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व्यक्तित्व

साहित्य क्षेत्र का अवधी नक्षत्र अवधेश

“चीर करके बादलों के व्यूह को, भानु मुस्काता हुआ फिर आ रहा। हाथ में लेकर कलम – दावात को, अवध जग का दर्द निर्भय गा रहा।।” साहित्य के व्यापक सिंधु में भावनाओं के विशुद्ध गंगाजल से अंजलि भर-भर हमारे कुल का एक कलमकार लेखनी से आचमन कर रहा है। उसे विश्वास है कि इस बार […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र

भारतीय संविधान में सेकुलर और समाजवाद शब्द जोड़ना था एक संविधान विरोधी संशोधन

यह सब इतिहास होते हुए भी तत्‍कालिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सर्वोच्च न्‍यायालय के निर्णय के मात्र 3 वर्ष के उपरांत, 1975 मे भारतीय गणतंत्र के काले अध्‍याय के रूप मे आपात्‍काल घोषित कर विरोधी दलों के कार्यकता, नेता, जनप्रतिनिधी इन्‍हे जेल मे बंद कर दिया । इसी 21 महिनों के आपात्‍काल मे 1976 मे […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र

संविधान में सेकुलरवाद और अल्पसंख्यकवाद एक साथ नहीं चल सकते

प्रस्‍तावना : आजकल सी.ए.ए., एन.आर.सी., कोई भी विषय हो, विरोधीयों के नारे पहले लगने शुरू हो जाते है, ‘संविधान खतरेमे है, संविधान बचाओ’ ! डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरजी की अध्‍यक्षता मे निर्मित जिस संविधान को पिछले सरकारों ने अपनी मनमर्जी से तोडा-मरोडा, असंवैधानिक रीती से संशोधित करने के पाप किए, वही आज संविधान बचाने की बात […]

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मुद्दा

प्राचीन भारत के धर्मशास्त्रों में ‘मी टू’ जैसे अपराध के लिए था सज़ा प्रावधान

रवि शंकर आज सोशल मीडिया से लेकर इलेक्ट्रानिक मीडिया तक मी टू की चर्चा खूब हो रही है। मी टू यानी मैं भी। ये कुछ प्रतीक शब्द हैं जिनके द्वारा यौन प्रताडऩा से गुजरी स्त्रियां आज अपनी आपबीती सुना रही हैं। इस आपबीती के खुलासे में बड़े-बड़े प्रसिद्ध नाम आ रहे हैं। फिल्म जगत से […]

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कृषि जगत

भारत की समृद्धि का मूल आधार है कृषि

डॉ. कृपाशंकर तिवारी भारत के कृषि प्रधान होने का दावा हमारे किसानों ने सही साबित किया है। आज भारत, कृषि विकास में प्रमुख स्थान प्राप्त कर चुका है। राष्ट्रीय आय का 33त्न भाग कृषि से ही प्राप्त होता है। भारत की लगभग 70त्न आबादी कृषि से जुड़ी है। भारत का प्रत्येक नागरिक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष […]

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राजनीति

माननीयों द्वारा उच्च सदन की गरिमा पर लगा प्रश्नचिह्न

अजय कुमार मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि विधेयक के विरोध के नाम पर राज्यसभा में जोरदार हंगामा देखने को मिला। ऐसा लग रहा था मानो उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल के चुनाव की तैयारी राज्यसभा के भीतर की जा रही थी। राज्यसभा जिसे उच्च सदन भी कहा जाता है, समय के साथ अपनी गरिमा […]

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महत्वपूर्ण लेख

कोई हिंदू अपने स्वाभाविक उतराधिकार से कैसे होता है वंचित

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 किसी बगैर वसीयत के स्वर्गीय होने वाले हिंदू पुरुष और स्त्री की संपत्ति के उत्तराधिकार के संबंध में नियमों को प्रस्तुत करता है। इस अधिनियम के अंतर्गत वारिसों का निर्धारण किया गया है। कौन से वारिस किस समय संपत्ति में उत्तराधिकार का हित रखते हैं। इस अधिनियम के अंतर्गत किसी संपत्ति […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

22 सितंबर जन्म दिवस पर विशेष : देशभक्त श्रीनिवास शास्त्री

22 सितम्बर/जन्म-दिवस अपने विचारों की स्पष्टता के साथ ही दूसरे के दृष्टिकोण को भी ठीक से सुनने, समझने एवं स्वीकार करने की क्षमता होने के कारण श्री वी.एस श्रीनिवास शास्त्री एक समय गांधी जी और लार्ड इरविन में समझौता कराने में सफल हुए। इसके लिए 4 मार्च, 1931 को वायसराय ने पत्र द्वारा उन्हें धन्यवाद […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

विवेकानंद का शिकागो भाषण

✍🏻अजेष्ठ त्रिपाठी शिकागो धर्मसभा में जहाँ सभी विद्वान् दुनिया भर के चोटी के विद्वानों, वैज्ञानिकों और चिंतकों की उक्तियों के साथ अपने उद्बोधन दे रहे थे वहीं जब आप स्वामी विवेकानंद द्वारा उस धर्म-सम्मेलन में दिए गये भाषण को पढ़ेंगे तो आपको दिखेगा कि अपने पूरे भाषण में उन्होंने किसी आधुनिक वैज्ञानिक, आधुनिक चिंतन का […]

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भारतीय संस्कृति

पूर्व-जन्म के संस्कारों से कुछ होता भी है ?

✍🏻अभिजीत सिंह _______________________

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