*पुष्पक अवस्थी की वाल से साभार *मैने कुछ माह पूर्व लिखा था कि मेरा आंकलन है कि 2020 के जाते जाते भारत जलेगा। मुझे लगता था कि सितंबर 2020 के बाद भारत को सीमाओं पर और आंतरिक रूप से झझकोरा जाएगा।* *भारत में लगने वाली यह आंतरिक दवानल, चीन के लिए उस अनुकूल स्थिति का […]
Author: उगता भारत ब्यूरो
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अजय कुमार कानून का विरोध करने सब आ गये, बहुसंख्यक समाज की बेटियों की चिंता किसी को नहींImage Source: Google कांग्रेस राम मंदिर बनाने, एक बार में तीन तलाक जैसी कुरीति और नागरिकता संशोधन कानून आदि सबकी मुखालफत करने लगती है। अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए कांग्रेस नेता भारत की जगह दुश्मन देशों- […]
निशान्त जहाँ एक ओर दुनिया में कोविड की आर्थिक मार से उबरने के लिए तमाम देश जीवाश्म ईंधन का प्रयोग करने वाले क्षेत्रों में निवेश कर रहे हैं वहीँदूसरी ओर दुनिया के प्रमुख अनुसंधान संगठनों और संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से बनी प्रोडक्शन गैप रिपोर्ट के एक विशेष अंक में यह पाया […]
तिब्बत : चीखते अक्षर, भाग – 10
(5) चीनी सैनिकों और घुसपैठियों का अंत:प्रवाह बाकी तिब्बत से काट दिये गये मध्य तिब्बत में जो कि तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र नाम से जाना जाता है, लगभग 5 लाख चीनी सैनिक तैनात हैं और जैसा कि बताया गया है, चीनियों के अनुसार इस क्षेत्र की तिब्बती जनसंख्या 11.9 लाख है। इसका अर्थ यह हुआ कि […]
तिब्बत : चीखते अक्षर, भाग- 9
दलाई लामा ने बताया है कि 1950 के पहले तिब्बत में लगभग 600000 बौद्ध भिक्षु थे। अधिकांश को जेल में डाल दिया गया, यातनायें दी गईं या वे सामूहिक नरसंहार का शिकार हुये। बौद्ध मठों जैसे द्रेपुंग, सेरा, गादेन, लिथांग, दर्जे, बाथांग, चाम्डो, ताशि क्यिल, कुबुम आदि से भारी संख्या में भिक्षु ग़ायब हो गये […]
देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्रप्रसाद की मृत्यु हिंदुत्व का साथ देने की वजह से हुई !!! सोमनाथ मंदिर के लिए डॉ. राजेंद्र प्रसाद व सरदार पटेल को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी ये जगजाहिर है कि जवाहर लाल नेहरू सोमनाथ मंदिर के पक्ष में नहीं थे। ऐसा माना जा रहा है की महात्मा गांधी की […]
प्रो. कुसुमलता केडिया लेख का शीर्षक शायद अटपटा लगे, क्योंकि हम सभी – सामान्य जन हों या अर्थशास्त्री, पत्रकार हों, राजनेता या प्रशासक, इतिहासकार हों या समाजशास्त्री या वैज्ञानिक – हम सभी इस बहस में उलझे हैं कि देश का विकास कैसे हो? इसे सबके लिए उपलब्ध कराने हेतु कौन सा मार्ग अपनाया जाय? पूंजीवादी, […]
केन्द्र सरकार सितंबर माह में 3 नए कृषि विधेयक लाई थी, जिस पर राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद वे कानून बन चुके हैं. लेकिन किसानों को ये कानून रास नहीं आ रहे हैं. उनका कहना है कि इन कानूनों से किसानों को नुकसान और निजी खरीदारों व बड़े कॉरपोरेट घरानों को फायदा होगा. किसानों […]
तिब्बत : सीखते अक्षर, भाग – 8
जनसंख्या विस्थापन और असंतुलन निश्चित रूप से यह बताना सम्भव नहीं है कि पिछले 30 वर्षों में कितने तिब्बती मर मरा गये लेकिन इस संख्या के दस लाख तक होने की सम्भावना है। शांति हेतु एशियाई बौद्ध सम्मेलन(1982) के अंतरराष्ट्रीय सचिवालय के दलजीत सेन अदेल ने अनुमान लगाया कि पिछले तीन दशकों में कम्पूचिया और […]
तिब्ब्त : चीखते अक्षर , भाग – 7
सांस्कृतिक क्रांति जैसा कि बताया जा चुका है सांस्कृतिक क्रांति के पहले ही तिब्बती संस्कृति का अधिकांश ध्वस्त किया जा चुका था। यह दौर तिब्बतियों द्वारा झेले गये मनोवैज्ञानिक उत्पीड़न की चरम गहराई को चिह्नांकित करता है। धर्म का पालन एकदम असम्भव बना दिया गया, व्यक्तिगत सम्बन्ध, केश-सजा, वेश भूषा, व्यक्तिगत आदतें और यहाँ तक […]