Categories
आज का चिंतन

सत्य के ग्रहण करने और अंधविश्वासों का त्याग करने में ही जीवन की सार्थकता है

ओ३म् =========== मनुष्य को मनुष्य का जन्म ज्ञान की प्राप्ति तथा उसके अनुसार आचरण करने के लिये मिला है। यदि मनुष्य सत्यज्ञान की प्राप्ति के लिये प्रयत्न नहीं करता तो उसका अज्ञान व अन्धविश्वासों में फंस जाना सम्भव होता है। अज्ञानी मनुष्य अपने जीवन में लौकिक एवं पारलौकिक उन्नति नहीं कर सकते। सत्यज्ञान को अप्राप्त […]

Categories
भारतीय संस्कृति

देश के कर्णधार हमारे शिक्षक व शिष्य कैसे हों?

ओ३म् =========== शिक्षा देने व विद्यार्थियों को शिक्षित करने से अध्यापक को शिक्षक तथा शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को शिष्य कहा जाता है। आजकल हमारे शिक्षक बच्चों को अक्षर व संख्याओं का ज्ञान कराकर उन्हें मुख्यतः भाषा व लिपि से परिचित कराने के साथ गणना करना सिखाते हैं। आयु वृद्धि के साथ साथ बच्चा […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

अन्य कार्य करते हुए ईश्वर के उपकारों का चिंतन आवश्यक है

ओ३म् ========== मनुष्य को जीवन में अनेक कार्य करने होते हैं। उसे अपने निजी, पारिवारिक व सामाजिक कर्तव्यों की पूर्ति के लिये समय देना पड़ता है। धनोपार्जन भी एक गृहस्थी मनुष्य का आवश्यक कर्तव्य है। इन सब कार्यों को करते हुए मनुष्य को अवकाश कम ही मिलता है। अतः सभी कामों को समय विभाग के […]

Categories
धर्म-अध्यात्म पर्यावरण

यज्ञ श्रेष्ठतम कर्म है जिसे करने से वायुमंडल शुद्ध होता है : डॉक्टर अन्नपूर्णा

ओ३म् =========== यज्ञ श्रेष्ठतम कर्म है। इस कारण वेदभक्त आर्यसमाज के अनुयायी वेदाज्ञा के अनुसार नियमित यज्ञ करते हैं व दूसरों को करने की प्रेरणा भी करते हैं। वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून के मंत्री श्री प्रेम प्रकाश शर्मा जी की अग्निहोत्र यज्ञ में गहरी निष्ठा है। वह प्रत्येक वर्ष सितम्बर महीने में अपने निवास […]

Categories
भारतीय संस्कृति

वेद और वैदिक साहित्य के स्वाध्याय से मनुष्य श्रेष्ठ मनुष्य बनता है

ओ३म् =========== वेद सृष्टि की आदि में परमात्मा द्वारा अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न चार ऋषियों को दिया गया ईश्वरीय सत्य व निर्दोष ज्ञान है। प्राचीन मान्यता है कि वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है। वेदों में सब मनुष्यों को ‘मनुर्भव’ अर्थात् मनुष्य बनने का सन्देश दिया गया है। इसका अर्थ है कि जन्म से […]

Categories
भारतीय संस्कृति

ऋषि दयानंद ने विश्व कल्याण की भावना से प्रेरित होकर वेदों का प्रचार किया

ओ३म् ============ ऋषि दयानन्द ने आर्यसमाज की स्थापना किसी नवीन मत-मतान्तर के प्रचार अथवा प्राचीन वैदिक धर्म के उद्धार के लिये ही नहीं की थी अपितु उन्होंने वेदों का जो पुनरुद्धार व प्रचार किया उसका उद्देश्य विश्व का कल्याण करना था। यह तथ्य उनके सम्पूर्ण जीवन व कार्यों पर दृष्टि डालने व मूल्याकंन करने पर […]

Categories
आज का चिंतन

मनुष्य की पूर्ण आत्मोन्नति वेद ज्ञान और आचरण से ही संभव है

ओ३म् ============ मनुष्य का शरीर जड़ प्रकृति से बना होता है जिसमें एक सनातन, शाश्वत, अनादि, नित्य चेतन सत्ता जिसे आत्मा के नाम से जाना जाता है, निवास करती है। जीवात्मा को उसके पूर्वजन्मों के कर्मों का भोग कराने के लिये ही परमात्मा उसे जन्म व शरीर प्रदान करते हैं। शुभ व पुण्य कर्मों की […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

जीवात्मा का जन्म मरण उसके कर्मों में ईश्वर के अधीन है

ओ३म् =========== हम मनुष्य शरीरधारी होने के कारण मनुष्य कहलाते हैं। हमारे भीतर जो जीवात्मा है वह सब प्राणियों में एक समान है। प्राणियों में भेद जीवात्माओं के पूर्वजन्मों के कर्मों के भेद के कारण होता है। हमें जो जन्म मिलता है वह हमारे पूर्वजन्म के कर्मों के आधार पर परमात्मा से मिलता है। यदि […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

वेद ईश्वर प्रदत्त ज्ञान और विद्या के ग्रंथ है

ओ३म् ========== संसार में जितनी भी ज्ञान की पुस्तकें हैं वह सब मनुष्यों ने ही लिखी व प्रकाशित की हैं। ज्ञान के आदि स्रोत पर विचार करें तो ज्ञात होता है कि सृष्टि की उत्पत्ति व मानव उत्पत्ति के साथ आरम्भ में ही मनुष्यों को वेदों का ज्ञान प्राप्त हुआ था। जो लोग नास्तिक व […]

Categories
गौ और गोवंश

देश और मानव निर्माण में गौ रक्षा और गौ संवर्धन का महत्वपूर्ण स्थान

ओ३म् ============ परमात्मा ने मनुष्य एवं इतर आत्माओं के लिये इस सृष्टि को उत्पन्न कर धारण किया है। परमात्मा में ही यह सारा ब्रह्माण्ड विद्यमान है। आश्चर्य होता है कि असंख्य व अनन्त लोक-लोकान्तर परमात्मा के निमयों का पालन करते हुए सृष्टि उत्पत्ति काल 1.96 अरब वर्षों से अपने अपने पथ पर चल रहे हैं। […]

Exit mobile version