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संपादकीय

….अन्यथा लोकतंत्र मर जाएगा

लोकतंत्र में विपक्ष का होना अनिवार्य है। इसका कारण ये है कि लोकतंत्र लोकहित के लिए तभी स्वस्थ कार्य कर सकता है जब शासक वर्ग की नीतियों में कमी निकालने वाला भी उसी के साथ बैठा हो। राजतंत्र में कभी चाटुकार राजदरबारी हुआ करते थे, जो अपने राजा की हां में हां मिलाने वाले होते […]

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संपादकीय समाज

तीन तलाक पर फिर बहस

मुसलमानों में तीन तलाक की परम्परा उतनी ही पुरानी है जितना पुराना इस्लाम है। इस्लाम के प्रगतिशील उदार और मानवतावादी विद्वानों का मत है कि वैवाहिक जीवन को तोडऩे का अधिकार इस्लाम में ना केवल पति को प्राप्त है अपितु पत्नी को भी प्राप्त है। यदि कोई पति अपनी पत्नी पर अत्याचार करता है और […]

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संपादकीय

नितिन गडकरी जी से

मान्यवर, गडकरी जी, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार में आप केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री के जिस महत्वपूर्ण मंत्रालय को देख रहे हैं वह सीधे जनता से जुड़ा हुआ मंत्रालय है। प्रधानमंत्री मोदी और आप जैसे उनके विश्वसनीय मंत्री इस समय भ्रष्टाचार के समूलोच्छेदन के लिए कमर कसे हुए हैं। उसके कुछ अच्छे परिणाम […]

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देश विदेश महत्वपूर्ण लेख संपादकीय

ट्रम्प की सुरक्षा नीति और भारत

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपनी नियुक्ति के तुरंत बाद सबसे पहला कार्य अपने देश में सात मुस्लिम देशों के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर रोक लगाने का किया है। उन्होंने कहा है कि यह रोक फिलहाल 90 दिन के लिए रहेगी। जिसे बाद में बढ़ाया भी जा सकता है। ट्रम्प के प्रशासन […]

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देश विदेश संपादकीय

अमेरिका चीन और विश्व शांति

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के अपने पद भार संभालने के दिन से ही वैश्विक राजनीति के समीकरणों में जोरदार परिवर्तन देखे जा रहे हैं। बराक ओबामा के काल में जहां रूस और अमेरिका के संबंधों में कुछ नरमी के संकेत देखे जा रहे थे वहीं चीन से भी अमेरिका कुछ दूरी पर रहकर ही […]

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मुद्दा संपादकीय समाज

देश को जाति युद्घ से बचाओ

हमारे संविधान निर्माताओं ने देश की आर्थिक प्रगति में सभी वर्गों और आंचलों के निवासियों को जोडऩे के लिए और आर्थिक नीतियों का सबको समान लाभ प्रदान करने के लिए ‘आरक्षण’ की व्यवस्था लागू की थी। आरक्षण की यह व्यवस्था पूर्णत: मानवीय ही थी-क्योंकि इसका उद्देश्य आर्थिक रूप से उपेक्षित रहे, दबे, कुचले लोगों को […]

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राजनीति संपादकीय

कांग्रेस का समाजवाद के प्रति दृष्टिकोण

कांग्रेस का समाजवाद के प्रति दृष्टिकोण 1955 में आवाड़ी में हुए एक सम्मेलन में देखने को मिला। जब उसने यह प्रस्ताव पास किया- कांग्रेस के उद्देश्य की पूर्ति के लिए …..भारत के संविधान की उद्देशिका और राज्य की नीति के निदेशक तत्वों में कथित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए योजना इस प्रकार की जानी चाहिए […]

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अन्य राजनीति संपादकीय

ये तो चुनावी वायदे नही हैं

पांच राज्यों में चुनावी प्रक्रिया अपने सबाब पर है। ज्यों-ज्यों चुनावी तारीखें निकट आ रही हैं, त्यों-त्यों राजनीतिक दल अगले पांच वर्ष के लिए पांचों राज्यों को अपने लिए कब्जाने के प्रयासों में तेजी लाते जा रहे हैं। हर प्रत्याशी अपने लिए वोटों के गुणाभाग लगाने में व्यस्त है। इसी समय भाजपा, सपा, बसपा और […]

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आओ कुछ जाने देश विदेश संपादकीय स्वर्णिम इतिहास

क्या है ‘गणराज्य’ या गणतंत्र?

संविधान के अधीन सभी प्राधिकारों का स्त्रोत भारत के लोग हैं। भारत एक स्वाधीन राज्य है और अब वह किसी बाहरी प्राधिकारी के प्रति निष्ठावान नहीं है। हमारे देश का राष्ट्रपति अप्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा निर्वाचित राष्ट्रपति है। अब इस पद सहित किसी भी पद पर भारत के नागरिक की नियुक्ति होना संभव है। […]

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अन्य राजनीति संपादकीय

गठबंधन नहीं ‘घटिया’ बंधन है ये

भारत का लोकतंत्र बड़े-बड़े अजूबों से भरा है। यहां लोगों को भ्रमित करने के हथकंडे अपनाने वाले राजनीतिज्ञों की कमी नहीं है। कदम-कदम पर ऐसी बारूदी सुरंगें बिछाने की शतरंजी चालों को चलने में हमारे नेता इतने कुशल हैं कि सारे विश्व के राजनीतिज्ञ संभवत: इनसे मात खा जाएंगे। निश्चित रूप से ये बारूदी सुरंगें […]

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