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आज का चिंतन

आज का चिंतन-08/08/2013

निडर होकर करें बेबाक अभिव्यक्तिफिर देखें इसका चमत्कार– डॉ. दीपक आचार्य9413306077 मन-मस्तिष्क और चेतन-अवचेतन को शुद्घ-बुद्घ बनाए रखने और संकल्प को बलवान बनाने के लिए यह जरूरी है कि अपने दिमाग में जो भी बात आए, उसे यथोचित स्थान पर पहुंचाने में तनिक भी विलंब नहीं करें और तत्काल सम्प्रेषित करें।बाहरी दुनिया के लिए तैयार […]

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आज का चिंतन

आज का चिंतन -06/08/2013

प्रतिक्रियाएँ न करें नजानने की कोशिश करेंडॉ दीपक आचार्य9413306077dr.deepakaacharya@gmail.com प्रतिक्रिया एक ऐसा शब्द है जो जीवन भर हर कर्म और विचार में समाया रहता है कर्मयोग की विभिन्न धाराओं औरउपधाराओं में प्रतिक्रिया न हो तो कई सारे अच्छे-बुरे कामों को अपने आप विराम लग जाए। अधिकांश लोगों का हर कर्मप्रतिक्रिया जानने और करने के लिए हुआ करता है। चंद लोग ही ऐसे हुआ करते हैं जिन्हें अपने काम से मतलब है, अपने कर्मयोग को उच्चतम शिखर प्रदान करने से हीसरोकार है। उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं है कि उनकी गतिविधियों या कर्म की क्या और कैसी प्रतिक्रियाएं होंगीअथवा हो रही हैं। ये लोग अपने कर्म के प्रति निष्ठावान और समर्पित होते हैं और ऐसे लोगों का प्रत्येक कर्म या तो स्वयं की प्रसन्नता औरसुकून के लिए होता है अथवा ईश्वरार्पण। ऐसे में इन लोगों पर अपने कर्म, व्यवहार और हलचलों के बारे में होने वालीप्रतिक्रियाओं का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। ऐसे लोग जो भी कर्म करते हैं वे कालजयी और शाश्वत श्रेय प्रदान करने वाले होते हैं क्योंकि इनके पीछे अच्छी या बुरीप्रतिक्रिया अभीप्सित नहीं होती है। जबकि दुनिया में अधिकांश लोग जो भी कर्म करते हैं वह प्रतिक्रिया से प्राप्त होने वालेसुकून और सुख को ध्यान में रखकर करने के आदी होते हैं। इन लोगों कमी हर हरकत के पीछे कोई न कोई प्रतिक्रिया उपजाने, सुनने या करने-कराने के भाव छिपे हुए होते हैं। प्रतिक्रियाओं पर और कोई ध्यान न भी दे तब भी ये अपने  हर शुभाशुभ कर्म की प्रतिक्रिया जानना चाहते हैं औरप्रतिक्रियाओं के स्वरूप तथा घनत्व के आधार पर ही इनके भावी कर्मों की बुनियाद टिकी हुई होती है। इन लोगों के लिए यह कहा जाए कि इनका जन्म ही प्रतिक्रियाओं की प्राप्ति के लिए क्रियाओं को करने तथा प्रतिक्रियाओंको जानने भर के लिए ही हुआ है, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। हमारे आस-पास से लेकर दुनिया के ध्रुवों तक, हरछोर पर प्रतिक्रियावादियों का बोलबाला रहा है जो अपने करीब से लेकर आक्षितिज पसरी हुई हलचलों के बारे मेंप्रतिक्रियाएं व्यक्त करना अपना जन्म सिद्ध अधिकार समझते हैं और ऐसे अधिकार सम्पन्न लोगों की अपने यहाँ भीकोई कमी नहीं है। अपने क्षेत्र में ऐसे खूब सारे लोग हैं जिनका एकमेव जीवन लक्ष्य प्रतिक्रियाओं में जीना और प्रतिक्रियाओं की चाशनी मेंनहाते हुए पूरी जिन्दगी गुजार देना रह गया है। जीवन में कर्मयोग में सफलता पाने की कामना रखने वाले लोगों कोचाहिए कि वे न कभी प्रतिक्रियाएँ करें, न इन पर कोई ध्यान दें क्योंकि प्रतिक्रियाएं व्यक्ति को खोखला करती हैं और जोलोग प्रतिक्रियाओं के भरोसे चलते हैं वे जिन्दगी के महान लक्ष्यों से भटक कर रह जाते हैं प्रतिक्रियाओं के मकड़जाल मेंही उलझ कर रह जाते हैं। जो लोग प्रतिक्रियाएं करते हैं या प्रतिक्रियाओं को जानना, करना या कराना चाहते हैं उन लोगों को यही अभीप्सित होताहै कि जो लोग प्रतिक्रियाओं के भंवर में फंस जाते हैं उनकी जिन्दगी की रफ्तार को थाम ली जाए और उन्हें ऐसा नाकाराकर दिया जाए कि वे जिन्दगी भर क्रियाओं और प्रतिक्रियाओं के बीच पेण्डुलम की तरह बने रहें और आगे नहीं बढ़सकें। जो भी व्यक्ति एक बार प्रतिक्रियाओं में रस लेने लग जाता है वह अपने उद्देश्यों में भटक कर रह जाता है औरप्रतिक्रियावादियों के हाथों की कठपुतली बना हुआ जीवन के अमूल्य क्षणों की हत्या कर देता है।  जीवन में तरक्कीपाना चाहें तो न प्रतिक्रिया करें, न अपनी किसी क्रिया के बारे में औरों की प्रतिक्रिया जानने का कभी प्रयास करें। —000—

