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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-35

गीता का पांचवां अध्याय और विश्व समाज गीता का भूतात्मा और पन्थनिरपेक्षता गीता ने सर्वभूतों में एक ‘भूतात्मा’ परमात्मा को देखने की बात कही है। वह भूतात्मा सभी प्राणियों की आत्मा होने से भूतात्मा है। सब भूतों में व्याप्त है भूतात्मा एक। परमात्मा कहते उसे आर्य लोग श्रेष्ठ।। मनुष्य जाति यदि इस भाव को हृदय […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-34

गीता का पांचवां अध्याय और विश्व समाज ये चारों बातें कर्मयोगियों के भीतर मिलनी अनिवार्य हैं। यदि कोई व्यक्ति द्वैधबुद्घि का है, अर्थात द्वन्द्वों में फंस हुआ है तो वह हानि-लाभ, सुख-दु:ख, यश-अपयश आदि के द्वैध भाव से ऊपर उठ ही नहीं पाएगा। वह इन्हीं में फंसा रहेगा और इन्हीं में फंसा रहकर जीवन पार […]

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बिखरे मोती

तीन तन उन्नीस मुख, दिये अंग जीव को सात

बिखरे मोती-भाग 210 गतांक से आगे…. सारांश यह है सृष्टि का संचालन कर्म से और कर्म का संचालन भाव से हो रहा है। भाव हमारे चित्त में उठते हैं, जो कर्म में परिणत होने से पूर्व ही पवित्र होने चाहिए। भावों पर पैनी नजर रखनी चाहिए क्योंकि असली चीज कर्म नहीं भाव है। यह भाव […]

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विशेष संपादकीय

भारत में हिन्दुत्व के लिए हैं गम्भीर चुनौतियां

भारतवर्ष हिन्दुओं की अंतिम शरणस्थली है। हिन्दू ही हैं जो इस देश को अपना मानते हैं और अपना मानकर भी इससे प्रेम करते हैं। आज यह विचारणीय है कि यदि विश्व के किसी भी कोने में, हिन्दुओं पर आक्रमण होते हैं तो हिन्दू कहां जायेंगे..? स्वाभाविक रूप से वे हिन्दुस्थान में अर्थात भारत वर्ष में […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-33

गीता का पांचवां अध्याय और विश्व समाज इस आत्मविनाश और आत्मप्रवंचना के मार्ग को सारा संसार अपना रहा है। रसना और वासना का भूत सारे संसार के लोगों पर चढ़ा बैठा है। इसके उपरान्त भी सारा संसार कह रहा है कि मजा आ गया। इस भोले संसार को नहीं पता कि रसना और वासना का […]

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संपादकीय

जेटली की आंकड़ेबाजी और जमीनी सच

लोकतन्त्र एक ऐसी शासन प्रणाली है-जो ‘सम्मोहन’ के जादुई खेल से चलायी जाती है। कोई भी ऐसा राजनीतिज्ञ जो इस ‘सम्मोहन’ की जादुई क्रिया को जानता हो-देर तक किसी देश पर शासन कर सकता है। भारतवर्ष में स्वतंत्रता के पश्चात नेहरूजी देश के प्रधानमंत्री बने तो उनका व्यक्तित्व तो जादुई नहीं था-पर वह ‘सम्मोहन’ पैदा […]

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अन्य

टिकाऊ विकास की उर्जा

रमेश सर्राफ धमोरा भारत में हर साल चौदह दिसंबर को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाया जाता है। भारत सरकार ने वर्ष 2001 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम लागू किया था। इस अधिनियम में ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोतों को इस्तेमाल में लाने के लिए बड़े पैमाने पर तैयारी करना, पारंपरिक स्रोतों के संरक्षण के लिए नियम बनाना […]

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मुद्दा

स्त्री का डर, कानून और समाज

मोनिका शर्मा हाल ही में मध्यप्रदेश में बारह साल की आयु से कम की नाबालिग बालिकाओं से दुष्कर्म और किसी भी उम्र की महिला से सामूहिक दुष्कर्म करने वालों को मृत्युदंड दिए जाने के प्रावधान वाले दंड विधि संशोधन विधेयक को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी दे दी गई। इस तरह के सख्त कानून […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-32

गीता का पांचवां अध्याय और विश्व समाज भारत ने ऐसे ही समदर्शी विद्वानों को उत्पन्न करने का कारखाना लगाया, और उससे अनेकों हीरे उत्पन्न कर संसार को दिये। भारत के जितने भर भी महापुरूष, ज्ञानी-ध्यानी तपस्वी, साधक, और सन्त हुए हैं वे सभी इसी श्रेणी के रहे हैं। इन लोगों ने गीता के समदर्शी भाव […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

दारा शिकोह के कारण गुरू हरिराय पर किये गये तीन आक्रमण

‘सर्व संप्रदाय समभाव’ में विश्वास रखने वाला दारा दाराशिकोह का नाम मुगल वंश के एक ऐसे नक्षत्र का नाम है जिसने विपरीत, परिस्थितियों और विपरीत परिवेश मंज जन्म लेकर भी ‘सर्व संप्रदाय समभाव’ की मानवोचित और राजोचित व्यवस्था में अपना विश्वास व्यक्त किया था और उसके विषय में यह भी सत्य है कि अपने इसी […]

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