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संपादकीय

‘विश्वगुरू’ बनता भारत

भारत के विषय में मि. कोलमैन ने कहा है कि भारत के साधु संतों एवं कवियों ने नैतिक नियमों की शिक्षा दी, और इतने सुंदर कवित्व का प्रदर्शन किया, जिसकी श्रेष्ठता स्वीकार करने में विश्व के किसी भी देश, प्राचीन अथवा अर्वाचीन को लेशमात्र भी झिझक नही होती। भारत के गर्वनर जनरल रहे वारेल हेस्टिंग्स […]

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विशेष संपादकीय

मां बोल उठी-‘जियो मेरे लाल’

किसी व्यक्ति वर्ग या सम्प्रदाय की आलोचना करके या निंदा करके आप उसे छोटा नही कर सकते।  उसे छोटा करने का एक ही उपाय है कि आप अपनी अच्छाइयां लोगों के सामने परोसें और उन्हें अपनी अच्छाइयों का दीवाना बना लें। हिंदुत्व किसी दूसरे में कमियां निकालने की विचारधारा का विरोधी है, वह अपनी अच्छाइयों […]

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अन्य स्वास्थ्य

पीपल

आचार्य बालकृष्‍ण – यह 24 घंटे ऑक्सीजन देता है . – इसके पत्तों से जो दूध निकलता है उसे आँख में लगाने से आँख का दर्द ठीक हो जाता है . – पीपल की ताज़ी डंडी दातून के लिए बहुत अच्छी है . – पीपल के ताज़े पत्तों का रस नाक में टपकाने से नकसीर […]

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विविधा

सूरज से नफरत

अगर योग करने से भर से तेरा मजहब खतरे मे है तो छोड दो ऐसे मजहब कोरचना-कवि गौरव चौहान इटावा सूरज से नफरत करते ये चाँद सितारा देखो जी,गंगा को गाली देती जमुना की धारा देखो जी,संविधान की शीतलता पर चढ़ता पारा देखो जी,बैर-कपट से भरा हुआ है भाई चारा देखो जी. हिन्दू मुस्लिम भाई […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

उलझा दिया था बहलोल लोदी को चुनौतियों के जंजाल में

यूनानी नही बढ़ पाये थे आगे अमेरिका में कुछ समय पूर्व सिकंदर पर एक फिल्म बनायी गयी थी। जिसमें दर्शाया गया था कि सिकंदर झेलम के किनारे पोरस से अपमानजनक ढंग से पराजित हुआ था। सिकंदर की वीरता से तो यूनानी हतप्रभ थे। साथ ही उन्हें जिस बात ने सर्वाधिक प्रभावित और भयभीत किया था […]

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विशेष संपादकीय

भारत पाक सीमा आयोग का अध्यक्ष रैडक्लिफ रहा था कभी जिन्ना का परामर्शदाता

1947 में जब देश का बंटवारा हुआ तो सीमा की अनिश्चितता उस समय सबसे बड़ा प्रश्न था। हर व्यक्ति को यही चिंता सताये जा रही थी कि देश की सीमाएं घटकर कहां तक रह जाने वाली हैं? संभावित सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की चिंता थी कि वह स्वतंत्रता के पश्चात भारत में रहेंगे […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

प्रांतीय स्तर पर भी निरंतर जारी रहा स्वतंत्रता संग्राम

रामधारी सिंह दिनकर कहते हैं….. राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह दिनकर ने अपनी पुस्तक ‘संस्कृति के चार अध्याय’ में लिखा है-‘‘लड़ाई मारकाट के दृश्य तो हिंदुओं ने बहुत देखे थे। परंतु उन्हें सपने में भी उम्मीद न थी कि संसार में एकाध जाति ऐसी हो सकती है, जो मूर्तियों को तोडऩे और मंदिरों को भ्रष्ट करने […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

स्वतंत्रता के परमोपासक महाराणा मोकल और कुम्भा

वास्तव में  हम 1400 ई. से 1526 ई. तक (जब तक कि बाबर न आ गया था) के काल में उत्तर भारत में अपने-अपने साम्राज्य विस्तार के लिए विभिन्न शक्तियों के मध्य हो रहे संघर्ष की स्थिति देखते हैं। इसी संघर्ष की स्थिति से गुजरात, मालवा और मेवाड़ निकल रहे थे। ये एक दूसरे से आगे निकलने और एक दूसरे […]

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संपादकीय

राष्ट्रपति, पीएम और मुख्य न्यायधीश होते हैं- राष्ट्र के ब्रह्मा, विष्णु, महेश

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में  कई चीजें  बेतरतीब रूप में देखी गयीं। उन सब में प्रमुख थी किसी भी सरकारी विज्ञापन पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ-साथ कांग्रेस की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी के चित्र का लगा होना। यह लोकतंत्र और लोकतंत्र की भावना के विरूद्ध किया गया कांग्रेसी आचरण था। […]

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विशेष संपादकीय

मोदी जी! पचास वर्ष पुराने संस्कार जगाने से ही होगी गंगा प्रदूषण मुक्त

गंगा हिंदुओं के लिए प्राचीन काल से ही एक पवित्र नदी रही है। हिमालय से निकलने वाली यह नदी गंधक के पहाड़ से निकलकर आती है, इसलिए इसके जल में बहुत से रोगों को समाप्त करने और दीर्घकाल तक स्वच्छ बने रहने की अद्भुत क्षमता होती है। इस नदी में प्रतिदिन लगभग बीस लाख लोग […]

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