन्धुनासुश्रवसोपजग्मुषः। षष्टिंसहस्रा नवतिंनवश्रुतोनिचक्रेणरथ्या दुष्पदावृणक्।। (त्वम्) आप (एतान्) इन (जनराज्ञः) जनता पर शासन […]
ऋषि दयानंद सरस्वती जी की चिंता यही थी मानव समाज को केवल और केवल सत्य के साथ जोड़ना | ऋषि दयानन्द जी चाहते थे मानव मात्र को यथार्त से परिचित कराना या सत्य से रूबरू कराना, मुसीबत उन्हों ने अपने ऊपर लिया की आने वाला समय मेरे संतानों को मुसीबतों का सामना करना न पड़े […]
ऋग्वेदमन्त्र 1.53.8 त्वंकरंजमुतपर्णयं वधीस्तेजिष्ठयातिथिग्वस्य वर्तनी। त्वं शता वङ्गृदस्याभिनत्पुरोऽनानुदः परिषूता ऋजिश्वना।। 8।। (त्वम्) आप (परमात्मा, परमात्मा का मित्र) (करंजम्) श्रेष्ठ पुरुषों को दुःख देने वाला (उत) और (पर्णयम्) पराई वस्तुओं को चुराने वाला (वधीः) नाश (तेजिष्ठया) गति और बल के साथ (अतिथिग्वस्य) अतिथियों का (परमात्मा का तथा परमात्मा के मित्र का) (वर्तनी) संरक्षण करता है (त्वम्) […]