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संपादकीय

मानवाधिकारों पर भारतीय चिंतन

यूरोप में मानवाधिकारों की संकल्पना भारत से गयी है। जबकि तथाकथित प्रगतिशील लेखकों और इतिहासकारों ने हमें कुछ इस प्रकार समझाने का प्रयास किया है कि यूरोप से चलकर मानवाधिकार की संकल्पना भारत पहुंची है। यूरोप ने 15 जून 1215 को अपने ज्ञात इतिहास की ऐसी पहली तिथि स्वीकार किया है जब मानवाधिकारों की ओर […]

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व्यक्तित्व

योगी आदित्यनाथ का चिंतन सरदार पटेल की याद दिलाता है

योगी आदित्यनाथ इस समय भारत की राजनीति के एक जाने माने चेहरे हैं। उत्तर प्रदेश में वह जहां-जहां भी चुनावी सभाएं कर रहे हैं, वहीं-वहीं बड़ी संख्या में लोग उन्हें सुनने आ रहे हैं। लोग उन्हें इसलिए भी सुनना  पसंद करते हैं कि वे जो कहते हैं उसे करके दिखाते हैं। लोगों को बरगलाकर या […]

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राजनीति

वामपंथ के लिए चिंतन का सही समय

मनमोहन सिंह अगर वोटों के हिसाब से देखें तो वामपंथी विचारधारा पिछड़ती नजर आ रही है। सोवियत संघ के टूटने के बाद पूर्वी यूरोप के देशों ने जिस तरह इस विचारधारा को दरकिनार किया, उसने पूरी दुनिया के साम्यवादी आंदोलन को कठघरे में ला खड़ा किया है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। चौंतीस साल […]

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