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आज का चिंतन

ओ३म् “देश एवं मानव निर्माण में गोरक्षा एवं गोसंवर्धन का महत्वपूर्ण स्थान”

========= परमात्मा ने मनुष्य एवं इतर आत्माओं के लिये सृष्टि को उत्पन्न कर इसे धारण किया है। परमात्मा में ही यह सारा ब्रह्माण्ड विद्यमान है। आश्चर्य होता है कि असंख्य व अनन्त लोक-लोकान्तर परमात्मा के निमयों का पालन करते हुए सृष्टि उत्पत्ति काल 1.96 अरब वर्षों से अपने अपने पथ पर चल रहे हैं। ये […]

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ओ३म् “देश एवं मानव निर्माण में गोरक्षा एवं गोसंवर्धन का महत्वपूर्ण स्थान”

========= परमात्मा ने मनुष्य एवं इतर आत्माओं के लिये सृष्टि को उत्पन्न कर इसे धारण किया है। परमात्मा में ही यह सारा ब्रह्माण्ड विद्यमान है। आश्चर्य होता है कि असंख्य व अनन्त लोक-लोकान्तर परमात्मा के निमयों का पालन करते हुए सृष्टि उत्पत्ति काल 1.96 अरब वर्षों से अपने अपने पथ पर चल रहे हैं। ये […]

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ओ३म् “आर्यसमाज शुद्ध ज्ञान व कर्मों से युक्त मनुष्य का निर्माण करता है”

=========== देश और समाज की सबसे बड़ी आवश्यकता है कि सभी मनुष्यों की बुद्धि व शरीर के बल का पूर्ण विकास कर उन्हें शुद्ध ज्ञान व शक्ति सम्पन्न मनुष्य बनाया जाये। ऐसे व्यक्ति ही देश व समाज के लिये उत्तम, चरित्रवान, देशभक्त तथा परोपकार की भावना से युक्त होते हैं व देश व समाज के […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ओ३म् “ऋषि दयानन्दकृत संस्कार विधि की रचना का उद्देश्य, ग्रन्थ का संक्षिप्त परिचय एवं इतर विषय”

=========== महर्षि दयानन्द जी ने संस्कार विधि की रचना की है। इस ग्रन्थ में 16 संस्कारों को करने का विधान है। महर्षि ने लिखा है कि मनुष्यों के शरीर और आत्मा के उत्तम होने के लिए निषेक अर्थात् गर्भाधान से लेके श्मशानान्त अर्थात् अन्त्येष्टि-मृत्यु के पश्चात् मृतक शरीर का विधिपूर्वक दाह करने पर्यन्त 16 संस्कार […]

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ओ३म् “वेदों के आचरण से ही मनुष्य को अभ्युदय एवं निःश्रेयस प्राप्त होते हैं”

========== हमें मनुष्य जीवन जन्म-जन्मान्तरों में दुःखों से सर्वथा मुक्त होने के लिए एक अनुपम साधन के रूप में मिला है। यह हमें परमात्मा द्वारा प्रदान किया गया है। माता-पिता, सृष्टि तथा समाज हमारे जन्म, इसके पालन व उन्नति में सहायक बनते हैं। हमें अपने जीवन के कारण व उद्देश्यों पर विचार करना चाहिये। इस […]

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ओ३म् “परमात्मा सब जीवात्माओं के माता-पिता होने से उपासनीय हैं”

=========== परमात्मा और आत्मा का सम्बन्ध व्याप्य-व्यापक, उपास्य-उपासक, स्वामी-सेवक, मित्र बन्धु व सखा आदि का है। परमात्मा और आत्मा दोनों इस जगत की अनादि चेतन सत्तायें हैं। ईश्वर के अनेक कार्यों में जीवों के पाप-पुण्यों का साक्षी होना तथा उन्हें उनके कर्मानुसार सुख व दुःख रूपी भोग प्रदान करना है। हमारा जो जन्म व मृत्यु […]

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आज का चिंतन

ओ३म् “हमारा यह संसार तीन अनादि व नित्य सत्ताओं की देन है”

=========== हमारा यह जगत सूर्य, चन्द्र, पृथिवी सहित अनेकों ग्रह व उपग्रहों से युक्त है। इस समस्त सृष्टि में हमारे सौर्य मण्डल के समान अनेक वा अनन्त सौर्य मण्डल हैं। इतने विशाल जगत् को देखकर जिज्ञासा होती है कि यह संसार किससे, क्यों, कैसे व कब अस्तित्व में आया और इसका भविष्य क्या है? हमारे […]

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आज का चिंतन

ओ३म् “ऋषि दयानन्द कृत सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ मनुष्य को सन्मार्ग दिखाता है”

========= परमात्मा ने जीवात्मा को उसके पूर्वजन्म के कर्मानुसार मनुष्य जीवन एवं प्राणी योनियां प्रदान की हैं। हमारा सौभाग्य हैं कि हम मनुष्य बनाये गये हैं। मनुष्य के रूप में हम एक जीवात्मा हैं जिसे परमात्मा ने मनुष्य व अन्य अनेक प्रकार के शरीर प्रदान किये हैं। विचार करने पर ज्ञान होता है कि मनुष्य […]

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धर्म-अध्यात्म

ओ३म् “मृतक श्राद्ध का विचार वैदिक सिद्धान्त पुनर्जन्म के विरुद्ध है”

========== महाभारत युद्ध के बाद वेदों का अध्ययन-अध्यापन अवरुद्ध होने के कारण देश में अनेकानेक अन्धविश्वास एवं कुरीतियां उत्पन्न र्हुइं। सृष्टि के आरम्भ में ईश्वर से प्राप्त वैदिक सत्य सिद्धान्तों को विस्मृत कर दिया गया तथा अज्ञानतापूर्ण नई-नई परम्पराओं का आरम्भ हुआ। ऐसी ही एक परम्परा मृतक श्राद्ध की है। मृतक श्राद्ध में यह कल्पना […]

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ओ३म् “ऋषि दयानन्द कृत सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ मनुष्य को सन्मार्ग दिखाता है”

========= परमात्मा ने जीवात्मा को उसके पूर्वजन्म के कर्मानुसार मनुष्य जीवन एवं प्राणी योनियां प्रदान की हैं। हमारा सौभाग्य हैं कि हम मनुष्य बनाये गये हैं। मनुष्य के रूप में हम एक जीवात्मा हैं जिसे परमात्मा ने मनुष्य व अन्य अनेक प्रकार के शरीर प्रदान किये हैं। विचार करने पर ज्ञान होता है कि मनुष्य […]

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