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प्रमुख समाचार/संपादकीय

‘उगता-भारत’ कर रहा है अपना नाम सार्थक

दादरी। अखिल भारतीय मानवाधिकार निगरानी समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष कुमार अग्रवाल का कहना है कि ‘उगता-भारत’ पत्र अपने नाम के अनुरूप कार्य कर रहा है। उज्ज्वल भविष्य के संकल्पबद्ध समाचार पत्र के लेख मैं नियमित रूप से पढ़ता हूं जिससे मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि इस पत्र के द्वारा राष्ट्र […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

राष्ट्र की प्राणशक्ति हैं : संस्कार

प्रो. विजेन्द्र सिंह आर्य गतांक से आगे : जातिवाद के प्रति आपके लगाव ने आपको आपके न्यायपथ से भटका दिया। दूसरा आकर्षण आपके लिए यह था कि आपके, आपकी जाति के लोग भी आपसे यही अपेक्षा करते हैं कि आप अपना निर्णय अपने व्यक्ति के हित में ही देंगे। यदि आप ऐसा करेंगे तो ये […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

योग क्या है?

डा कपिल देव द्विवेदी गतांक से आगे -साधना के विघ्नः साधना एक लम्बी प्रक्रिया है। इसमें कुछ मास ही नहीं, अपितु कई वर्ष भी लग जाते हैं। अतः साधक को बड़े धैर्य से काम करना होता है। प्रत्येक कार्य में विघ्न आते हैं, उसी प्रकार साधना में भी अनेक विघ्न आते हैं। उनको पार करना […]

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राजनीति

मौन व्रत स्वेच्छा या मजबूरी

नीरज कुमार दूबे गांधीवादी अन्ना हजारे की ओर से शुरू किये गये एक सप्ताह के ‘मौन व्रत’ का उद्देश्य भले ‘आत्म शांति’ घोषित किया गया हो लेकिन इसके आयोजन का समय कुछ और ही कहानी बयां करता है। दरअसल देश में बड़े बदलाव लाने की उम्मीदें जगाने के बाद हजारे पक्ष की ओर से पिछले […]

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राजनीति

‘चोर उचक्के डाकू को तुम कहते हो सरकार लिखूं?’

राजकुमार आर्य दादरी। जब देश आलस और प्रमाद की झपकी लेने लगता है, निराशा निशा चहुं ओर झलकने लगती है, जब देश की फिज़ाओं में चारों ओर एक मौन आह्वान गूंजने लगता है तब कवि आशा की एक किरण बनकर मैदान में आता है और अपनी लेखनी की पैनी धार से निराशा के सारे बादलों […]

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संपादकीय

टूटता पाषाण है, पाषाण के आघात से

राकेश कुमार आर्य गतांक से आगे…ये प्राविधान वास्तव में तो राज्य कीधर्मनिष्ठ राजनीति के प्रति निष्ठा की घोषणा है, परन्तु यह शब्द इसमें डाला नही गया है। यदि इनके साथ शीर्षक में ही यह स्पष्ट कर दिया जाता कि राज्य की धर्मनिष्ठ राजनीति के प्रति निष्ठा की घोषणा’ तो महर्षि का मन्तव्य पूर्णतः स्पष्ट हो […]

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