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आज का चिंतन-05/08/2013

उपेक्षा न करें मनोरोगियों की सहानुभूति और संबल दें – डॉ. दीपक आचार्य9413306077dr.deepakaacharya@gmail.comहमारे आस-पास और अपने क्षेत्र में मनोरोगियों का बोलबाला अर्से से रहा है और रहेगा। हम इन मनोरोगियों को देखकर या इनकी हरकतों को देख-सुन कर अपनी राह ले लेते हैं। इनके बारे में ख्याल रखने की हमें फुर्सत तक नहीं हुआ करती। […]

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आज का चिंतन-04/08/2013

ग्रह-नक्षत्रों को प्रभावित करता है साथियों का संग – डॉ. दीपक आचार्य9413306077dr.deepakaacharya@gmail.comव्यक्ति की जिन्दगी में जो कुछ होता है उसका सीधा और गहरा प्रभाव चरित्र और कर्मयोग पर पड़ता है। परिवेशीय घटनाओं-दुर्घटनाओं से लेकर घर-परिवार के संस्कारों, रीति-रिवाज, रहन-सहन और कुटुम्बियों से लेकर मित्रों, परिचितों और उन सभी का प्रभाव हम पर पड़ता है जिनके […]

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आज का चिंतन-03/08/2013

कृपा चाहें तो सिर्फ ईश्वर कीइंसान क्या दे सकता है? डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.comमनुष्य ईश्वर का अंश है और उसे जो कुछ प्राप्त करना है उसके लिए कर्मयोग में रमते हुए सब कुछ ईश्वर से ही पाने की कामना रखनी चाहिए। अपने काम-धंधो और तमाम प्रकार की सांसारिक प्रवृत्तियों में जुटे रहते हुए भी […]

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आज का चिंतन-02/08/2013

पैसों की नहींसेवाभाव की जरूरत है – डॉ. दीपक आचार्य9413306077 अब वो दिन नहीं रहे जब समाज और परिवेश के बहुमुखी उत्थान के लिए पैसों की जरूरत ही प्रधान थी और उसके बगैर सेवा कार्यों में विलंब या बाधाओं का सामना करना पड़ता था।आज समय बदल चुका है। कुछ दशकों पहले तक की ही बात […]

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आज का चिंतन -01/08/2013

मूर्दों से कम नहीं हैं टाईमपास करने वाले – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com हर तरफ ऎसे लोगों की कोई कमी नहीं है जो पूछने पर अक्सर यह कहते सुने जाते हैं – कुछ नहीं यार,  जैसे-तैसे टाईमपास कर रहे हैं। टाईम पास ही नहीं होता, बोर होते हैं। कैसे टाईमपास करें, कहाँ जाएं…. यहाँ […]

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आज का चिंतन-31/07/2013

भरोसे काबिल नहीं हैं ये पराश्रित परजीवी डॉ. दीपक आचार्य9413306077dr.deepakaacharya@gmail.comदुनिया में दो तरह के लोग होते हैं। एक वे हैं जो खुद की बुद्धि, मेहनत और हुनर के बूते अपना जीवन बनाते हैं और मस्ती के साथ सफलतापूर्वक जीवनयापन करते हैं।दूसरी किस्म उन लोगों की है जो आत्महीन होते हैं। इन लोगों के पास कितनी […]

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आज का चिंतन-30/07/2013

प्रोत्साहन भले न दें प्रतिभाओं की हत्या तो न करें डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.comदुनिया में हर क्षेत्र में प्रतिभाओं का जन्म होता रहा है और उनकी वजह से विश्व समुदाय को कुछ न कुछ प्राप्त होता ही है। भगवान ने मनुष्य को सभी प्राणियों में सबसे ज्यादा बुद्धि, कौशल और मौलिक प्रतिभाओं के साथ […]

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आज का चिंतन (29/07/2013)

साधना और भक्ति निष्फल है सत्संग और सेवा के बगैर  डॉ. दीपक आचार्य9413306077dr.deepakaacharya@gmail.comमनुष्य जन्म में आने के उपरान्त मानवीय मूल्यों, आदर्शों, लोकानुशासन एवं मर्यादाओं का पालन जरूरी है। इन्हीं परंपरागत पंथों पर चलते रहकर ही अपने साध्य को पाया जा सकता है। फिर चाहे साध्य अपने लौकिक एवं अलौकिक कार्य हों या ईश्वर से साक्षात्कार अथवा आत्मतत्व […]

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